दिल्ली के आसपास स्थित 95 गांवों में विकास के लिए मंगलवार को केंद्रीय शहरी एवं विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने लैंड पूलिंग पॉलिसी की वेबसाइट शुरू की। इस पॉलिसी के तहत राजधानी को अगले 10 साल में 17 लाख नए घरों की सौगात मिलेगी।
दावा किया जा रहा है कि इससे 76 लाख लोगों को छत मिलने का सपना पूरा हो सकेगा। 95 गांवों में पब्लिक प्राइवेट पाटर्नरशिप के जरिए जमीनों के करीब 50 फीसदी हिस्से पर घर बनाए जाएंगे और शेष पर शॉपिंग मॉल, अस्पताल, स्कूल, कॉलेज, पार्क, पार्किंग, बस स्टॉप और बाजार विकसित किए जाएंगे। दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) बिजली, पानी और सड़क सुविधाओं को पूरा करेगा।
सिंतबर 2013 में केंद्रीय शहरी एवं विकास मंत्रालय ने लैंड पूलिंग पॉलिसी को तैयार किया था, जिसे मई 2015 में केंद्र से अनुमति भी मिली, लेकिन फिर से कागजों में ही सिमटी रही। गत वर्ष सितंबर में इसे मंजूर किया गया।
जिला आयुक्त, एसडीएम ऑफिस के अलावा गांवों में जगह-जगह लैंड पूलिंग पॉलिसी के लिए हेल्पडेस्क स्थापित की जा रही है। करीब 2 लाख किसानों के इस योजना से जुड़ने का अनुमान है। पॉलिसी से जुड़े पक्षों के लिए आवेदन प्रक्रिया सुगम बनाने के लिए वेबसाइट शुरू की गई है।
जमीन अधिग्रहण से लेकर फ्लैट की बिक्री तक सब कुछ ऑनलाइन पोर्टल पर मौजूद होगा। इसी के जरिए आवेदन, सत्यापन और लाइसेंस इत्यादि सरकारी प्रक्रियाएं पूरी की जाएंगी। एलजी अनिल बैजल ने कहा कि लैंड पूलिंग पॉलिसी को पूरा होने में 5 से 10 साल का वक्त लग सकता है, लेकिन दिल्ली में लोगों की सबसे बड़ी परेशानी का समाधान हो सकेगा।
दिल्ली को पांच जोन में बांटा
योजना के तहत दिल्ली को पांच जोन में बांटा गया है। करीब 109 सेक्टर इन पांचों जोन में तैयार किए जाएंगे। पश्चिम दिल्ली को एल, दक्षिण-पश्चिम दिल्ली को के, दक्षिण दिल्ली को जे, उत्तरी-पश्चिम दिल्ली को एन, उत्तरी दिल्ली को पी 1 और पी 2 जोन में बांटा है। सभी जोन के लिए अलग-अलग विकास की श्रेणी भी रखी है।
इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि उत्तरी-पश्चिमी दिल्ली यानि एन जोन की कुल जमीन का 48 फीसदी हिस्सा आवासीय सुविधाओं के लिए रखा है। जबकि 18 फीसदी जमीन मनोरंजन और 10 फीसदी ऑफिस के लिए रखी गई है। इस योजना के तहत डीडीए को केवल बुनियादी सुविधाओं का अधिकार दिया है। जमीन अधिग्रहण से लेकर घरों के निर्माण तक का कार्य पीपीपी के तहत होगा।
2030 तक दिल्ली का नया रूप देखने को मिलेगा: पुरी
केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी का कहना है कि साल 2030 तक दिल्ली का नया रूप देखने को मिलेगा। जहां अवैध कॉलोनियों के झंझट से लोगों को राहत मिलेगी। वहीं दिल्ली में लोगों को अपने घर के नजदीक ही लगभग सभी सुविधाएं मुहैया होंगी।
परिवहन से लेकर शॉपिंग मॉल तक उनके घर के नजदीक ही मिलेंगे। वहीं डीडीए के वाइस चेयरमैन तरुण कपूर ने कहा कि लैंड पूलिंग पॉलिसी के लिए किसानों की भूमिका सबसे बड़ी है, चूंकि ज्यादातर किसानों को इंटरनेट की जानकारी नहीं है।
क्या है लैंड पूलिंग पॉलिसी
जिन लोगों के पास दो हैक्टेयर से ज्यादा अपनी जमीन है या ऐसे लोगों का समूह डीडीए से मिलकर लैंड पूलिंग स्कीम के तहत रजिस्टर्ड हो सकते हैं और उन जमीन पर फ्लैट्स बनाकर बेच सकते हैं। सेक्टर के लिए 70 फीसदी जमीन एकसाथ होना जरूरी है। सेक्टर के लिए 250 से 400 हेक्टेयर जमीन का होना जरूरी है।
