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Manu who lost both his hands in a train accident is now living normal life after hand transplant
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मनु की कहानी देती है हिम्मत: रेल हादसे में गंवाए हाथ, 8 साल पहले हुआ था हैंड ट्रांसप्लांट; ऐसे मिली नई जिंदगी
राकेश शर्मा, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अनुज कुमार
Updated Sat, 03 Jun 2023 10:22 AM IST
रेल हादसे में दोनों हाथ गंवाने वाले मनु अब हैंड ट्रांसप्लांट के बाद नॉर्मल लाइफ जी रहे हैं। कोच्चि स्थिति अमृता अस्पताल से मनु को एक नई रोशनी मिली। अमृता अस्पताल के फरीदाबाद सेंटर में भी यह सेवा जल्द शुरू होगी।
डॉ. अय्यर के साथ हैंड ट्रांसप्लांट मरीज मनु
- फोटो : अमर उजाला
कोच्चि रेल दुर्घटना में दोनों हाथ गंवा चुके मनु को विश्वास ही नहीं था कि वह फिर से किसी का चित्र खींच पाएगा। लंबे समय तक कटे हुए हाथों के साथ जिंदगी बिताने के बाद कोच्चि स्थिति अमृता अस्पताल से मनु को एक नई रोशनी मिली।
अमृता आयुर्विज्ञान संस्थान ने मनु को दी नई जिंदगी
अमृता आयुर्विज्ञान संस्थान में सिर और गर्दन व प्लास्टिक और पुनर्निर्माण सर्जरी और ऑन्कोलॉजी-क्रानियोमैक्सिलोफेशियल सर्जरी के अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. सुब्रमण्यम अय्यर ने देश में पहली बार हाथों का प्रत्यारोपण करने का फैसला किया। इस फैसले के साथ ही एक स्वस्थ हाथों की तलाश की गई और करीब डेढ़ साल इंतजार करने के बाद सड़क दुर्घटना में जिंदगी गंवाने वाले विज्यो से मनु को हाथ मिले। इसके बाद उनके दोनों हाथों का प्रत्यारोपण हो सका हैंड ट्रांसप्लांट के करीब 8 साल बाद मनु सामान्य जिंदगी जी रहा है और उसके दोनों हाथ भी सामान्य रूप से काम कर रहे।
अमृता अस्पताल फरीदाबाद सेंटर में जल्द शुरू होगी सेवा
देश में हुए पहले सफल हैंड ट्रांसप्लांट के बाद से इस सेवा की मांग बढ़ गई है, जिसे देखते हुए अमृता अस्पताल के फरीदाबाद सेंटर में भी यह सेवा जल्द शुरू होगी। फरीदाबाद स्थित अस्पताल को ऑर्गन डोनेशन के लिए सभी जरूरी मंजूरी मिल चुकी है। ऑर्गन ट्रांसप्लांट लाइसेंस मिलने के बाद अस्पताल प्रशासन अंग प्रत्यार्पण के लिए सुविधाएं जुटाने में लगा है। अमृता कोच्चि की टीम फरीदाबाद में ऑपरेशन थिएटर तैयार कर चुकी है और डॉक्टरों की ट्रेनिंग चल रही है। बता दें कि हाथों का ट्रांसफर दुर्घटना में हाथ गंवाने वालों पर पूरी तरह से कारगर है। हालांकि जन्म से ही हाथ ना होने वालों पर यह कारगर नहीं है।
ऐसा लगा मानों जिंदगी खत्म हो गई
रेल दुर्घटना में हाथ गंवाने वाले मनु का कहना है कि जब हाथ कट गए थे तब लगा था कि जिंदगी ही खत्म हो गई है। अमृता अस्पताल में हुए मुक्त हाथों के प्रत्यारोपण के करीब आठ माह बाद सामान्य रूप से काम कर रहा हूं। मुझे अब लगता ही नहीं कि मेरे हाथ कट गए मैं पहले जैसी सामान्य जिंदगी जी रहा हूं।
देश में 40 मरीजों का हुआ प्रत्यारोपण
देश में करीब 40 मरीजों का हाथों का ट्रांसप्लांट हो चुका है। इनमें से 14 मरीजों को हैंड ट्रांसप्लांट अमृता अस्पताल में हुआ हैं। इन 14 मरीजों में 26 हाथ लगाए गए हैं। इन 14 मरीजों में से 2 मरीजों का एक तरफ का कंधा खराब होने के कारण की केवल एक ही हाथ लगाया जा सका। वहीं अस्पताल के छह केंद्रों 26 मरीजों के 47 लगाए गए हैं। अमृता अस्पताल में हुए ट्रांसप्लांट का आंकड़ा दुनिया के अन्य अस्पतालों में सबसे अधिक है।
डॉक्टरों की 4 टीमें करती हैं सर्जरी
हाथों के प्रत्यारोपण के लिए डॉक्टरों की 4 टीम एक साथ काम करती है। इनमें से 2 टीम मरीज के हाथ को अंग को स्वीकार करने के लिए तैयार करती हैं जबकि दूसरी दो टीम मृतक के हाथों को ट्रांसप्लांट के लिए तैयार करते हैं। करीब 16 घंटे सर्जरी के बाद यह प्रत्यारोपण हो पाता है। प्रत्यारोपण के बाद लंबे समय तक मरीज डॉक्टरों की निगरानी में रहता है। साथ ही फिजियोथेरेपी व अन्य विभाग जांच करते हैं कि लगाया गया अंग सही से काम कर रहा है या नहीं।
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