न्यूज डेस्क, अमर उजाला, अभिषेक पांचाल
Updated Tue, 24 Nov 2020 01:28 AM IST
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राजधानी के अस्पतालों में कोरोना के गंभीर मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। कई अस्पतालों में आईसीयू बेड भर चुके हैं। सरकार लगातार बेड की संख्या बढ़ा रही है, लेकिन अभी भी महज 12 फीसदी आईसीयू बेड ही खाली हैं। डॉक्टरों का कहना है कि घर पर इलाज करा रहे कई मरीज शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने के बाद अस्पतालों का रूख कर रहे हैं। ऐसे में उनकी हालत गंभीर हो रही हैं और उन्हें आईसीयू स्पोर्ट पर रखना पड़ रहा है।
राजीव गांधी सुपरस्पेशयलिटी अस्पताल के कोविड नोडल अधिकारी डॉ अजीत जैन बताते हैं कि घर पर इलाज करा रहे मरीजों के लिए यह जरूरी है कि वह नियमित अंतराल पर ऑक्सीजन के स्तर को जांचते रहे, लेकिन लोग लापरवाही में ऐसा नहीं कर रहे हैं। जब मरीजों की सांस फूलने लगती है तो वह घर पर ही ऑक्सीजन सिलेंडर लगा लेते हैं। कई मामलों में यह काम नहीं करता है और गंभीर हालत में मरीज अस्पताल आते हैं। ऐसे में उन्हें आईसीयू या वेंटिलेटर पर रखना पड़ता है। डॉ. जैन के मुताबिक, अस्पताल में में भर्ती होने वाले लगभग सभी मरीजों के ब्लड में ऑक्सीजन का स्तर कम मिला है।
जीटीबी अस्पताल के डॉक्टर विकास का कहना है कि इस समय जो मरीज अस्पताल आ रहे हैं। उनमें अधिकतर पुरानी बीमारियों से पीड़ित हैं। इन रोगियों के शरीर में भी ऑक्सीजन मानक से कम मिल रहा है। इसके कारण उनकी जान बचाने के लिए तुरंत आईसीयू या वेंटिलेटर पर भर्ती करना पड़ रहा है।
ये होना चाहिए ऑक्सीजन का स्तर
आरएमएल अस्पताल के डॉक्टर दीपक बताते हैं कि सामान्यतौर पर एक स्वस्थ इंसान में ऑक्सीजन का लेवल 95 फीसदी से 99 फीसदी होना चाहिए। अगर यह 95 फीसदी से कम हो रहा है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। इसमें बिलकुल भी लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए।
डॉक्टर के मुताहिक, कोविड-19 के मरीजों में यह 90 फीसदी के नीचे तक गिर जाता है। ऐसे मामलों में ऑक्सीजन थैरेपी या वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है, और मौत का खतरा 70 फीसदी तक रहता है। इसलिए शुरुआत में ही मरीजों को ऑक्सीजन की मॉनिटरिंग करते रहना चाहिए, ताकि हालत अधिक नाजुक न बने।
राजधानी के अस्पतालों में कोरोना के गंभीर मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। कई अस्पतालों में आईसीयू बेड भर चुके हैं। सरकार लगातार बेड की संख्या बढ़ा रही है, लेकिन अभी भी महज 12 फीसदी आईसीयू बेड ही खाली हैं। डॉक्टरों का कहना है कि घर पर इलाज करा रहे कई मरीज शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने के बाद अस्पतालों का रूख कर रहे हैं। ऐसे में उनकी हालत गंभीर हो रही हैं और उन्हें आईसीयू स्पोर्ट पर रखना पड़ रहा है।
राजीव गांधी सुपरस्पेशयलिटी अस्पताल के कोविड नोडल अधिकारी डॉ अजीत जैन बताते हैं कि घर पर इलाज करा रहे मरीजों के लिए यह जरूरी है कि वह नियमित अंतराल पर ऑक्सीजन के स्तर को जांचते रहे, लेकिन लोग लापरवाही में ऐसा नहीं कर रहे हैं। जब मरीजों की सांस फूलने लगती है तो वह घर पर ही ऑक्सीजन सिलेंडर लगा लेते हैं। कई मामलों में यह काम नहीं करता है और गंभीर हालत में मरीज अस्पताल आते हैं। ऐसे में उन्हें आईसीयू या वेंटिलेटर पर रखना पड़ता है। डॉ. जैन के मुताबिक, अस्पताल में में भर्ती होने वाले लगभग सभी मरीजों के ब्लड में ऑक्सीजन का स्तर कम मिला है।
जीटीबी अस्पताल के डॉक्टर विकास का कहना है कि इस समय जो मरीज अस्पताल आ रहे हैं। उनमें अधिकतर पुरानी बीमारियों से पीड़ित हैं। इन रोगियों के शरीर में भी ऑक्सीजन मानक से कम मिल रहा है। इसके कारण उनकी जान बचाने के लिए तुरंत आईसीयू या वेंटिलेटर पर भर्ती करना पड़ रहा है।
ये होना चाहिए ऑक्सीजन का स्तर
आरएमएल अस्पताल के डॉक्टर दीपक बताते हैं कि सामान्यतौर पर एक स्वस्थ इंसान में ऑक्सीजन का लेवल 95 फीसदी से 99 फीसदी होना चाहिए। अगर यह 95 फीसदी से कम हो रहा है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। इसमें बिलकुल भी लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए।
डॉक्टर के मुताहिक, कोविड-19 के मरीजों में यह 90 फीसदी के नीचे तक गिर जाता है। ऐसे मामलों में ऑक्सीजन थैरेपी या वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है, और मौत का खतरा 70 फीसदी तक रहता है। इसलिए शुरुआत में ही मरीजों को ऑक्सीजन की मॉनिटरिंग करते रहना चाहिए, ताकि हालत अधिक नाजुक न बने।