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Delhi AIIMS: एम्स में शुरू होगा एशिया-प्रशांत का पहला रोबोटिक सर्जरी ट्रेनिंग सेंटर, संस्थान सिखाएगा सर्जरी

अमर उजाला नेटवर्क, नई दिल्ली Published by: विजय पुंडीर Updated Sat, 18 Mar 2023 09:51 PM IST
सार

एम्स के निदेशक डॉ. एम श्रीनिवास ने रोबोटिक सर्जरी प्रशिक्षण सुविधा स्थापित करने के लिए एक समझौता किया है। इंडिया मेडट्रॉनिक प्राइवेट लिमिटेड के साथ हुए इस समझौता के तहत एम्स में रोबोटिक प्रशिक्षण सुविधा का सह-निर्माण व विकास किया जाएगा।

दिल्ली एम्स
दिल्ली एम्स - फोटो : amar ujala

विस्तार

एशिया-प्रशांत का पहला रोबोटिक सर्जरी ट्रेनिंग सेंटर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली में शुरू होगा। यहां देशभर के डॉक्टरों को एम्स के विशेषज्ञ रोबोटिक के माध्यम से सर्जरी करना सीखाएंगे।



इसके माध्यम से शरीर के उस भाग में भी आसानी से सर्जरी की जा सकेंगी, जहां मानवीय स्तर पर करना काफी कठिन होता है। रोबोटिक सर्जरी से जहां सर्जरी की गुणवत्ता में सुधार आएगा, वहीं सर्जरी में होने वाली ब्लड लोस भी घटेगा।


एम्स के निदेशक डॉ. एम श्रीनिवास ने रोबोटिक सर्जरी प्रशिक्षण सुविधा स्थापित करने के लिए एक समझौता किया है। इंडिया मेडट्रॉनिक प्राइवेट लिमिटेड के साथ हुए इस समझौता के तहत एम्स में रोबोटिक प्रशिक्षण सुविधा का सह-निर्माण व विकास किया जाएगा।

एम्स के विशेषज्ञ डॉक्टरों को क्लीनिकल शिक्षा प्रदान करेंगे। इसका उद्देश्य तकनीकी और प्रक्रियात्मक प्रशिक्षण के माध्यम से स्वास्थ्य पेशेवरों को रोबोटिक से जुड़ी मिनिमली इनवेसिव सर्जरी पर प्रशिक्षित करना है। यह देश के सरकारी सेटअप में स्वास्थ्य पेशेवरों के लिए अपनी तरह की पहली रोबोटिक प्रशिक्षण सुविधा है। वहीं दुनिया के पूरे एशिया-प्रशांत क्षेत्र में पहला संकाय नेतृत्व वाला प्रक्रियात्मक प्रशिक्षण केंद्र है।

शुरू हुआ ट्रांसप्लांट प्रोक्योरमेंट मैनेजमेंट
देश में स्पेन की तर्ज पर अंगदान को बढ़ावा देने के लिए डॉक्टरों को प्रशिक्षित किया जाएगा। इसके लिए एम्स में ट्रांसप्लांट प्रोक्योरमेंट मैनेजमेंट (टीपीएम) कोर्स शुरू किया गया है। इस मामले में एम्स के न्यूरो सर्जरी के प्रोफेसर डा. दीपक गुप्ता का कहना हे कि इस कोर्स के माध्यम से डॉक्टरों को प्रशिक्षित कर अंगदान के लिए प्रतिबद्ध पेशेवर टीम तैयार की जाएगी। देश में 1994 में अंगदान के लिए कानून बना था। कानून बनने के बाद से अंगदान का आंकड़ा एक हजार नहीं पहुंच पाया है। पिछले वर्ष देश में ब्रेन डेड हुए 904 लोगों के अंगदान से 2765 अंग प्रत्यारोपित हुए। एक ब्रेन डेड व्यक्ति से आठ से नौ लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती है।

मौजूदा समय में देश में एक ब्रेन डेड व्यक्ति के अंगदान से औसतन तीन लोगों को अंग प्रत्यारोपण हो पा रहा है। अंगदान को बढ़ावा देने के लिए स्पेन सहित अमेरिका, जापान व इटली से 15 डॉक्टरों को बुलाकर यह चर्चा की गई। स्पेन के डीटीआइ (डोनेशन एंड ट्रांसप्लांट इंस्टीट्यूट) फाउंडेशन के डेवलपमेंट डायरेक्टर व बार्सिलोना यूनिवर्सिटी की एसोसिएट प्रोफेसर च्लोए बैलेस्टे ने बताया कि स्पेन में अंगदान कार्यक्रम में पेशेवर लोगों नियुक्ति है। अंगदान की जिम्मेदारी आईसीयू में नियुक्त डाक्टर लेते हैं, जबकि भारत में अस्पतालों में नियुक्त अंगदान संयोजक डॉक्टर नहीं होते। बता दें कि देश में अंगदान को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण के पास 15 करोड़ रुपये का बजट होने के बाद भी अंगदान कम होते हैं।
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