नई दिल्ली। उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को एक व्यक्ति को अदालत के आदेशों के बावजूद चहारदीवारी को ध्वस्त करने पर 45 दिनों के साधारण कारावास की सजा सुनाई है। अदालत ने दोषी पर दो हजार रुपये जुर्माना भी लगाया है।
न्यायमूर्ति सुब्रह्मण्यम प्रसाद ने कहा कि जिस तरह से श्याम सुंदर त्यागी नाम के व्यक्ति ने जेसीबी का उपयोग करके दीवार को गिराया है, वह दर्शाता है कि उसने याचिकाकर्ताओं को आतंकित करने का इरादा रखा था। उसका कृत्य यह भी दर्शाता है कि उसकी नजर में अदालत के आदेशों के प्रति बहुत कम सम्मान है। आरोपी ने अदालत की गरिमा को कम किया और कानून की महिमा को अपमानित किया। अदालत ने कहा अवमानना का उद्देश्य अदालतों की महिमा और गरिमा को बनाए रखना है, क्योंकि अदालतों द्वारा दिए सम्मान और अधिकार एक सामान्य नागरिक के लिए सबसे बड़ी गारंटी हैं। यदि न्यायपालिका को कम आंका गया तो समाज में लोकतांत्रिक ताना-बाना बिखर जाएगा। कोर्ट ने कहा कि आरोपी किसी दया का पात्र नहीं हैं और समाज को एक कड़ा संदेश देना होगा कि अदालत के आदेशों की अवहेलना नहीं की जा सकती। उच्च न्यायालय ने यह फैसला निर्मल जिंदल नाम की एक महिला द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। अदालत ने याचिकाकर्ता को इस शर्त पर दीवार बनाने की अनुमति दी थी कि अगर राजस्व विभाग को पता चलता है कि संपत्ति वास्तव में दूसरी तरफ की है तो उसे ध्वस्त कर दिया जाएगा। कोर्ट ने उन्हें पुलिस सुरक्षा भी दी थी। हालांकि 3 जनवरी को श्यामसुंदर त्यागी एक बुलडोजर और कुछ आदमियों के साथ आया और दीवार को गिरा दिया।