दिल्ली के आसपास स्थित 95 गांवों में विकास के लिए मंगलवार को केंद्रीय शहरी एवं विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने लैंड पूलिंग पॉलिसी की वेबसाइट शुरू की। इस पॉलिसी के तहत राजधानी को अगले 10 साल में 17 लाख नए घरों की सौगात मिलेगी।
दावा किया जा रहा है कि इससे 76 लाख लोगों को छत मिलने का सपना पूरा हो सकेगा। 95 गांवों में पब्लिक प्राइवेट पाटर्नरशिप के जरिए जमीनों के करीब 50 फीसदी हिस्से पर घर बनाए जाएंगे और शेष पर शॉपिंग मॉल, अस्पताल, स्कूल, कॉलेज, पार्क, पार्किंग, बस स्टॉप और बाजार विकसित किए जाएंगे। दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) बिजली, पानी और सड़क सुविधाओं को पूरा करेगा।
सिंतबर 2013 में केंद्रीय शहरी एवं विकास मंत्रालय ने लैंड पूलिंग पॉलिसी को तैयार किया था, जिसे मई 2015 में केंद्र से अनुमति भी मिली, लेकिन फिर से कागजों में ही सिमटी रही। गत वर्ष सितंबर में इसे मंजूर किया गया।
जिला आयुक्त, एसडीएम ऑफिस के अलावा गांवों में जगह-जगह लैंड पूलिंग पॉलिसी के लिए हेल्पडेस्क स्थापित की जा रही है। करीब 2 लाख किसानों के इस योजना से जुड़ने का अनुमान है। पॉलिसी से जुड़े पक्षों के लिए आवेदन प्रक्रिया सुगम बनाने के लिए वेबसाइट शुरू की गई है।
जमीन अधिग्रहण से लेकर फ्लैट की बिक्री तक सब कुछ ऑनलाइन पोर्टल पर मौजूद होगा। इसी के जरिए आवेदन, सत्यापन और लाइसेंस इत्यादि सरकारी प्रक्रियाएं पूरी की जाएंगी। एलजी अनिल बैजल ने कहा कि लैंड पूलिंग पॉलिसी को पूरा होने में 5 से 10 साल का वक्त लग सकता है, लेकिन दिल्ली में लोगों की सबसे बड़ी परेशानी का समाधान हो सकेगा।
दिल्ली को पांच जोन में बांटा
योजना के तहत दिल्ली को पांच जोन में बांटा गया है। करीब 109 सेक्टर इन पांचों जोन में तैयार किए जाएंगे। पश्चिम दिल्ली को एल, दक्षिण-पश्चिम दिल्ली को के, दक्षिण दिल्ली को जे, उत्तरी-पश्चिम दिल्ली को एन, उत्तरी दिल्ली को पी 1 और पी 2 जोन में बांटा है। सभी जोन के लिए अलग-अलग विकास की श्रेणी भी रखी है।
इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि उत्तरी-पश्चिमी दिल्ली यानि एन जोन की कुल जमीन का 48 फीसदी हिस्सा आवासीय सुविधाओं के लिए रखा है। जबकि 18 फीसदी जमीन मनोरंजन और 10 फीसदी ऑफिस के लिए रखी गई है। इस योजना के तहत डीडीए को केवल बुनियादी सुविधाओं का अधिकार दिया है। जमीन अधिग्रहण से लेकर घरों के निर्माण तक का कार्य पीपीपी के तहत होगा।
2030 तक दिल्ली का नया रूप देखने को मिलेगा: पुरी
केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी का कहना है कि साल 2030 तक दिल्ली का नया रूप देखने को मिलेगा। जहां अवैध कॉलोनियों के झंझट से लोगों को राहत मिलेगी। वहीं दिल्ली में लोगों को अपने घर के नजदीक ही लगभग सभी सुविधाएं मुहैया होंगी।
परिवहन से लेकर शॉपिंग मॉल तक उनके घर के नजदीक ही मिलेंगे। वहीं डीडीए के वाइस चेयरमैन तरुण कपूर ने कहा कि लैंड पूलिंग पॉलिसी के लिए किसानों की भूमिका सबसे बड़ी है, चूंकि ज्यादातर किसानों को इंटरनेट की जानकारी नहीं है।
क्या है लैंड पूलिंग पॉलिसी
जिन लोगों के पास दो हैक्टेयर से ज्यादा अपनी जमीन है या ऐसे लोगों का समूह डीडीए से मिलकर लैंड पूलिंग स्कीम के तहत रजिस्टर्ड हो सकते हैं और उन जमीन पर फ्लैट्स बनाकर बेच सकते हैं। सेक्टर के लिए 70 फीसदी जमीन एकसाथ होना जरूरी है। सेक्टर के लिए 250 से 400 हेक्टेयर जमीन का होना जरूरी है।