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भारतीय अंतरिक्ष मिशन गगनयान की लॉन्चिंग से पहले अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली अंतरिक्ष यात्रियों की दिमागी हलचल पर अध्ययन कर रहा है। इसके तहत यह पता करने की कोशिश है कि स्पेस सूट पहनने के बाद मानव मस्तिष्क की प्रतिक्रिया पर क्या असर पड़ता है। विशेषज्ञों की मानें तो मिशन गगनयान के यात्रियों के लिए यह अध्ययन काफी फायदेमंद साबित होगा। इससे उनको अंतरिक्ष यात्रा की योजना बनाने में सहूलियत होगी। उम्मीद है कि अगले छह माह के भीतर इसके ठोस नतीजे सामने आएंगे।
स्पेस सूट पहनने से दिमाग तक पहुंचने वाले सिग्नल होते हैं प्रभावित
दरअसल, एम्स का शरीर क्रिया विज्ञान विभाग लैब में व्यक्ति को स्पेस सूट पहनाकर उसके शारीरिक क्रिया पर नजर रख रहा है। स्पेस सूट पहनाने के बाद उसमें हवाओं का दबाव बढ़ाया जाता है, जिससे शरीर के अंग भी अंतरिक्ष के आधार पर काम करें। इस दौरान लैब में यह देखा जा रहा है कि सूट पहनने के बाद व्यक्ति के शरीर के अंगों में किस तरह की हलचल या घटना होती है। शरीर के अन्य अंगों से सूचना दिमाग तक कितने समय में पहुंच पाती है और दिमाग कितनी देर में प्रतिक्रिया करता है। इस शोध के माध्यम से अंतरिक्ष में यात्री के सोचने-समझने की क्षमता का अध्ययन किया जाएगा। इसमें देखा जाएगा कि यह क्षमता घटेगी या बढ़ेगी जो भविष्य में किसी भी प्रकार के सुधार के लिए फायदेमंद होगा।
अंतरिक्ष में भेजे जाएंगे मानव
अंतरिक्ष में मानव को ले जाने के लिए गगनयान योजना पर देश काम कर रहा है। योजना के संबंध में बीते दिनों केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा था कि इसके तीसरे लॉन्च में अंतरिक्ष यात्री भेजे जाएंगे। उन्होंने कहा था कि गगनयान की लॉन्चिंग आत्मनिर्भरता का उत्कृष्ट प्रतीक होगा। इससे देश का विश्वास बढ़ेगा। यह अपने आप में एक ऐतिहासिक पहल होगी क्योंकि अंतरिक्ष की हमारी यात्रा अमेरिका और रूस के मुकाबले काफी देरी से शुरू हुई थी। लेकिन आज हमारे देश के अनुसंधान अमेरिका और रूस के स्तर के हैं।
दिमाग हर क्रिया से पहले देता है सिग्नल
शरीर में कोई भी क्रिया होने से पहले दिमाग सिग्नल देता है। विभाग के वरिष्ठ डॉक्टरों की मानें तो शरीर के किसी भी हिस्से में हरकत होने से पहले वह क्रिया करने के लिए दिमाग को सिग्नल देता है। इसे मूवमेंट रिलेटेड पोटेंशियल (एमआरपीए) कहते हैं। वहीं, दिमाग जब प्रतिक्रिया देता है तो उसे इलेक्ट्रोमोग्राफी (ईएमजी) कहते हैं। सामान्य व्यक्ति में शरीर के अंग से दिमाग तक पहुंचने वाली सूचना और दिमाग से वापस मिलने वाली प्रतिक्रिया की गति एक हजार से डेढ़ हजार मिली सेकंड (एक सेकंड का हजारवां) होती है। इसके सिग्नल भी मजबूत होते हैं। इस गति घटने या सिग्नल कमजोर होने से दिमाग के सोचने समझने की क्षमता पर प्रभाव पड़ता है। चिकित्सकों का कहना है कि पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण में मनुष्य का शरीर अलग तरह से काम करता है। जबकि अंतरिक्ष में अलग प्रभाव होता है।