नई दिल्ली। हाईकोर्ट ने सुखदेव विहार आवासीय कॉलोनी के पास बने ओखला वेस्ट पावर प्लांट को बंद करने की मांग संबंधी याचिका को नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) के पास स्थानांतरित कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश डी. मुरुगेसन व न्यायमूर्ति वीके जैन की खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के तहत देश के किसी भी हिस्से में पर्यावरण व प्रदूषण मामलों की सुनवाई नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल में ही की जा सकती है। बता दें कि सुखदेव विहार वेलफेयर सोसायटी, जसोला व आसपास की कई अन्य कॉलोनियों ने ओखला वेस्ट पावर प्लांट को बंद कराने के लिए अदालत में याचिका दायर की थी। उनके अधिवक्ता ने तर्क रखा कि पावर प्लांट सुखदेव विहार कॉलोनी से मात्र 200 मीटर की दूरी पर बना है। प्लांट में कचरे को जलाकर बिजली का उत्पादन किया जाता है। इस दौरान कई हानिकारक गैस निकलती हैं। इससे कैंसर की संभावना बढ़ जाती है, इतना ही नहीं स्थानीय लोगों को विभिन्न प्रकार के रोग हो रहे हैं। उन्होंने कहा पर्यावरण अधिनियम के तहत इस प्रकार का कोई भी संयंत्र आवासीय कॉलोनी के पास नहीं लगाया जा सकता। अपने फैसले में खंडपीठ ने कहा कि भोपाल गैस त्रासदी को देखते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने ट्रिब्युनल के गठन का निर्देश दिया था, ताकि जल्द सुनवाई कर ऐसे मामलों का निपटारा हो सके। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में सभी हाईकोर्ट को निर्देश दिया है कि वे इस प्रकार के मामलों की सुनवाई न कर उसे ट्रिब्युनल में स्थानांतरित करें।
नई दिल्ली। हाईकोर्ट ने सुखदेव विहार आवासीय कॉलोनी के पास बने ओखला वेस्ट पावर प्लांट को बंद करने की मांग संबंधी याचिका को नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) के पास स्थानांतरित कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश डी. मुरुगेसन व न्यायमूर्ति वीके जैन की खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के तहत देश के किसी भी हिस्से में पर्यावरण व प्रदूषण मामलों की सुनवाई नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल में ही की जा सकती है। बता दें कि सुखदेव विहार वेलफेयर सोसायटी, जसोला व आसपास की कई अन्य कॉलोनियों ने ओखला वेस्ट पावर प्लांट को बंद कराने के लिए अदालत में याचिका दायर की थी। उनके अधिवक्ता ने तर्क रखा कि पावर प्लांट सुखदेव विहार कॉलोनी से मात्र 200 मीटर की दूरी पर बना है। प्लांट में कचरे को जलाकर बिजली का उत्पादन किया जाता है। इस दौरान कई हानिकारक गैस निकलती हैं। इससे कैंसर की संभावना बढ़ जाती है, इतना ही नहीं स्थानीय लोगों को विभिन्न प्रकार के रोग हो रहे हैं। उन्होंने कहा पर्यावरण अधिनियम के तहत इस प्रकार का कोई भी संयंत्र आवासीय कॉलोनी के पास नहीं लगाया जा सकता। अपने फैसले में खंडपीठ ने कहा कि भोपाल गैस त्रासदी को देखते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने ट्रिब्युनल के गठन का निर्देश दिया था, ताकि जल्द सुनवाई कर ऐसे मामलों का निपटारा हो सके। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में सभी हाईकोर्ट को निर्देश दिया है कि वे इस प्रकार के मामलों की सुनवाई न कर उसे ट्रिब्युनल में स्थानांतरित करें।
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