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Minors joining gangsters due to pistol hobby and distance from family delhi police
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दुश्मन है सोशल मीडिया: पिस्तौल का शौक... परिवार से दूरी के कारण गैंगस्टर से जुड़ रहे किशोर, दिखाते हैं ये सपने
पुरुषोत्तम वर्मा, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: शाहरुख खान
Updated Mon, 05 Jun 2023 11:11 AM IST
अपराध शाखा की टीम ने सोशल मीडिया पर एक अध्ययन किया है। इसमें ये बात सामने आई है कि ऐसे किशोर जिन्हें परिवार में अपनापन नहीं मिल रहा है या माता-पिता ध्यान नहीं देते, वे गैंगस्टर से ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। इसके अलावा हथियारों की चाहत व गैंगस्टर का नाम से जुड़ने से समाज व दोस्तों में बढ़ने वाली झूठी शान के कारण भी किशोर इंस्टाग्राम, फेसबुक आदि सोशल मीडिया के जरिये गैंगस्टर की आईडी से जुड़ जाते हैं।
गैंगस्टर्स से प्रभावित हो रहे किशोर
- फोटो : अमर उजाला
हथियारों का शौक व परिवार से दूरी के कारण गैंगस्टर से किशोर प्रभावित हो रहे हैं। किशोर सोशल मीडिया पर गैंगस्टर के हैंडलर से संपर्क करते हैं। इसके बाद गिरोह का ठप्पा व हथियार मिलते ही किशोर गली-मोहल्ले व दोस्तों के बीच दादागिरी दिखाना शुरू कर देते हैं।
गैंगस्टर व उनके हैंडलर शुरुआत में किशोरों को मौजमस्ती करवाते हैं और ऐशोआराम की जिंदगी का झूठा सपना दिखाते हैं। फिर ये देखते हैं कि किशोर गिरोह के लिए उपयोगी है या नहीं। इसके लिए ये वारदात का ट्रायल करवाते हैं। किशोरों का इस्तेमाल कर करोड़ों कमाकर कुछ हजार रुपये देकर खुश कर देते हैं।
हाल ही में दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा की जांच में यह खुलासा हुआ है। ये बात भी सामने आई है कि हाल ही में लारेंस बिश्रोई-गोल्डी बराड़ गिरोह से कई राज्यों के 50 से ज्यादा कम उम्र के किशोर जुड़ चुके हैं।
दरअसल, दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा में तैनात एसीपी उमेश बड़थ्वाल की देखरेख में इंस्पेक्टर राकेश शर्मा की टीम ने सनलाइट कॉलोनी में एक व्यक्ति से दो करोड़ की रंगदारी मामले का पर्दाफाश किया था। इनमें रंगदारी नहीं देने पर दो किशोरों ने पीडि़त के घर पर गोलियां चलाई थीं। इंस्पेक्टर राकेश की टीम ने अन्य आरोपियों समेत दोनों किशारों को पकड़ा था।
इसके अलावा नरेला में मांगी गई रंगदारी मामले में भी सोनीपत के दो नाबालिग पकड़े गए थे। जांच में पता लगा है कि लारेंस का गिरोह किशोरों को गिरोह से जोड़ रहा है। सोशल मीडिया की जांच से पता चला है कि गिरोह में राजस्थान, हरियाणा, यूपी व पंजाब के 50 से ज्यादा 14 से 18 वर्ष के लड़के गिरोह से जुड़ चुके हैं।
ऐसे जुड़े रहे किशोर
अपराध शाखा की टीम ने सोशल मीडिया पर एक अध्ययन किया है। इसमें ये बात सामने आई है कि ऐसे किशोर जिन्हें परिवार में अपनापन नहीं मिल रहा है या माता-पिता ध्यान नहीं देते, वे गैंगस्टर से ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। इसके अलावा हथियारों की चाहत व गैंगस्टर का नाम से जुड़ने से समाज व दोस्तों में बढ़ने वाली झूठी शान के कारण भी किशोर इंस्टाग्राम, फेसबुक आदि सोशल मीडिया के जरिये गैंगस्टर की आईडी से जुड़ जाते हैं। इसके बाद इन्हें बुलाकर गैंगस्टर एक गुप्त जगह पर पीजी में रखते हैं। किशोरों को यहां पर मौजमस्ती कराई जाती है। साथ ही, हथियार भी दिए जाते हैं। राजस्थान के हनुमानगढ़, गंगानगर, जैसलमेर व पंजाब के अबोहर के किशोर गैंगस्टरों से ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं।
शुरू में भाव नहीं दिया जाता
गैंगस्टर के हैंडलर सोशल मीडिया को संभालते हैं। जब कोई किशोर इनसे संपर्क करता है तो ये शुरू में उसे को भाव नहीं देते। कुछ समय बाद हैंडलर लारेंस से बात होने की बात कहकर गिरोह से जोड़ लेते हैं। हथियार मिलने व लारेंस कार नाम जुड़ने के बाद किशोर समाज, गांव व दोस्तों के बीच रौब झाड़ना शुरू कर देते हैं। इंस्पेक्टर राकेश शर्मा की टीम को जांच में पता लगा है कि गैंगस्टर पहले किशोरों से रंगदारी, धमकी देने आदि की छोटी वारदात करवाते हैं। फिर बड़ी वारदात के लिए भेजते हैं। गैंगस्टर ज्यादातर काली कमाई करने वालों को निशाने पर लेते हैं। इनमें बुकी, सट्टेबाज, हवाला कारोबारी, बिल्डर आदि शामिल होते हैं।
वारदात की ट्रायल के लिए भेजा जाता है
हाल ही में मैक्सिको में पकड़े गए गैंगस्टर दीपक बाॅक्सर ने पुलिस को बताया है कि पहले ये देखा जाता है कि कौन गिरोह से जुड़ सकता है। इसके बाद उसे ट्रायल वारदात के लिए भेजा जाता है। अगर किशोर वारदात कर देता है तो उसे गिरोह का साथ मिल जाता है।
शिकायत वाले पोस्ट को ही हटाते हैं
स्पेशल सेल की आईएफएसओ यूनिट के पुलिस उपायुक्त प्रशांत गौतम का कहना है कि अभी पुलिस सोशल मीडिया पर चल रही उन्हीं पोस्ट को हटाते हैं जिनकी पुलिस के पास शिकायत होती है। इसके अलावा जब तक किसी पोस्ट से सोशल मीडिया की पॉलिसी का उल्लंघन नहीं होता, तब तक पोस्ट को सोशल मीडिया से नहीं हटाया जाता। दिल्ली पुलिस इस बात पर विचार कर रही है कि गैंगस्टर के पोस्ट व पेज सोशल मीडिया से हटाए जाएं।
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