आज पूरा विश्व कोरोना वायरस की महामारी के दौर से गुजर रहा है। किसी को इससे निकलने के लिए कोई रास्ता नहीं सूझ रहा। वहीं देश ने नामी पर्यावरणकर्मी प्रेम परिवर्तन (जिन्हें लोग पीपल बाबा के नाम से जानते हैं) अपने पर्यावरण संवर्धन अभियान में लगे हुए हैं।
1977 से पेड़ लगाओ अभियान की शुरुआत करने वाले पीपल बाबा का सफर निर्बाध रूप से जारी है। कोरोना जैसी महामारी में सभी लोग जहां पर खुद को अलग करते हुए अपने घरों में कैद हैं वहीं पीपल बाबा और उनकी टीम सोशल डिस्टेंसिंग को फॉलो करते हुए अपने पेड़ लगाओ अभियान में जुटी हुई है। उनके मुताबिक जिंदगी का एक एक दिन अमूल्य है और हमें ईश्वर ने पेड़ लगने और देश के पर्यावरण को बचाने की जिम्मेदारी दी है। उन्होंने कहा, 'मैं अपना कार्य करके अपनी जिम्मेदारी को निभाना चाहता हूं। इस महामारी में हमें पहले खुद को सुरक्षित करना है, खुद को सुरक्षित रखते हुए देश को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी हर इंसान को निभानी है। लेकिन धरती पर बढ़ रहे ग्लोबल वॉर्मिंग और प्रदूषण से बचाने के लिए पेड़ लगाने का अभियान भी हमें जारी रखना है।
कोरोना से बचाव के सभी दिशा-निर्देशों का किया पालन
पीपल बाबा ने अपने स्वयंसेवकों के साथ कोरोना से बचाव के सभी दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए काम को जारी रखा है। पीपल बाबा कहते हैं कि जैसे कोरोना योद्धा (डॉक्टर, सफाईकर्मी, पुलिस कर्मी, प्रशासन और सामाजिक व राजनीतिक संस्थाओं के लोग अपना योगदान दे रहे हैं) वैसे ही हमारे पर्यावरण योद्धाओं नें अपने कार्य को जारी रखने की सहमति मांगी। 'हम सबने आपस में मीटिंग की और सभी नें सर्वसम्मति से इस कार्य को निरंतर जारी रखनें का कार्य किया है।
पेड़ अर्थव्यवस्था की रीढ़ है
पीपल बाबा बताते हैं 'पेड़ अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। पेड़ लकड़ी, फल, फूल, औषधि, उद्योगों के लिए कच्चे माल का जरिया हैं। इसके साथ-साथ पेड़ अपने जीवन काल में लोगों को ऑक्सीजन देते हैं। उद्योगों से हमारे वातावरण में जो गंदगी आती है उसे पेड़ अवशोषित करके बदले में ऑक्सीजन देते हैं। ये पेड़ भगवान शिव के साक्षात प्रतिबिम्ब हैं जो सृष्टि को बचानें के लिए बिष (जहर ) ग्रहण करते हैं।'
उन्होंने कोरोना के संदर्भ में पेड़ों के उपयोगिता की बात करते हुए कहा कि कोरोना से वह व्यक्ति आसानी से जीत सकता है, जिसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी हो और रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास शुद्ध वातावरण में ही होता है। शुद्ध वातावरण की परिकल्पना पेड़ों के बिना अधूरी है। इस समय देश के हर नागरिकों को एक-एक पेड़ जरूर लगा चाहिए।