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नई दिल्ली। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने जेंडर स्टडी और मानवाधिकार कोर्स शुरू करने के साथ ही शुक्रवार को स्कूलों में जेंडर सेंसिटाइजेशन (लिंग संवेदीकरण) सेल स्थापित करने की कवायद शुरू कर दी है। सेल स्थापित करने के पीछे बोर्ड का उद्देश्य बच्चों में लिंग जागरूकता को विकसित करना है। स्त्री और पुरुष समानता के लिए प्रयास करने वाले स्कूलों को सीबीएसई वित्तीय सहायता भी प्रदान करेगा। सीबीएसई ने शुक्रवार को जेंडर सेंसिटाइजेशन अभियान की शुरुआत की। इस अवसर पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। सीबीएसई का मानना है कि लिंग संवेदीकरण समय की जरूरत है। इसके लिए बच्चों व शिक्षकों को एकजुट करने की आवश्यकता है। कार्यशाला में देश के 125 स्कूलों के बच्चों व लगभग 500 शिक्षकों ने हिस्सा लिया। बच्चों ने लैंगिक मुद्दों पर नुक्कड़ नाटक व फिल्म स्क्रीनिंग की प्रस्तुति दी। स्वामी विवेकानंद के दर्शन को प्रतिबिंबित करने वाले साहसिक कार्य के लिए बोर्ड ने देशभर के 40 स्कूलों को पुरस्कृत किया। कार्यशाला में स्वामी विवेकानंद की 150वीं जयंती के अवसर पर अवेकनिंग इंडिया कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया। इस दौरान सीबीएसई ने जेंडर सेंसिटाइजेशन और स्वामी विवेकानंद पर एक विवरण पुस्तिका अवेकनिंग इंडिया का विमोचन भी किया। रामाकृष्ण मिशन के सचिव स्वामी शांतामनंदा ने कहा कि सीबीएसई की ओर से उठाया गया यह प्रयास काफी सराहनीय है। सीबीएसई अध्यक्ष विनीत जोशी ने जेंडर सेंसिटाइजेशन सेल की स्थापना करने की घोषणा करते हुए कहा कि छात्रों में समाज को बदलने की क्षमता है। हमें वर्तमान पीढ़ी की मदद लेनी ही होगी, जो अन्य लोगों को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण साबित होगी।
नई दिल्ली। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने जेंडर स्टडी और मानवाधिकार कोर्स शुरू करने के साथ ही शुक्रवार को स्कूलों में जेंडर सेंसिटाइजेशन (लिंग संवेदीकरण) सेल स्थापित करने की कवायद शुरू कर दी है। सेल स्थापित करने के पीछे बोर्ड का उद्देश्य बच्चों में लिंग जागरूकता को विकसित करना है। स्त्री और पुरुष समानता के लिए प्रयास करने वाले स्कूलों को सीबीएसई वित्तीय सहायता भी प्रदान करेगा। सीबीएसई ने शुक्रवार को जेंडर सेंसिटाइजेशन अभियान की शुरुआत की। इस अवसर पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। सीबीएसई का मानना है कि लिंग संवेदीकरण समय की जरूरत है। इसके लिए बच्चों व शिक्षकों को एकजुट करने की आवश्यकता है। कार्यशाला में देश के 125 स्कूलों के बच्चों व लगभग 500 शिक्षकों ने हिस्सा लिया। बच्चों ने लैंगिक मुद्दों पर नुक्कड़ नाटक व फिल्म स्क्रीनिंग की प्रस्तुति दी। स्वामी विवेकानंद के दर्शन को प्रतिबिंबित करने वाले साहसिक कार्य के लिए बोर्ड ने देशभर के 40 स्कूलों को पुरस्कृत किया। कार्यशाला में स्वामी विवेकानंद की 150वीं जयंती के अवसर पर अवेकनिंग इंडिया कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया। इस दौरान सीबीएसई ने जेंडर सेंसिटाइजेशन और स्वामी विवेकानंद पर एक विवरण पुस्तिका अवेकनिंग इंडिया का विमोचन भी किया। रामाकृष्ण मिशन के सचिव स्वामी शांतामनंदा ने कहा कि सीबीएसई की ओर से उठाया गया यह प्रयास काफी सराहनीय है। सीबीएसई अध्यक्ष विनीत जोशी ने जेंडर सेंसिटाइजेशन सेल की स्थापना करने की घोषणा करते हुए कहा कि छात्रों में समाज को बदलने की क्षमता है। हमें वर्तमान पीढ़ी की मदद लेनी ही होगी, जो अन्य लोगों को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण साबित होगी।