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Humayun Tomb: हुमायूं के मकबरे का हो रहा कायाकल्प, दर्शकों को करेगा आकर्षित
आशीष सिंह, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: आकाश दुबे
Updated Tue, 30 May 2023 04:05 AM IST
बीते वर्ष आई तेज आंधी के कारण मुख्य गुंबद का छज्जा गिर गया था, जिसे दोबारा उसी तरह रूप देकर संरक्षित किया जा रहा है। मकबरे के पश्चिम दरवाजे व इसके आर्च की दशा को भी सुधारा जा रहा है।
हुमायूं के मकबरे का कायाकल्प किया जा रहा है। देशी-विदेशी पर्यटकों को यह जल्द ही नए रंग रूप में आकर्षित करेगा। मौसम व बारिश की वजह से जगह-जगह से क्षतिग्रस्त हो चुके मकबरे के हिस्सों को संरक्षित करने का कार्य चल रहा है।
बीते वर्ष आई तेज आंधी के कारण मुख्य गुंबद का छज्जा गिर गया था, जिसे दोबारा उसी तरह रूप देकर संरक्षित किया जा रहा है। मकबरे के पश्चिम दरवाजे व इसके आर्च की दशा को भी सुधारा जा रहा है, जहां से रंग में हल्कापन आ गया था, वहां लाइम पनिंग की जा रही है। इससे वह दर्शकों को लुभाएगी। इसमें राजस्थान के लाल बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया जा रहा है। संरक्षण कार्य के लिए आगरा व धौलपुर से कारीगरों को बुलाया गया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) के मुताबिक, जी-20 शिखर सम्मेलन की बैठक को देखते हुए इसका काम एक महीने के भीतर पूरा कर लेने की उम्मीद है। एएसआई के मुताबिक, इसका संरक्षण कार्य लगभग तीन वर्ष बाद किया जा रहा है।
विश्व सांस्कृतिक धरोहर मुगल वास्तुकला का एक खूबसूरत नमूना हुमायूं का मकबरा 16वीं शताब्दी में बनाया गया था। ताजमहल से पहले निर्मित हुमायूं के मकबरे में मुगल परिवार के 100 के करीब लोगों की कब्र है। हुमायूं की पत्नी हमीदा बानू बेगम ने इस मकबरे को बनाया था। इसमें लाल पत्थर व सफेद संगमरमर का प्रयोग इतनी अधिक मात्रा में किए जाने का यह प्रारंभिक उदाहरण है।
दाल व गुड़ का किया जा रहा उपयोग
मकबरे का संरक्षण वैज्ञानिक तरीके से किया जा रहा है। जहां से पत्थर निकल गए थे व प्वाइंटिंग करने के लिए उड़द की दाल, बेल, गुड़, लाइम समेत कई चीजों का मिश्रण बनाकर इसके पेस्ट का उपयोग किया जा रहा है। संरक्षण कार्य में जुटे अधिकारी ने बताया कि यहां सीमेंट व अन्य किसी धातु का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है, यह अपने पुराने रूप में ही बना रहे, इस पर खास ध्यान दिया जा रहा है। इस कार्य में समय लगता है, लेकिन यह पुरानी पद्धति है।
विश्व धरोहर में हुमायूं के मकबरे के संरक्षण कार्य के लिए लंबे समय से प्रक्रिया चल रही थी। इसकी पश्चिम दरवाजे पर टूटी पत्थर की जालियों को भी नया बना दिया गया है। इसके लिए विशेष सूचना बोर्ड भी लगाए जाएंगे, जिससे पर्यटकों को यह धरोहर लुभा सके। -प्रवीण सिंह, दिल्ली सर्कल चीफ व सुपरिटेंडेंट आर्कियोलॉजिस्ट, एएसआई
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