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रामलीला मैदान में किसान महापंचायत: खेती पर कॉरपोरेट नियंत्रण पर किसान खफा, एमएसपी गारंटी कानून की मांग
अमर उजाला नेटवर्क, नई दिल्ली
Published by: विजय पुंडीर
Updated Mon, 20 Mar 2023 08:34 PM IST
सार
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एसकेएम के 15 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने कृषि भवन में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री से मुलाकात कर उन्हें दो ज्ञापन सौंपे। एसकेएम और कृषि मंत्री के बीच चर्चा में सरकार ने किसानों के लंबित और नए मुद्दों को हल करने के लिए एसकेएम के साथ निरंतर बातचीत करने पर सहमति जताई।
रामलीला मैदान में किसान महापंचायत
- फोटो : अमर उजाला
दिल्ली के रामलीला मैदान में 14 महीने बाद एक बार फिर संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर सोमवार को देशभर के किसान एकजुट हुए। बारिश के बावजूद किसान महापंचायत में प्रदेशों से हजारों की संख्या में पहुंचे अन्नदाताओं ने मांगे पूरी नहीं होने पर आंदोलन जारी रखने की बात कही। वक्ताओं ने कृषि पर कॉरपोरेट नियंत्रण और केंद्र सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ रोष जताया। एमएसपी पर फसलों की खरीद की गारंटी के लिए कानून, किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस करने, कर्ज माफी, किसानों की पेंशन, कृषि क्षेत्र, भूमि और वन समेत प्राकृतिक संसाधनों को कॉरपोरेट के हाथों में सौंपने की निंदा करते हुए सरकार को 14 सूत्री मांग पत्र सौंपा। किसानों को लामबंद करने के लिए एसकेएम जल्द ही राज्य सम्मेलन और यात्राएं आयोजित करेगा।
एसकेएम के 15 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने कृषि भवन में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री से मुलाकात कर उन्हें दो ज्ञापन सौंपे। एसकेएम और कृषि मंत्री के बीच चर्चा में सरकार ने किसानों के लंबित और नए मुद्दों को हल करने के लिए एसकेएम के साथ निरंतर बातचीत करने पर सहमति जताई। एसकेएम ने कृषि मंत्री को बताया कि अगर समयबद्ध तरीके से मांगों को पूरा नहीं किया गया तो मोर्चा आगे की रणनीति की घोषणा करेगा। 30 अप्रैल को होने वाली बैठक में किसान आंदोलन-2 की रूपरेखा तय की जाएगी।
कृषि मंत्री के साथ हुई बैठक में किसानों के लिए बिजली बिल पर सब्सिडी में राहत दिए जाने को किसानों ने सकारात्मक बताया। हालांकि, अभी भी लंबित मांगों के पूरा नहीं होने पर चिंता जताते हुए कहा कि सभी मांगे पूरी होने तक आंदोलन जारी रहेगा।
एसकेएम के दर्शन पाल ने कहा कि कृषि मंत्री के साथ हुई बैठक में बिजली संशोधन अधिनियम में से किसानों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए संसोधन किए गए हैं। इससे राहत मिलेगी। ओलावृष्टि, सूखा या बाढ़ से फसलों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजा सहित कुछ मुद्दों पर सरकार का सकारात्मक रुख दिखा। हालांकि, एमएसपी के लिए कमेटी पर उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि इसकी गारंटी के लिए कानून बनाने की मांग है। उन्होंने कहा कि अगर किसानों की मांगों पर सुनवाई नहीं हुई तो 30 अप्रैल को होने वाली संयुक्त किसान मोर्चा की अगली बैठक में आगे बड़े आंदोलन की घोषणा की जा सकती है।
