न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: Vikas Kumar
Updated Thu, 08 Apr 2021 07:49 PM IST
किसान ट्रैक्टर परेड के दौरान 26 जनवरी को हुई हिंसा के आरोपी दीप सिद्धू ने स्वयं को निर्दोष बताते हुए जमानत देने का आग्रह किया है। सिद्धू ने कहा कि उसे फर्जी तरीके से मामले में फंसाया जा रहा है। वहीं अभियोजन पक्ष ने जमानत पर आपत्ति जताते हुए उसे मुख्य आरोपी बताया। तीस हजारी अदालत स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश नीलोफर आबिदा परवीन ने अब इस मामले की सुनवाई 12 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी है।
दीप सिद्धू के अधिवक्ता ने उनका पक्ष रखते हुए कहा कि उनके मुवक्किल के खिलाफ कोई सबूत नहीं है, जिससे पता चल सके कि उसने हिंसा के लिए लोगों को भड़काया। उन्होंने कहा कि किसान ट्रैक्टर परेड के लिए किसान नेताओं द्वारा आह्वान किया गया था, दीप सिद्धू तो किसान यूनियन का सदस्य भी नहीं है। इतना ही नहीं सिद्धू ने लाल किला पंहुचने के लिए किसी को भी कोई कॉल भी नहीं किया। उन्होंने कहा कि सिद्धू ने दिल्ली में हिंसा का एक भी काम नहीं किया है और हिंसा भड़कने से पहले ही वह आंदोलन से अलग हो गया था।
वहीं सरकारी वकील ने कहा कि दीप सिद्धू के लालकिला पहुंचने बाद ही पुलिस पर हमला हुआ। इतना ही नहीं आरोपी ने वहां पर लोगों को संबोधित किया और उनको उकसाया, नारे लगाए। उन्होंने कहा कि जब ट्रैक्टर रैली के लिए दिए गए रूट में लालकिला नहीं था, तो लाल किले पर वह कैसे पहुंचे। अगर किसानों का शांतिपूर्ण प्रदर्शन का इरादा था तो वह लाल किला क्यों पहुंचे।
उन्होंने कहा आरोपी व उसके साथियों का इरादा भारत को बदनाम करने का था, उनका एजेंडा ही केवल लाल किला जाना था। क्या ड्यूटी कर रहे पुलिसवालों का कोई संवैधानिक अधिकार है या नहीं। क्या कोई भी संवैधानिक अधिकार के नाम पर भारत की बदनाम कर सकता है। दीप ने वहां मौजूद लोगों को उकसाने का काम किया, नारे लगाए, 1:54 बजे वह लाल किला पहुंचा,144 पुलिस अधिकारियों को गंभीर चोटें आई क्योंकि कुछ प्रदर्शनकारियों ने उन्हें ट्रैक्टर से कुचलने की कोशिश की थी। ऐसे में जमानत का कोई आधार नहीं है।
26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली के दौरान लालकिला पर हुई हिंसा मामले में गिरफ्तार किए गए सिद्धू को 23 फरवरी को न्यायिक हिरासत में भेजा गया था।
विस्तार
किसान ट्रैक्टर परेड के दौरान 26 जनवरी को हुई हिंसा के आरोपी दीप सिद्धू ने स्वयं को निर्दोष बताते हुए जमानत देने का आग्रह किया है। सिद्धू ने कहा कि उसे फर्जी तरीके से मामले में फंसाया जा रहा है। वहीं अभियोजन पक्ष ने जमानत पर आपत्ति जताते हुए उसे मुख्य आरोपी बताया। तीस हजारी अदालत स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश नीलोफर आबिदा परवीन ने अब इस मामले की सुनवाई 12 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी है।
दीप सिद्धू के अधिवक्ता ने उनका पक्ष रखते हुए कहा कि उनके मुवक्किल के खिलाफ कोई सबूत नहीं है, जिससे पता चल सके कि उसने हिंसा के लिए लोगों को भड़काया। उन्होंने कहा कि किसान ट्रैक्टर परेड के लिए किसान नेताओं द्वारा आह्वान किया गया था, दीप सिद्धू तो किसान यूनियन का सदस्य भी नहीं है। इतना ही नहीं सिद्धू ने लाल किला पंहुचने के लिए किसी को भी कोई कॉल भी नहीं किया। उन्होंने कहा कि सिद्धू ने दिल्ली में हिंसा का एक भी काम नहीं किया है और हिंसा भड़कने से पहले ही वह आंदोलन से अलग हो गया था।
वहीं सरकारी वकील ने कहा कि दीप सिद्धू के लालकिला पहुंचने बाद ही पुलिस पर हमला हुआ। इतना ही नहीं आरोपी ने वहां पर लोगों को संबोधित किया और उनको उकसाया, नारे लगाए। उन्होंने कहा कि जब ट्रैक्टर रैली के लिए दिए गए रूट में लालकिला नहीं था, तो लाल किले पर वह कैसे पहुंचे। अगर किसानों का शांतिपूर्ण प्रदर्शन का इरादा था तो वह लाल किला क्यों पहुंचे।
उन्होंने कहा आरोपी व उसके साथियों का इरादा भारत को बदनाम करने का था, उनका एजेंडा ही केवल लाल किला जाना था। क्या ड्यूटी कर रहे पुलिसवालों का कोई संवैधानिक अधिकार है या नहीं। क्या कोई भी संवैधानिक अधिकार के नाम पर भारत की बदनाम कर सकता है। दीप ने वहां मौजूद लोगों को उकसाने का काम किया, नारे लगाए, 1:54 बजे वह लाल किला पहुंचा,144 पुलिस अधिकारियों को गंभीर चोटें आई क्योंकि कुछ प्रदर्शनकारियों ने उन्हें ट्रैक्टर से कुचलने की कोशिश की थी। ऐसे में जमानत का कोई आधार नहीं है।
26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली के दौरान लालकिला पर हुई हिंसा मामले में गिरफ्तार किए गए सिद्धू को 23 फरवरी को न्यायिक हिरासत में भेजा गया था।