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Jammu and Kashmir Hearing and speech-impaired children facing problem
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जम्मू और कश्मीर: मूक-बधिर बच्चों के लिए एकमात्र स्कूल, न छात्रावास की सुविधा न ही परिवहन व्यवस्था
एजुकेशन डेस्क, नई दिल्ली
Published by: सौरभ पांडेय
Updated Sun, 04 Dec 2022 03:14 PM IST
सार
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जम्मू और कश्मीर में मूक-बधिर बच्चों के लिए एक मात्र स्कूल है, जो इन दिनों धन संकट का सामना कर रहा है। स्कूल में छात्रावास और परिवहन सुविधाओं की कमी है।
जम्मू और कश्मीर में मूक-बधिर बच्चों के लिए एक मात्र स्कूल है, जो इन दिनों धन संकट का सामना कर रहा है। स्कूल में छात्रावास और परिवहन सुविधाओं की कमी है। यह स्कूल जम्मू और कश्मीर समाज कल्याण केंद्र, एक गैर सरकारी संगठन द्वारा सामाजिक कार्यकर्ताओं की मदद से चलाया जाता है। केंद्र शासित प्रदेश में बोलने और सुनने में अक्षम बच्चे हजारों की संख्या में हैं, उन सभी के लिए स्कूल में दाखिला लेना संभव नहीं है क्योंकि इसमें छात्रावास नहीं है। स्कूल में वर्तमान में यूटी के 10 जिलों का प्रतिनिधित्व करने वाले छात्र पढ़ते हैं। जो महंगे दामों पर किराए के कमरे लेने के लिए मजबूर हैं।
इस स्कूल में अधिकांश छात्र डोडा, किश्तवाड़, रामबन, राजौरी, पुंछ, अनंतनाग और कुपवाड़ा जिलों के दूरस्थ क्षेत्रों से हैं। यह आरोप लगाया गया था कि स्कूल को जम्मू-कश्मीर प्रशासन से कोई मदद नहीं मिली है और संस्थान के भवन के लिए प्रति वर्ष किराए के रूप में 30,000 रुपये से 35,000 रुपये (एक कमरे के आधार पर) का भुगतान करना पड़ता है।
स्कूल के छात्रों ने समाचार एजेंसी एएनआई को सांकेतिक भाषा में बताया कि स्कूल में दूर-दराज के इलाकों से आने वाले छात्रों के लिए छात्रावास नहीं है, उनके लिए परिवहन की कोई भी सुविधा नहीं है। एक छात्र ने कहा, "मैं सुबह आठ बजे स्कूल के लिए निकलता हूं और शाम को छह बजे घर पहुंचता हूं। मुझे रास्ते में बहुत कठिनाई होती है। क्योंकि कोई भी सांकेतिक भाषा नहीं समझता है।
छात्रों ने मांग की कि स्कूल प्रशासन जल्द से जल्द उनके लिए एक छात्रावास और परिवहन उपलब्ध कराए। स्कूल प्रशासन ने कहा कि संस्था को चलाने के लिए धन की कमी है और यहां तक कि शिक्षकों को वेतन देने के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है। इन बच्चों को अन्य व्यावसायिक पाठ्यक्रमों से भी गुजरना पड़ता है ताकि वे जीविकोपार्जन कर सकें।
बता दें कि अक्तूबर 1980 से, एनजीओ विशेष रूप से सक्षम बच्चों, विशेषकर उन लड़कियों की शिक्षा के लिए काम कर रहा है जो सुन या बोल नहीं सकती हैं। इसके संस्थापक अध्यक्ष प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता डॉ आरआर खजुरिया थे।
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