आरपीएफ के दरोगा कुलदीप पंवार और सिपाही जितेंद्र भारद्वाज ने रविवार सुबह दस बजे चार बच्चों की जान बचाने का सराहनीय कार्य किया। ये बच्चे ट्रैक पर कोल्ड ड्रिंक के ढक्कन और पत्थर की गिट्टियां रखकर खेल रहे थे। तभी मालगाड़ी आ गई। बच्चों और मालगाड़ी के बीच का फासला बहुत कम रह गया था। बच्चे खेल में इतने मगन थे कि मालगाड़ी की आवाज को अनसुना कर दिया। यह देख दरोगा और सिपाही चिल्लाई लेकिन बच्चों ने उनकी आवाज पर भी ध्यान नहीं दिया। इस पर दोनों ने दौड़ लगाई और चारों को उठाकर ट्रैक से अलग किया। चंद सेकेंड बाद ही मालगाड़ी उस ट्रैक से गुजरी।
बच्चों में दो पांच-पांच साल के हैं, एक छह का और एक चार का। चारों बच्चे मसूरी के हैं। सुबह घूमते हुए प्लेटफार्म के पास पहुंच गए थे। डासना रेलवे हाल्ट चौकी प्रभारी कुलदीप पंवार और सिपाही जितेंद्र गश्त पर थे। तभी हापुड़ से गाजियाबाद की तरफ कोयले से लदी मालगाड़ी आ गई। बच्चे उसी ट्रैक पर थे जिस पर गाड़ी आई थी। गाड़ी बच्चों के नजदीक पहुंच गई, लेकिन वे हटे नहीं। कुलदीप और जितेंद्र बच्चों की तरफ ही पैदल जा रहे थे। जब उन्हें लगा कि बच्चे खुद से नहीं हटेंगे तो दोनों ने दौड़ लगाई। दोनों ने एक-एक कर दो-दो बच्चों को उठाया और ट्रैक से दूर किया। अब बच्चों को समझ आया कि वे कितने बड़े खतरे में थे।
परिजनों ने जताया आभार
दरोगा और सिपाही चारों बच्चों को चौकी पर ले गए। वहां उनके परिजनों को बुलाया। चारों बच्चे मसूरी के हैं। परिजनों को हिदायत दी कि बच्चों को ट्रैक के पास न जाने दें। परिजनों ने बच्चों को कलेजे से लगा लिया और दरोगा, सिपाही का आभार जताया।
अक्सर आ जाते हैं बच्चे
दरोगा कुलदीप पंवार ने बताया कि कस्बा नजदीक है। वहां से बच्चे अक्सर रेल लाइन पर आ जाते हैं। कई बार बच्चे लाइन पर ही खेलते हैं। ऐसे में खास नजर रखनी पड़ती है। बच्चों को देखते ही वहां से हटाया जाता है। साथ ही चेतावनी दी जाती है कि यहां न खेलें। उनके परिजनों को बुलाकर भी हिदायत दी जाती है।
विस्तार
आरपीएफ के दरोगा कुलदीप पंवार और सिपाही जितेंद्र भारद्वाज ने रविवार सुबह दस बजे चार बच्चों की जान बचाने का सराहनीय कार्य किया। ये बच्चे ट्रैक पर कोल्ड ड्रिंक के ढक्कन और पत्थर की गिट्टियां रखकर खेल रहे थे। तभी मालगाड़ी आ गई। बच्चों और मालगाड़ी के बीच का फासला बहुत कम रह गया था। बच्चे खेल में इतने मगन थे कि मालगाड़ी की आवाज को अनसुना कर दिया। यह देख दरोगा और सिपाही चिल्लाई लेकिन बच्चों ने उनकी आवाज पर भी ध्यान नहीं दिया। इस पर दोनों ने दौड़ लगाई और चारों को उठाकर ट्रैक से अलग किया। चंद सेकेंड बाद ही मालगाड़ी उस ट्रैक से गुजरी।
बच्चों में दो पांच-पांच साल के हैं, एक छह का और एक चार का। चारों बच्चे मसूरी के हैं। सुबह घूमते हुए प्लेटफार्म के पास पहुंच गए थे। डासना रेलवे हाल्ट चौकी प्रभारी कुलदीप पंवार और सिपाही जितेंद्र गश्त पर थे। तभी हापुड़ से गाजियाबाद की तरफ कोयले से लदी मालगाड़ी आ गई। बच्चे उसी ट्रैक पर थे जिस पर गाड़ी आई थी। गाड़ी बच्चों के नजदीक पहुंच गई, लेकिन वे हटे नहीं। कुलदीप और जितेंद्र बच्चों की तरफ ही पैदल जा रहे थे। जब उन्हें लगा कि बच्चे खुद से नहीं हटेंगे तो दोनों ने दौड़ लगाई। दोनों ने एक-एक कर दो-दो बच्चों को उठाया और ट्रैक से दूर किया। अब बच्चों को समझ आया कि वे कितने बड़े खतरे में थे।
परिजनों ने जताया आभार
दरोगा और सिपाही चारों बच्चों को चौकी पर ले गए। वहां उनके परिजनों को बुलाया। चारों बच्चे मसूरी के हैं। परिजनों को हिदायत दी कि बच्चों को ट्रैक के पास न जाने दें। परिजनों ने बच्चों को कलेजे से लगा लिया और दरोगा, सिपाही का आभार जताया।
अक्सर आ जाते हैं बच्चे
दरोगा कुलदीप पंवार ने बताया कि कस्बा नजदीक है। वहां से बच्चे अक्सर रेल लाइन पर आ जाते हैं। कई बार बच्चे लाइन पर ही खेलते हैं। ऐसे में खास नजर रखनी पड़ती है। बच्चों को देखते ही वहां से हटाया जाता है। साथ ही चेतावनी दी जाती है कि यहां न खेलें। उनके परिजनों को बुलाकर भी हिदायत दी जाती है।