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Save Yamuna : यमुना को बचाने के लिए उमड़ी दिल्ली, हल्की बारिश के बीच बनाई 22 किलोमीटर लंबी मानव शृंखला

अमर उजाला नेटवर्क, नई दिल्ली Published by: दुष्यंत शर्मा Updated Mon, 05 Jun 2023 03:26 AM IST
सार

इस दौरान लोगों ने यमुना की अविरलता और निर्मलता के लिए 22 किलोमीटर लंबी मानव शृंखला बनाई। हल्की बारिश के बीच यमुना प्रेमी वजीराबाद से कालिंदीकुंज के बीच आईटीओ, गीता कॉलोनी, पुराना उस्मानपुर गांव, निजामुद्दीन ब्रिज और डीएनडी स्थित घाटों पर पहुंचे।

Population increased, Yamuna became polluted.
यमुना की खातिर... - फोटो : अमर उजाला

विस्तार
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राजधानी में यमुना नदी को बचाने के लिए रविवार सुबह बड़ी संख्या में लोगों ने यमुना संसद में शिरकत की। इस दौरान लोगों ने यमुना की अविरलता और निर्मलता के लिए 22 किलोमीटर लंबी मानव शृंखला बनाई। हल्की बारिश के बीच यमुना प्रेमी वजीराबाद से कालिंदीकुंज के बीच आईटीओ, गीता कॉलोनी, पुराना उस्मानपुर गांव, निजामुद्दीन ब्रिज और डीएनडी स्थित घाटों पर पहुंचे।



मानव शृंखला में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता, सामाजिक-धार्मिक संस्थाओं, व्यापारिक संगठन, ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन, युवा संगठनों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। इस मौके पर सभी ने मिलकर यमुना के साफ हो जाने तक यमुना संसद जारी रखने की हुंकार भरी और सरकार पर नदी की अविरलता सुनिश्चित करने का जन-दबाव बनाने व यमुना की सेहत की बेहतरीन के लिए पांच कदम उठाने का संकल्प लिया।


माता ललिता देवी सेवाश्रम की जनसंवाद कायम करने की अनूठी पहल लोक संसद के तीसरे अध्याय के तौर पर यमुना संसद का रविवार सुबह आयोजन हुआ। मानव शृंखला में दिल्ली सरकार के मंत्री गोपाल राय व सौरभ भारद्वाज, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामबीर सिंह बिधूड़ी, प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा, दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष सोमनाथ भारती, रोटरी बैंक के संस्थापक राजकुमार भाटिया, आईआईटी छात्र परिषद के पूर्व अध्यक्ष रवि शर्मा, जल जन जोड़ो अभियान के संयोजक संजय सिंह, संतूर वादक अभय रुस्तम सोपोरी, युवा हल्ला बोल के अनुपम, समाज सेवी अजीत सिंह, अरुण सिंह, सचिन गुप्ता, थानसिंह यादव आदि भी शामिल हुए।

नदियों किनारे कई सभ्यताओं का हुआ विकास : गोविंदाचार्य
यमुना संसद के संरक्षक केएन गोविंदाचार्य ने कहा कि दुनियाभर में नदियों के किनारे ही बड़ी-बड़ी सभ्यताओं का विकास हुआ, मगर सभी शहरों ने अपनी दहलीज पर बहती नदियों की कद्र नहीं की। दिल्ली की हालत तो और भी बदतर है। वहीं यमुना संसद के संयोजक रविशंकर तिवारी ने कहा कि उनके कार्यक्रम के कारण सरकार ने शनिवार को अतिरिक्त पानी छोड़ दिया। इस कारण उनके आयोजन के दौरान यमुना प्रदूषण मुक्त दिखाई दी। यमुना की इस तस्वीर को स्थायी तौर पर बनाए रखने के लिए यमुना संसद सरकार से संवाद कायम करने को तैयार है।

