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Delhi University Vice Chancellor Yogesh Singh Statement on Muhammad Iqbal from political science curriculum
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डीयू के कुलपति का बयान: भारत तोड़ने की नींव रखने वालों को पाठ्यक्रम में नहीं मिलनी चाहिए जगह
एजुकेशन डेस्क, अमर उजाला
Published by: सौरभ पांडेय
Updated Sat, 27 May 2023 03:13 PM IST
दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति योगेश सिंह ने एक कार्यक्रम में कहा कि भारत को तोड़ने की नींव रखने वालों को पाठ्यक्रम में नहीं होना चाहिए। इसके लिए प्रस्ताव पारित करने के बाद उन्होंने यह बात कही है।
भारत को तोड़ने की नींव रखने वालों को पाठ्यक्रम में नहीं होना चाहिए। ये बातें दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति योगेश सिंह ने अकादमिक परिषद द्वारा पाकिस्तान के राष्ट्रीय कवि मुहम्मद इकबाल पर एक अध्याय को राजनीतिक विज्ञान पाठ्यक्रम से हटाने के लिए प्रस्ताव पारित करने के बाद कही हैं। बता दें कि अविभाजित भारत के सियालकोट में 1877 में जन्मे इकबाल ने प्रसिद्ध गीत 'सारे जहां से अच्छा' लिखा था। उन्हें अक्सर पाकिस्तान के विचार को जन्म देने का श्रेय दिया जाता है।
विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद ने शुक्रवार को एक बैठक में 'आधुनिक भारतीय राजनीतिक विचार' शीर्षक वाले अध्याय को हटाने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया था। अधिकारियों ने कहा कि यह बीए छठे सेमेस्टर के पेपर का हिस्सा है, यह मामला अब अंतिम कॉल के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) की कार्यकारी परिषद के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। कुलपति सिंह ने कहा कि इकबाल ने "मुस्लिम लीग" और "पाकिस्तान आंदोलन" का समर्थन करने वाले गीत लिखे।
शुक्रवार को सुबह साढ़े दस बजे शुरू हुई करीब 15 घंटे चली बैठक के बाद जारी डीयू के बयान के अनुसार "इकबाल भारत के विभाजन और पाकिस्तान की स्थापना के विचार को उठाने वाले पहले व्यक्ति थे। ऐसे लोगों को पढ़ाने के बजाय, हमें अपने राष्ट्रीय नायकों का अध्ययन करना चाहिए। जिन्होंने भारत को तोड़ने की नींव रखी, वे पाठ्यक्रम में नहीं होने चाहिए।" विश्वविद्यालय ने कहा कि कुलपति का प्रस्ताव अकादमिक परिषद द्वारा सर्वसम्मति से पारित किया गया था।
शनिवार को दोपहर करीब 1:20 बजे समाप्त हुई बैठक में अंडरग्रेजुएट करिकुलम फ्रेमवर्क (यूजीसीएफ) 2022 के तहत विभिन्न पाठ्यक्रमों के चौथे, पांचवें और छठे सेमेस्टर के पाठ्यक्रम को पारित किया गया। विश्वविद्यालय ने कहा कि बैठक में दर्शनशास्त्र विभाग द्वारा प्रस्तावित बीए के पाठ्यक्रम के संबंध में स्थायी समिति की सिफारिशों पर भी विचार किया गया और सर्वसम्मति से उन्हें मंजूरी दे दी गई।
डीयू ने कहा कि दर्शनशास्त्र विभाग द्वारा पेश किए जाने वाले बीए पाठ्यक्रमों में "डॉ अंबेडकर का दर्शन", "महात्मा गांधी का दर्शन" और "स्वामी विवेकानंद का दर्शन" शामिल हैं। इसके अलावा, वीसी ने दर्शन विभाग के प्रमुख से सावित्रीबाई फुले को पाठ्यक्रम में शामिल करने की संभावना तलाशने का अनुरोध किया। सिंह ने दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के अर्थशास्त्र विभाग के प्रमुख को डॉ बीआर अंबेडकर के आर्थिक विचारों पर एक पेपर तैयार करने की भी सलाह दी। उन्होंने कहा कि भारतीय आर्थिक मॉडल, अमेरिकी मॉडल और यूरोपीय मॉडल को पढ़ाया जाना चाहिए।
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