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नई दिल्ली। हाईकोर्ट ने नर्सरी दाखिले में बच्चों के साथ भेदभाव करने के निजी स्कूलों के रवैये पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने स्कूलों द्वारा गांगुली कमेटी की सिफारिशों के अनुसार दाखिला देने के तर्क को खारिज कर दिया। साथ ही स्पष्ट किया कि कोर्ट गांगुली कमेटी की रिपोर्ट पर विचार नहीं करेगी।
मुख्य न्यायाधीश डी.मरुगेसन व न्यायमूर्ति वीके जैन की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के दौरान निजी स्कूलों की एसोसिएशन के अधिवक्ता ने तर्क रखा कि दाखिलों में समानता व पारदर्शिता का पूरा ख्याल रखा गया है और केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना ठीक है। खंडपीठ ने उनके तर्कों पर असहमति जताते हुए कहा कि आप कभी कोई नियम बना देते हैं तो कभी कोई। दाखिलों के लिए निर्धारित नियमों से भारतीय संविधान में बच्चों को शिक्षा के लिए मिले समानता के अधिकार का हनन हो रहा है। कोर्ट ने पूछा कि क्या आप स्वयं आश्वस्त हैं कि तय दिशा निर्देश उचित हैं। एसोसिएशन द्वारा पेश सभी तर्कों को खारिज करते हुए खंडपीठ ने कहा कि यहां बच्चों की आरंभिक शिक्षा का मामला है न कि 12वीं की शिक्षा का। हमारा उद्देश्य मात्र इतना है कि बच्चों के साथ भेदभाव न हो। एसोसिएशन के अधिवक्ता ने आखिर में तर्क रखा कि गांगुली कमेटी की सिफारिशों के तहत दाखिले प्रदान किए जाएं, क्योंकि इस कमेटी का गठन अदालत के आदेश पर ही हुआ था। उन्होंने कहा कि दाखिलों में ड्रॉ सिस्टम अंतिम हल नहीं है। खंडपीठ ने इस तर्क को भी खारिज कर दिया और कहा कि हम छोटे मुद्दे पर सुनवाई कर रहे हैं और इस मुद्दे पर गांगुली कमेटी की रिपोर्ट पर विचार नहीं करेंगे। सुनवाई कल भी जारी रहेगी।
असमंजस में पैरेंट्स
नई दिल्ली। नर्सरी में शैक्षणिक सत्र 2013-14 दाखिला प्रक्रिया को लेकर चल रही कोर्ट में सुनवाई से अभिभावकों के सामने कई सवाल खड़े हो गए हैं। जैसे दाखिले के लिए क्या दोबारा गाइडलाइंस जारी होंगी, क्या फिर से दाखिला प्रक्रिया से गुजरना होगा, फीस और डोनेशन दे चुके अभिभावक अब क्या करेंगे। हालांकि कुछ ऐसे भी अभिभावक हैं जो कह रहे हैं कि अगर दाखिला गरीब कोटे की भांति सिर्फ लॉटरी से हो तो स्कूलों में हो रही ब्रांडिंग समाप्त हो जाएगी। एडमिशंस नर्सरी डॉट कॉम के संस्थापक सुमीत वोहरा ने बताया कि कई अभिभावकों को इस बात की चिंता सता रही है कि दाखिला हो जानेे के बाद सरकार कोई ऐसा कदम न उठा ले, जिसके कारण उनके बच्चे का साल खराब हो जाए।
नई दिल्ली। हाईकोर्ट ने नर्सरी दाखिले में बच्चों के साथ भेदभाव करने के निजी स्कूलों के रवैये पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने स्कूलों द्वारा गांगुली कमेटी की सिफारिशों के अनुसार दाखिला देने के तर्क को खारिज कर दिया। साथ ही स्पष्ट किया कि कोर्ट गांगुली कमेटी की रिपोर्ट पर विचार नहीं करेगी।
मुख्य न्यायाधीश डी.मरुगेसन व न्यायमूर्ति वीके जैन की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के दौरान निजी स्कूलों की एसोसिएशन के अधिवक्ता ने तर्क रखा कि दाखिलों में समानता व पारदर्शिता का पूरा ख्याल रखा गया है और केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना ठीक है। खंडपीठ ने उनके तर्कों पर असहमति जताते हुए कहा कि आप कभी कोई नियम बना देते हैं तो कभी कोई। दाखिलों के लिए निर्धारित नियमों से भारतीय संविधान में बच्चों को शिक्षा के लिए मिले समानता के अधिकार का हनन हो रहा है। कोर्ट ने पूछा कि क्या आप स्वयं आश्वस्त हैं कि तय दिशा निर्देश उचित हैं। एसोसिएशन द्वारा पेश सभी तर्कों को खारिज करते हुए खंडपीठ ने कहा कि यहां बच्चों की आरंभिक शिक्षा का मामला है न कि 12वीं की शिक्षा का। हमारा उद्देश्य मात्र इतना है कि बच्चों के साथ भेदभाव न हो। एसोसिएशन के अधिवक्ता ने आखिर में तर्क रखा कि गांगुली कमेटी की सिफारिशों के तहत दाखिले प्रदान किए जाएं, क्योंकि इस कमेटी का गठन अदालत के आदेश पर ही हुआ था। उन्होंने कहा कि दाखिलों में ड्रॉ सिस्टम अंतिम हल नहीं है। खंडपीठ ने इस तर्क को भी खारिज कर दिया और कहा कि हम छोटे मुद्दे पर सुनवाई कर रहे हैं और इस मुद्दे पर गांगुली कमेटी की रिपोर्ट पर विचार नहीं करेंगे। सुनवाई कल भी जारी रहेगी।
असमंजस में पैरेंट्स
नई दिल्ली। नर्सरी में शैक्षणिक सत्र 2013-14 दाखिला प्रक्रिया को लेकर चल रही कोर्ट में सुनवाई से अभिभावकों के सामने कई सवाल खड़े हो गए हैं। जैसे दाखिले के लिए क्या दोबारा गाइडलाइंस जारी होंगी, क्या फिर से दाखिला प्रक्रिया से गुजरना होगा, फीस और डोनेशन दे चुके अभिभावक अब क्या करेंगे। हालांकि कुछ ऐसे भी अभिभावक हैं जो कह रहे हैं कि अगर दाखिला गरीब कोटे की भांति सिर्फ लॉटरी से हो तो स्कूलों में हो रही ब्रांडिंग समाप्त हो जाएगी। एडमिशंस नर्सरी डॉट कॉम के संस्थापक सुमीत वोहरा ने बताया कि कई अभिभावकों को इस बात की चिंता सता रही है कि दाखिला हो जानेे के बाद सरकार कोई ऐसा कदम न उठा ले, जिसके कारण उनके बच्चे का साल खराब हो जाए।