लोगों में दिखा जबरदस्त उत्साह
राजधानी निवासियों में यमुना किनारे मानव शृंखला बनाने के लिए जबरदस्त उत्साह दिखाई दिया। कार्यक्रम सुबह साढ़े छह बजेे शुरू होना था, लेकिन यमुना के तटों पर लोग काफी पहले से आने शुरू हो गए थे। इस दौरान हर यमुना प्रेमी के चेहरे पर उत्साह दिखा। कार्यक्रम में अखिल भारतीय विश्व गायत्री परिवार, निरंकारी समाज, नामधारी समाज, ईश्वरीय ब्रह्मकुमारी प्रजापति, दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंध कमेटी, इस्कॉन, फतेहपुरी मस्जिद के इमाम, दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन, ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन, दिल्ली विश्वविद्यालय के तमाम कालेज, एक्शन कमेटी ऑफ रिकॉग्नाइज प्राइवेट स्कूल दिल्ली, स्वाभिमान देश का, दिल्ली पंचायत संघ, सदर बाजार व चांदनी चौक के व्यापारिक संगठनों समेत 1,800 से ज्यादा धार्मिक संस्थाओं और सामाजिक, स्वयंसेवी, व्यापारिक संस्थाओं के बैनर तले बच्चे, युवा, महिलाएं व पुरुष पहुंचे।


 

बढ़ती गई आबादी-प्रदूषित होती गई यमुना

Population increased, Yamuna became polluted.
दिल्ली में यमुना घाट की सूरत - फोटो : अमर उजाला
करोड़ों रुपये खर्च होने के बाद राजधानी की जीवनदायी यमुना नदी प्रदूषण मुक्त नहीं हो पाई। आजादी से पहले तक यमुना प्रदूषण मुक्त थी। लिहाजा बीते 75 वर्ष में आबादी बढ़ने के साथ ही यमुना की सेहत बिगड़ती गई। इस कारण आज वजीराबाद से लेकर कालिंदी कुंज तक यमुना नदी के बजाय नाला दिख रही है। हालांकि, दिल्ली सरकार यमुना नदी को प्रदूषण मुक्त करने में लगी हुई है और वह वर्ष 2025 तक यमुना को प्रदूषण मुक्त करने का दावा कर रही है।

आजादी से पहले यमुना नदी में घड़ियाल, रोहू, टेंगरा, चिलवा, बचवा जैसी मछलियां और कछुए पाए जाते थे। यमुना के बाढ़ वाले मैदान और घाट काफी साफ सुंदर थे। मगर अब यमुना नदी वजीराबाद से कालिंदी कुंज के बीच केवल मानसून के दौरान दो माह साफ दिखती है, जबकि साल के 10 माह में इसका प्रवाह काला दिखता है। दरअसल वजीराबाद से कालिंदी कुंज तक 21 छोटे-बड़े नाले यमुना नदी को बदरंग कर देते है और यमुना नदी अपने 1,376 किमी लंबे बहाव क्षेत्र में सबसे अधिक इसी क्षेत्र में प्रदूषित है। इसका यमुना नदी पर बेहद खराब असर पड़ रहा है।

साहिबी नदी बनी चुकी है नाला
राजधानी में यमुना नदी के अलावा साहिबी नदी भी है। इसे नजफगढ़ ड्रेन के नाम से जाना जाता है, लेकिन इसकी सुध नहीं लेने के कारण यह ड्रेन अब नाले में तब्दील हो चुकी है। हालांकि दिल्ली सरकार ने यमुना नदी की तरह साहिबी नदी को भी उसके असली स्वरूप में लाने की बात कर रही है और उसने उसे पुनर्जीवित करने के लिए विस्तृत योजना पर काम शुरू कर दिया है।