राकेश टिकैत ने कहा कि एमएसपी की गारंटी को लागू नहीं किया गया। किसानों की मांग है कि बाजार भाव से फसलों की कीमत मिले और नुकसान की भरपाई की जाए। किसानों के संघर्ष की रूपरेखा के बारे में टिकैत ने कहा कि यह वैचारिक क्रांति है। देश में संविधान की धज्जियां उठाई जाती हैं। एमएसपी के लिए कमेटी बनाए जाने पर टिकैत ने कहा कि किसानों को उचित कीमत कहां मिल रही है।
हन्नान मोल्लाह ने 14 महीने तक सरकार की तरफ से किसानों की समस्याओं को सुलझाने की पहल नहीं किए जाने की वजह से किसान आंदोलन पर उतारू होना पड़ा। कृषि मंत्री के साथ हुई बैठक में बिजली पर सब्सिडी को बरकरार रखकर राहत दी गई। फसल बीमा, कर्ज माफी, आंदोलन में जान गंवाने वाले परिवारों को मुआवजा सहित तमाम मुद्दों पर मंथन किया गया। 14 सूत्री मांग पत्र में लंबित मांगों के साथ-साथ नई मांगे भी शामिल की गई हैं।
सुरेश कोठ ने बताया कि कृषि मंत्री के साथ किसान प्रतिनिधियों की बैठक, इस दौरान एमएसपी कमेटी में किसानों का प्रतिनिधित्व, एमएसपी की गारंटी, बिजली में किसानों को सब्सिडी, किसान आंदोलन के दौरान दर्ज मामलों की वापसी, नए किसानों को कर्ज मुक्ति, सीएसीपी में किसानों का प्रतिनिधित्व सहित कई और मामलों पर चर्चा हुई। किसान नेताओं के घरों पर सीबीआई की छापेमारी के मुद्दे को भी उठाया गया।
30 अप्रैल की बैठक में तय होगी आंदोलन-2 की रणनीति
किसानों की अगली बैठक 30 अप्रैल को होगी। अगर सरकार ने मांगों पर सुनवाई नहीं की तो बैठक में आगे की रणनीति तय की जाएगी। किसानों ने ठान लिया है कि अगर संघर्ष तेज करना पड़ा तो करेंगे। महापंचायत में किसान मोर्चा के पदाधिकारियों ने राज्यों से आए किसानों को आंदोलन की तैयारियों में जुटने का आह्वान किया।
एक साल से भी लंबा चला था किसान आंदोलन
26 नवंबर, 2020 से शुरू हुआ किसान आंदोलन 11 दिसंबर 2021 को समाप्त हुआ था। सरकार और किसानों के बीच कई दौर की बैठकें के बेनतीजा रही थीं। बाद में तीनों कृषि कानूनों को समाप्त करने की घोषणा के बाद दिल्ली की सीमाओं से किसान अपने राज्यों में लौट गए। जिन मांगों पर फैसला नहीं हो सका, उनपर सरकार के आश्वासन के बाद ही लागू नहीं किए जाने पर महापंचायत की शक्ल में किसान आंदोलन-2 की शुरुआत की गई।
बसों के मार्ग बदलने से यात्रियों को हुई परेशानी
महापंचायत के दौरान बसों के रूट डायवर्ट किए जाने से रेलवे स्टेशन जाने वाले यात्रियों को परेशानी हुई। इस मौके पर कई बसों को गोल डाकखाना, पालिका केंद्र से ही लौटा दिया गया और किसी भी बस को कनॉट प्लेस से नई दिल्ली रेलवे स्टेशन की तरफ नहीं जाने दिया गया। इस दौरान दिल्ली गेट की तरफ से आने वाले वाहनों की आवाजाही भी प्रभावित रही और लोग देरी से गंतव्य तक पहुंचे।
कृषि मंत्री से मुलाकात के लिए पहुंचे प्रतिनिधिमंडल के सदस्य
प्रतिनिधिमंडल में अखिल भारतीय किसान सभा के आर. वेंकैया, किसान संघर्ष समिति के डॉ. सुनीलम, अखिल भारतीय किसान महासभा के प्रेम सिंह गहलावत, अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा के वी वेंकटरमैया, भारतीय किसान मजदूर यूनियन के सुरेश कोठ, भारतीय किसान यूनियन के युद्धवीर सिंह, अखिल भारतीय किसान सभा के हन्नान मोल्लाह, भारतीय किसान यूनियन (दकुंडा) के बूटा सिंह बुर्जगिल, भाकियू (उग्राहां) जोगिंदर सिंह उगराहां, अविक साहा, क्रांतिकारी किसान यूनियन के दर्शन पाल, भारतीय किसान यूनियन (दोआबा)के मंजीत राय, हरिंदर लाखोवाल, सतनाम सिंह बहरू भी शामिल थे।
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