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2000 Rupee: दो हजार के नोट वापसी संबंधी RBI की अधिसूचना की चुनौती याचिका खारिज, हाईकोर्ट ने की ये टिप्पणी

अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली Published by: आकाश दुबे Updated Tue, 30 May 2023 05:20 AM IST
सार

पीठ ने कहा कि एक बार अन्य मूल्यवर्ग के बैंक नोट पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो जाने के बाद 2,000 रुपये के नोटों ने अपना उद्देश्य पूरा कर लिया है। पीठ ने आगे कहा कि इन नोटों को वापस लेने का निर्णय विमुद्रीकरण का हिस्सा नहीं है।

Plea challenging RBI s notification on withdrawal of Rs 2000 notes dismissed
Delhi high court - फोटो : फाइल फोटो

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दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि 2,000 रुपये के नोटों ने अपना उद्देश्य पूरा कर लिया है और इसे वापस लेने का निर्णय एक नीतिगत मामला है, जिसमें अदालतों को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। अदालत ने आरबीआई की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी। 



मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने कहा कि नवंबर 2016 में उच्च मूल्य के करेंसी नोटों को विमुद्रीकृत करने के केंद्र के फैसले की पृष्ठभूमि में अर्थव्यवस्था की मुद्रा आवश्यकता को पूरा करने के लिए 2,000 रुपये मूल्यवर्ग के बैंक नोट पेश किए गए थे। पीठ ने कहा कि एक बार अन्य मूल्यवर्ग के बैंक नोट पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो जाने के बाद उद्देश्य पूरा हो गया।


पीठ ने आगे कहा कि इन नोटों को वापस लेने का निर्णय विमुद्रीकरण का हिस्सा नहीं है। इसके अलावा, सरकार ने इन नोटों के आदान-प्रदान के लिए पहचान प्रमाण की आवश्यकता पर जोर नहीं देने का निर्णय लिया है ताकि हर कोई अन्य मूल्यवर्ग के नोटों के साथ इसे बदल सके। इसलिए, यह नहीं कहा जा सकता है कि सरकार का निर्णय विकृत या मनमाना है या यह काले धन, मनी लॉन्ड्रिंग, मुनाफाखोरी को बढ़ावा देता है या यह भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता है।

बिना आईडी ही बदल सकेंगे 2000 के नोट, अर्जी खारिज
दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सतीश कुमार शर्मा व जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने सोमवार को बिना अर्जी व बिना पहचान पत्र के 2,000 रुपये के नोट बदलने की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी। भाजपा नेता व वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने याचिका में भारतीय रिजर्व बैंक व भारतीय स्टेट बैंक की अधिसूचना को चुनौती देते हुए कहा था कि बड़ी संख्या में 2,000 रुपये के नोट या तो व्यक्तिगत लॉकर में पहुंच चुके हैं अथवा उन्हें अलगाववादियों, आतंकियों, नक्सलियों, ड्रग तस्करों, खनन माफिया व भ्रष्ट लोगों ने जमा कर लिया है।

याचिका में आरबीआई व एसबीआई की तरफ से जारी अधिसूचना को मनमाना, तर्कहीन व संविधान के अनुच्छेद 14 के खिलाफ बताया गया था। सुनवाई के दौरान आरबीआई की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता पराग त्रिपाठी ने याचिका का विरोध किया और कहा कि यह एक वैधानिक कार्य है। नोटबंदी नहीं है। 

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