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नई दिल्ली। भाजपा आलाकमान जो भी तय करे, लेकिन नेताजी अभी से ही खुद को विधायक के उम्मीदवार के तौर पर इलाके में पेश करने लगे हैं। इसका जिम्मा पीआर एजेंसी को सौंपा जा चुका है। जो लगातार फोन की घंटी बजाकर मतदाताओं को यह बता रही है कि किस विधानसभा से कौन सा प्रत्याशी चुनाव लड़ने वाला है। दूसरी तरफ कई ऐसे भी भाजपा नेता है जो संभावित उम्मीदवारों की सूची में अपना नाम शामिल नहीं किए जाने पर पार्टी के पर्यवेक्षकों पर सवाल उठा रहे हैं। ऐसे कार्यकर्ता राष्ट्रीय अध्यक्ष को पत्र लिखकर शिकायत भी कर रहे हैं।
अगामी विधानसभा चुनाव में टिकट के लिए अभी से ही जोर आजमाइश शुरू हो गई है। भाजपा नेताओं में इसकी बेचैनी खूब दिख रही है। कई नेता तो अभी से ही अपने को पार्टी का प्रत्याशी बता रहे हैं और पीआर एजेंसी के माध्यम से मतदाताओं के बीच प्रचार-प्रसार करने में जुट गए हैं। मोबाइल पर फोन करके यह बताया जा रहा है कि आपके इलाके से भाजपा नेता, पार्षद चुनावी मैदान में है। दूसरी तरफ पार्टी के कई नेताओं ने शिकायत का भी हथियार उठा लिया है। फिलहाल पार्टी दिल्ली के 70 विधान सभा क्षेत्रों में एक सर्वे करा रही है। इसके लिए पर्यवेक्षकों की टीम उतारी गई है, जो एक सूची तैयार कर रहे है। इस सूची में विधान सभा क्षेत्र के सभी प्रमुख पार्टी के प्रमुख उम्मीदवारों को शामिल किया जा रहा है। पर्यवेक्षकों की सूची में अपना नाम शामिल नहीं होता देख कई नेता टीम पर सवाल उठा रहे हैं। पिछले दिनों ही कई पार्षद व पूर्व पार्षदों ने शिकायत की है। पत्र लिखकर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह से भी इस बाबत शिकायत की गई है।
शिकायत वाले पत्र में स्पष्ट शब्दों में लिखा गया है कि पिछले तीन बार से चुनाव हारने का मुख्य कारण फर्जी चुनावी सर्वे है। सर्वे निष्पक्ष होनी चाहिए। शिकायत में यह दावा किया गया कि एक तरफा सर्वे सोची-समझी रणनीति के तहत किया जा रहा है ताकि उम्मीदवारों के चयन को प्रभावित किया जा सके और यह कह कर किनारा किया जाए कि सर्वे में आपका नाम ही नहीं है।
नई दिल्ली। भाजपा आलाकमान जो भी तय करे, लेकिन नेताजी अभी से ही खुद को विधायक के उम्मीदवार के तौर पर इलाके में पेश करने लगे हैं। इसका जिम्मा पीआर एजेंसी को सौंपा जा चुका है। जो लगातार फोन की घंटी बजाकर मतदाताओं को यह बता रही है कि किस विधानसभा से कौन सा प्रत्याशी चुनाव लड़ने वाला है। दूसरी तरफ कई ऐसे भी भाजपा नेता है जो संभावित उम्मीदवारों की सूची में अपना नाम शामिल नहीं किए जाने पर पार्टी के पर्यवेक्षकों पर सवाल उठा रहे हैं। ऐसे कार्यकर्ता राष्ट्रीय अध्यक्ष को पत्र लिखकर शिकायत भी कर रहे हैं।
अगामी विधानसभा चुनाव में टिकट के लिए अभी से ही जोर आजमाइश शुरू हो गई है। भाजपा नेताओं में इसकी बेचैनी खूब दिख रही है। कई नेता तो अभी से ही अपने को पार्टी का प्रत्याशी बता रहे हैं और पीआर एजेंसी के माध्यम से मतदाताओं के बीच प्रचार-प्रसार करने में जुट गए हैं। मोबाइल पर फोन करके यह बताया जा रहा है कि आपके इलाके से भाजपा नेता, पार्षद चुनावी मैदान में है। दूसरी तरफ पार्टी के कई नेताओं ने शिकायत का भी हथियार उठा लिया है। फिलहाल पार्टी दिल्ली के 70 विधान सभा क्षेत्रों में एक सर्वे करा रही है। इसके लिए पर्यवेक्षकों की टीम उतारी गई है, जो एक सूची तैयार कर रहे है। इस सूची में विधान सभा क्षेत्र के सभी प्रमुख पार्टी के प्रमुख उम्मीदवारों को शामिल किया जा रहा है। पर्यवेक्षकों की सूची में अपना नाम शामिल नहीं होता देख कई नेता टीम पर सवाल उठा रहे हैं। पिछले दिनों ही कई पार्षद व पूर्व पार्षदों ने शिकायत की है। पत्र लिखकर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह से भी इस बाबत शिकायत की गई है।
शिकायत वाले पत्र में स्पष्ट शब्दों में लिखा गया है कि पिछले तीन बार से चुनाव हारने का मुख्य कारण फर्जी चुनावी सर्वे है। सर्वे निष्पक्ष होनी चाहिए। शिकायत में यह दावा किया गया कि एक तरफा सर्वे सोची-समझी रणनीति के तहत किया जा रहा है ताकि उम्मीदवारों के चयन को प्रभावित किया जा सके और यह कह कर किनारा किया जाए कि सर्वे में आपका नाम ही नहीं है।