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हांगकांग के हैकर्स ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के पूरे डाटा को लॉक (एनक्रिप्टेड) कर दिया है। साथ ही, धमकी दी है कि डाटा को वही अनलॉक (डीक्रिप्टेड) कर सकते हैं। दुनिया में किसी भी मार्केट में ऐसा सॉफ्टवेयर नहीं है जो डाटा को अनलॉक कर सके। अगर किसी डाटा को अनलॉक करने की कोशिश की गई तो एम्स का पूरा डाटा उड़ जाएगा।
हैकर्स ने कहा है कि जितनी जल्दी पैसे मिलेंगे, उतनी जल्दी और कुछ ही समय में डाटा अनलॉक हो जाएगा। ये खुलासा कंप्यूटर सुविधा की प्रोफेसर इन इंचार्ज डॉ. पूजा गुप्ता की ओर से दिल्ली पुलिस को साइबर अटैक को लेकर दी गई गुप्त रिपोर्ट से हुआ है। वहीं, हैकर्स के पैसे मांगने पर दिल्ली पुलिस ने एफआईआर में आईसीपी की धारा 385 (जबरदस्ती उगाही) जोड़ी है। हालांकि, दिल्ली पुलिस की प्रवक्ता सुमन नलवा ने कुछ दिन पहले अधिकारिक बयान जारी किया था कि हैकर्स की ओर से पैसा नहीं मांगा गया है।
हैकर्स ने एम्स के सर्वर पर दो ईमेल से 23 नवंबर की सुबह 7 बजकर 7 मिनट और 49 सेकंड पर साइबर अटैक किया था। इसके बाद एम्स का मेन सर्वर व एप्लीकेशन सर्वर पूरी तरह ठप हो गया था। एम्स के एक बड़े अधिकारी के मुताबिक, गुप्त रिपोर्ट में कहा गया है कि एम्स की सभी फाइल्स (डाटा) को एक फोल्डर में आरएसए-2048 सॉफ्टवेयर से सुरक्षित रखा गया है। हैकर्स ने कहा है कि कितना पैसा देना है ये डाटा को रिपेयर करने पर निर्भर करेगा। जितने जल्दी पैसा मिलेगा, उतनी जल्द ही डाटा अनलॉक हो जाएगा। पैसे मिलते ही एम्स के आईटी विभाग को डाटा अनलॉक करने की चाबी भेज दी जाएगी।
तीसरी पार्टी के सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल न करें
हैकर्स ने चेतावनी दी है कि डाटा को अनलॉक करने के लिए तीसरी पार्टी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल न करें। अगर ऐसा किया तो पूरा डाटा उड़ जाएगा। उनका प्रोग्राम सभी फाइल्स को कुछ ही मिनट में रिपेयर कर देगा और सर्वर पहले की तरह एकदम सही तरीके से काम करने लगेंगे। एम्स में इस मामले में एनआईसी को भी सूचित किया है।