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Delhi : फर्जी वीडियो से चुनाव में भड़काए जा सकते हैं दंगे, एआई के दुरुपयोग की मिली एक और मिसाल

पुरुषोत्तम वर्मा, नई दिल्ली Published by: दुष्यंत शर्मा Updated Wed, 07 Jun 2023 06:16 AM IST
सार

बस में विनेश व संगीता फोगाट समेत अन्य पहलवान गंभीर मुद्रा में बैठे थे, लेकिन कुछ देर बाद इनकी हंसते हुए फोटो वायरल हो गई थी। कुछ समय बाद पता लगा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के जरिये फोटो से छेड़छाड़ कर डीप फेक इमेज बना दी गई थी। 

Delhi : Fake videos can incite riots in elections
ऊपर है असली और नीचे छेड़छाड़ के बाद बनाया गया चित्र... - फोटो : अमर उजाला

विस्तार
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नए संसद भवन के शुभारंभ के समय वहां महापंचायत करने जा रहीं महिला पहलवानों को दिल्ली पुलिस ने हिरासत में लिया था। बस में विनेश व संगीता फोगाट समेत अन्य पहलवान गंभीर मुद्रा में बैठे थे, लेकिन कुछ देर बाद इनकी हंसते हुए फोटो वायरल हो गई थी। कुछ समय बाद पता लगा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के जरिये फोटो से छेड़छाड़ कर डीप फेक इमेज बना दी गई थी। 



इससे उस समय पहलवानों की छवि पर काफी असर पड़ा था। इसी तरह कुछ नेताओं के भी फर्जी वीडियो बनाकर वायरल किए जा चुके हैं। अब दिल्ली पुलिस समेत सुरक्षा एजेंसियों को इनपुट मिले हैं कि डीप फेक वीडियो का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल कर शरारती तत्व आगामी लोकसभा चुनाव में बाधा डाल सकते हैं। चुनावों के दौरान दंगे भी कराए जा सकते हैं। ऐसे में दिल्ली पुलिस ने इसे चुनौती मानते हुए खुद को तैयार करना शुरू कर दिया है। 


स्पेशल सेल की इंटेलीजेंस फ्यूजन स्ट्रैटजिक ऑपरेशंस (आईएफएसओ) यूनिट खुद को इस स्तर तक तैयार कर रही है कि कुछ समय में पता लगाया जा सके कि कौन से वीडियो सही और कौन से फर्जी हैं। आईएफएसओ के पुलिस उपायुक्त प्रशांत गौतम का कहना है कि एआई के जरिये बन रही फेक डीप वीडियो व इमेज बड़ी चुनौती बन गई है। इसे समाज व देश को बड़े पैमाने पर नुकसान हो सकता है। जब तक पता लगता है कि वीडियो फर्जी हैं, तब तक पीड़ित का बहुत नुकसान हो चुका होता है।

तकनीकी तरीके से जांच जरूरी
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस समस्या से निजात के लिए आईएफएसओ में तकनीकी विशेषज्ञ पुलिसकर्मियों की टीम तैयार की जा रही है। डीप फेक वीडियो की बहुत कम समय में वैज्ञानिक तरीके से जांच जरूरी है, ताकि लोगों को वीडियो व इमेज के बारे में बताया जा सके। इसके लिए दिल्ली पुलिस टूल्स विकसित कर रही है। देश के तकनीकी विशेषज्ञोंं की मदद ली जाएगी। डीप फेक वीडियो व फोटो का पता लगाकर उसे सोशल मीडिया से हटवाया जाएगा। 

नेताओं के भी वीडियो किए गए थे वायरल
20 अक्तूबर, 2020 को भाजपा सांसद मनोज तिवारी की मतदाताओं को संबोधित करते हुए दो वीडियो वायरल हुए थे। एक में वह अंग्रेजी में बोल रहे हैं, लेकिन इस भाषण के दूसरे वीडियो में उन्हें हरियाणवी में बोलते हुए दिखाया गया। इसी तरह दिल्ली कैंट इलाके में बच्ची से दुष्कर्म व हत्या मामले में कांग्रेस के महासचिव का वीडियो वायरल हुआ था। काफी समय बाद पता लगा कि ये भी डीप फेक वीडियो था, लेकिन तब तक कांग्रेस नेता की छवि पर काफी असर पड़ा था।

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