पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस की सरकार और राज्यपाल जगदीप धनखड़ में टकराव लगातार जारी है। टीएमसी सरकार ने राज्यपाल की शक्तियों में एक बार और कटौती की है। उन्हें अब आलिया विश्वविद्यालय के कुलाधिपति के पद से हटा दिया गया है। इस संबंध में तृणमूल कांग्रेस की सरकार ने राज्य विधानसभा में गुरुवार को एक बिल पेश किया था, जिसे पास करा लिया गया है।
चांसलर और विजिटर आदि में बदलाव किए गए
पश्चिम बंगाल विधान सभा में गुरुवार, 23 जून, 2022 को आलिया विश्वविद्यालय संशोधन अधिनियम-2022 बिल पेश किया गया था। जिसे विधान सभा में बहुमत के साथ ही पारित करा लिया गया है। इस बिल में आलिया विश्वविद्यालय के चांसलर और विजिटर आदि में बदलाव का उल्लेख किया गया है। इसके पारित होने के बाद अब राज्यपाल इस यूनिवर्सिटी के चांसलर यानी कुलाधिपति नहीं रहेंगे। कुलाधिपति की शक्तियां अब मुख्यमंत्री के पास रहेंगी। जबकि विजिटर की भूमिका में राज्य के शिक्षा मंत्री होंगे।
पहले निजी विश्वविद्यालयों के विजिटर का पद छीना
जानकारी के अनुसार, पश्चिम बंगाल विधानसभा में तृणमूल कांग्रेस सरकार ने बिल पारित करवा कर राज्यपाल जगदीप धनखड़ को सियासी लड़ाई जारी रखने का संदेश दिया है। इससे पहले बीते सप्ताह भी राज्य के अन्य निजी विश्वविद्यालयों के लिए एक बिल पारित करके राज्यपाल से निजी विश्वविद्यालयों के विजिटर का पद छीन लिया था।
कई मुद्दों को लेकर जारी है खींचतान
जुलाई 2019 में पदभार संभालने के बाद से राज्यपाल जगदीप धनखड़ और टीएमसी सरकार के बीच विश्वविद्यालयों के कामकाज सहित कई मुद्दों को लेकर खींचतान जारी है। इससे पहले पश्चिम बंगाल विधानसभा ने राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सभी राज्य संचालित विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में बदलने के लिए एक विधेयक पारित किया था। इसका भी भाजपा विधायकों के विरोध किया था। तब राज्य के शिक्षा मंत्री ने कहा था कि अगर प्रधानमंत्री केंद्रीय विश्वविद्यालय विश्वभारती के कुलाधिपति हो सकते हैं तो मुख्यमंत्री राज्य के विश्वविद्यालयों के क्यों नहीं।
विस्तार
पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस की सरकार और राज्यपाल जगदीप धनखड़ में टकराव लगातार जारी है। टीएमसी सरकार ने राज्यपाल की शक्तियों में एक बार और कटौती की है। उन्हें अब आलिया विश्वविद्यालय के कुलाधिपति के पद से हटा दिया गया है। इस संबंध में तृणमूल कांग्रेस की सरकार ने राज्य विधानसभा में गुरुवार को एक बिल पेश किया था, जिसे पास करा लिया गया है।