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World Environment Day : ई-वाहनों से बदलेगी दिल्ली की आब-ओ-हवा, प्रदूषण कम करने के लिए दिया जा रहा बढ़ावा

सर्वेश कुमार, नई दिल्ली Published by: दुष्यंत शर्मा Updated Mon, 05 Jun 2023 03:25 AM IST
सार

अगर औसतन एक बस 200 किलोमीटर की दूरी तय करती है तो 1800 बसों से कार्बन डायऑक्साइड के उत्सर्जन में करीब 91 हजार टन कमी आएगी।

Delhi's atmosphere will change with e-vehicles
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प्रदूषण की चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार ई-वाहनों को बढ़ावा दे रही है। राजधानी में फिलहाल 300 ई-बसें है और साल के अंत तक यह संख्या बढ़कर 1800 तक हो जाएगी। अगर औसतन एक बस 200 किलोमीटर की दूरी तय करती है तो 1800 बसों से कार्बन डायऑक्साइड के उत्सर्जन में करीब 91 हजार टन कमी आएगी।



दिल्ली की जीवनरेखा बन चुकी मेट्रो भी बिजली से चलती है और इससे भी सालाना लाखों टन कार्बन उत्सर्जन में कमी दर्ज की जा रही है। सार्वजनिक परिवहन के तौर पर ई-वाहनों के विकल्प को अपनाने से न केवल सहूलियतें बढ़ेंगी, बल्कि पर्यावरण को बेहतर बनाने में भी इनकी अहम भूमिका होगी।


परिवहन विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक 1500 नई ई-बसें नवंबर तक बेड़े में शामिल होने की उम्मीद है। फिलहाल 300 ई-बसें दिल्ली में चल रही है। 1500 बसें अगर रोजाना 200 किलोमीटर चलें तो सालाना 76000 टन कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन कम होगा। संख्या 1800 तक होने पर यह आंकड़ा 91 हजार टन तक होगा।

कार्बन क्रेडिट से करोड़ों की कमाई कर रही मेट्रो
मेट्रो में स्वच्छ ऊर्जा स्रोत का इस्तेमाल किए जाने से ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी भी दर्ज की जा रही है। 2012-2018 के दौरान दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने कार्बन उत्सर्जन में 35.5 लाख टन कार्बन क्रेडिट अर्जित की। इससे पर्यावरण बेहतर होने सहित सालाना कार्बन क्रेडिट की बिक्री से करोड़ों की कमाई भी हो रही है। मेट्रो में चलने से रोजाना सड़कों से लाखों की संख्या में वाहन कम होने से प्रदूषण कम होने से पर्यावरण में सुधार हो रहा है।

सार्वजनिक परिवहन में सुधार से निजी वाहन होंगे कम
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवाॅयरमेंट की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉय चौधरी के मुताबिक दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन को बेहतर करने के लिए जरूरी है कि ई-वाहनों को बढ़ावा दिया जाए। इससे अधिक जरूरी है कि सार्वजनिक परिवहन का स्तर इतना बेहतर हो कि दूसरे देशों की तर्ज पर यहां लोग निजी वाहनों को छोड़कर सार्वजनिक परिवहन अपनाने लगे। इससे सड़कों से लाखों निजी वाहन कम होने से पर्यावरण में सुधार होगा।

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