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Delhi: इंडियन मुजाहिदीन के संचालक शहजाद अहमद की एम्स में मौत, 2008 के बाटला हाउस मुठभेड़ का था दोषी

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: Vikas Kumar Updated Sat, 28 Jan 2023 09:02 PM IST
सार

शहजाद को 2008 के बाटला हाउस मुठभेड़ मामले में इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की हत्या और अन्य अधिकारियों पर हमला करने का दोषी ठहराया गया था।

बाटला हाउस केस
बाटला हाउस केस - फोटो : फाइल फोटो

विस्तार

राजधानी में बाटला हाउस मुठभेड़ में इंस्पेक्टर मोहन चंद को गोली मारने के दोषी और उम्र कैद की सजा काट रहे शहजाद अहमद की मौत हो गई। इंडियन मुजाहिदीन के आतंकी अहमद का एम्स में इलाज चल रहा था। वह पिछले कुछ दिनों से गंभीर रूप से बीमार था। उसे बीते दिनों कई अस्पतालों में रेफर किया गया था। हालत में सुधार नहीं होने पर उसे दिल्ली, एम्स रेफर किया गया था,लेकिन यहां भी हालत में कोई सुधार नहीं आया और शनिवार सुबह उसने दम तोड़ दिया। शहजाद की उम्र 32 साल थी।


तिहाड़ जेल के अधिकारियों ने बताया कि यूपी के आजमगढ़ स्थित मोहल्ला बाज बहादुर काटे, किला रोड निवासी शहजाद अहमद उर्फ पप्पू 6 फरवरी 2010 में तिहाड़ जेल आया था। शहजाद को पिछले साल 7 जुलाई को मंडोली के जेल नंबर- 15 में भेज दिया गया था। शहजाद को पित्त की थैली में पथरी होने पर उसे पिछले साल 8 दिसम्बर को जीटीबी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां से उसे सफदरजंग अस्पताल भेज गया था। बाद में उसे गंभीर बीमारी हो गई थी। सफदरजंग से उसे एम्स में रेफर कर दिया गया था। शनिवार सुबह 7.42 बजे उसने दम तोड़ दिया।

2013 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी
शहजाद मूल रूप से उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के खालिसपुर गांव का रहने वाला था। शहजाद आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन का हिस्सा था। अदालत ने उसे साल 2008 में हुई बाटला हाउस मुठभेड़ मामले में इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की हत्या व अन्य अधिकारियों पर हमला करने का दोषी ठहराया था। शहजाद को साल 2013 में आजीवन कारावास की सजा हुई थी। मुठभेड़ में इसके 2 साथी आतिफ आमीन और मोहम्मद साजिद मारे गए थे। वहीं, एक आरोपी को मौके से ही पकड़ लिया गया था। इस एनकाउंटर में शामिल आरिज नाम का एक अन्य आतंकवादी भागने में कामयाब हो गया था, लेकिन बाद में उसे नेपाल से गिरफ्तार कर लिया गया था। बटला हाउस केस में आतंकी आरिज खान को पहले ही फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है। इसके बाद अदालत ने आरिज के परिवारवालों से नुकसान की भरपाई का भी आदेश दिया था।

2008 में हुआ था मुठभेड़
स्पेशल सेल को सूचना मिली थी कि इंडियन मुजाहिदीन के कुछ आतंकी बाटला हाउस इलाके के एक मकान में छिपे हुए हैं। सूचना के आधार पर 19 सितंबर, 2008 की सुबह इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा समेत कई पुलिस अधिकारी उस वक्त मौके पर पहुंचे और आतंकियों को घेरने का प्लान बनाया। इसी दौरान आतंकियों के साथ बाटला हाउस के मकान नंबर एल-18 में मुठभेड़ हो गई, जिसमें दो आतंकी मारे गए, जबकि इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा शहीद हो गए थे।
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