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एक संसदीय समिति ने कहा है कि लोक सेवा आयोग की करीब 15 महीने लंबी भर्ती प्रक्रिया उम्मीदवारों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को काफी प्रभावित करती है। इससे उनके महत्वपूर्ण वर्ष भी बर्बाद होते हैं। समिति ने यूपीएससी से सिविल सेवा परीक्षा की चयन प्रक्रिया के चक्र को कम करने को कहा है।
समिति ने अपनी हालिया रिपोर्ट में, संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) से सिविल सेवा परीक्षा में उम्मीदवारों की कम उपस्थिति के कारणों की जांच करने के लिए भी कहा। भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस), भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारियों का चयन करने के लिए यूपीएससी वार्षिक रूप से तीन चरणों में परीक्षा आयोजित करता है। इनमें प्रारंभिक, मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार शामिल हैं।
समिति ने कहा, उसे उपलब्ध कराए गए डाटा से पता चलता है कि अधिसूचना जारी करने से लेकर परीक्षा के अंतिम परिणाम तक पूरी प्रक्रिया में 15 महीने का समय लगता है। समिति ने कहा कि उसका मानना है कि आमतौर पर किसी भी परीक्षा की भर्ती प्रक्रिया में छह महीने से अधिक का समय नहीं लगना चाहिए। समिति इसलिए सिफारिश करती है कि यूपीएससी को गुणवत्ता से समझौता किए बिना भर्ती प्रक्रिया में लगने वाली अवधि में कटौती करनी चाहिए।
आवेदन करने के बावजूद परीक्षा में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों की संख्या में कमी पर समिति ने कहा, वर्ष 2022-23 में यूपीएससी की परीक्षाओं के लिए करीब 32.39 लाख आवेदन किए गए, जबकि इनमें से केवल 16.82 लाख (51.95 प्रतिशत) ही वास्तव में परीक्षा में शामिल हुए। समिति ने कहा वर्ष 2022 में आयोजित सिविल सेवा परीक्षा के लिए 11.35 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया, लेकिन उनमें से केवल 5.73 लाख (50.51 प्रतिशत) ने ही परीक्षा दी। यूपीएससी को परीक्षा देने वाले अभ्यर्थियों की संख्या में कमी के कारणों की जांच करनी चाहिए।
प्रारंभिक परीक्षा के तुरंत बाद उत्तर कुंजी जारी की जाए
समिति ने कहा कि यूपीएससी सिविल सेवा की परीक्षा प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद ही प्रारंभिक परीक्षा की उत्तर कुंजी जारी करती है, इसे दूसरे शब्दों में कहें तो वह अभ्यार्थियों को अगले चरण की परीक्षा से पूर्व ही उत्तर को चुनौती देने के अवसर से वंचित करती है। इसलिए समिति सिफारिश करती है कि प्रारंभिक परीक्षा के तुरंत बाद उत्तर कुंजी जारी की जाए, ताकि अभ्यार्थियों को आपत्ति दर्ज करने का मौका मिले।
समान अवसर की जांच के लिए समिति गठित हो
समिति ने विशेषज्ञ समिति गठित करने की सिफारिश की है, जो यह पता लगाएगी कि मौजूदा भर्ती प्रक्रिया से क्या अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई करने वाले शहरी उम्मीदवारों और गैर अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई करने वाले ग्रामीण उम्मीदवारों को समान अवसर मिल रहा है या नहीं।