दोनों नदियों की तरह जलाशयों की भी स्थिति खराब
राजधानी में यमुना नदी व साहिबी नदी की तरह जलाशयों की भी हालात सही नहीं है। दिल्ली स्टेट वेटलैंड अथारिटी (डीएसडब्ल्यूए) की एक रिपोर्ट में 1043 जलाशयों की पहचान की गई थी, इसमें से 62 जलाशयों पर इमारतें बन चुकी है और 52 पर जन सुविधाएं, 14 पर शैक्षणिक संस्थान है, जबकि 11 पर पार्क व मनोरंजन केंद्र बना दिए गए है, अन्य जलाशयों पर व्यावसायिक प्रतिष्ठान, नाले और अवैध कब्जे है।

वन क्षेत्र बढ़ने के बावजूद बिगड़ रही आबोहवा
राजधानी में निरंतर वन क्षेत्र में इजाफा हो रहा है। वर्तमान में वन एवं हरित क्षेत्र करीब 350 वर्ग किलोमीटर है, जबकि 2015 में करीब 300 वर्ग किलोमीटर था। लिहाजा राज्यों में कुल भौगोलिक क्षेत्र के प्रतिशत के अनुसार दिल्ली दूसरा सबसे अधिक हरित क्षेत्र वाला राज्य है, मगर दिल्ली में प्रदूषण का स्तर कम होने के बजाय बढ़ता जा रहा है। राजधानी में वर्ष 1997 के बाद वन और वृक्ष कवर क्षेत्र में निरंतर वृद्धि हो रही है। वर्तमान में वन और वृक्षों से घिरे क्षेत्र का दायरा बढ़कर करीब 350 वर्ग किलोमीटर हो गया है।

यमुना को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए योजनाबद्ध तरीके से कर रही है सरकार
दिल्ली सरकार ने कहा है कि हर राज्य के बड़े शहरों से गुजरने के दौरान नदियों में प्रदूषण बढ़ता है, क्योंकि फैक्ट्रियों और बड़ी-बड़ी कॉलोनियों का सारा सीवरेज नदियों में डालने की एक रिवायत रही है। इसे ध्यान मे रखते हुए दिल्ली सरकार यमुना को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम कर रही है। 2025 में यमुना को साफ कर दिया जाएगा। यह दावा दिल्ली के जल मंत्री सौरभ भारद्वाज ने रविवार को किया।

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि वर्ष 2014 में केवल 220 अनधिकृत कालोनियों में ही सीवर लाइन डली थी, मगर आज 832 अनधिकृत कॉलोनियों में सीवर लाइन डल चुकी है। अब उनका सीवरेज यमुना में नहीं गिरता। इसी तरह से पहले सीवर संयंत्र में करीब 350 एमजीडी सीवेज साफ हुआ करती थी और यह बढ़कर करीब 550 एमजीडी हो रहा है और 2025 तक दिल्ली में संयंत्रों की क्षमता बढ़कर करीब 900 एमजीडी हो जाएगी। इसका मतलब कि दिल्ली की कॉलोनियों का सीवेज सीधे सीधे यमुना में नहीं गिरेगा, बल्कि सीवर संयंत्रों में साफ ट्रीट होगा। जिन कॉलोनियों में कभी सीवर लाइन नहीं डली थी, आज उनमें सीवर लाइन डाली जा रही है।

उन्होंने बताया कि वर्ष 2021 में मुख्यमंत्री के बताए गए छह सूत्रीय एक्शन प्लान पर दिल्ली सरकार युद्धस्तर पर काम कर रही है। इस एक्शन प्लान के तहत सीवर संयंत्र की क्षमता बढ़ाने, दिल्ली में मुख्य गंदे नालों को ट्रैप कर वहीं साफ करने, हर घर को सीवर का कनेक्शन देकर सीवर नेटवर्क से जोड़ने, झुग्गी झोपड़ी के सीवर को नालियों में बहाने से रोकने व सीवर से जोड़ने और सीवर की डिसिल्टिंग को मजबूत करने में जुटी है।
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