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पॉक्सो कोर्ट के विशेष जज अमित प्रजापति ने मासूम बच्ची की दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले का 66 दिन में निपटारा करते हुए शनिवार को गुनहगार सोनू गुप्ता (20) को फांसी की सजा सुनाई। उस पर 20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।
साढ़े चार साल की बच्ची को सोनू एक दिसंबर, 2022 को साहिबाबाद थाना क्षेत्र के नंदग्राम से उसके घर के बाहर से उठाकर ले गया था। सिटी फॉरेस्ट में दुष्कर्म के बाद गला दबाकर उसकी हत्या कर दी थी। पुलिस ने 28 गवाहों के बयान रिकॉर्ड कर घटना के 16वें दिन आरोपपत्र दाखिल कर दिया था। 32 दिन में डीएनए परीक्षण कराया। सीसीटीवी फुटेज व 68 पेज की केस डायरी को सबूत के तौर पर पेश किया।
ऐसी दरिंदगी की कल्पना मात्र से कांप उठती है रूह
साहिबाबाद क्षेत्र से बच्ची का अपहरण कर दुष्कर्म के बाद हत्या करने के मामले में फांसी की सजा सुनाने से पहले न्यायाधीश ने टिप्पणी की। कहा कि भारत जैसे देश में हिंदू धर्म में बालिका को देवी के रूप में माना जाता है और उसकी पूजा की जाती है। आगे कहा कि अभियुक्त सोनू गुप्ता हिंदू धर्म से ही संबंध रखता है। उसने अबोध बालिका के साथ दुष्कर्म कर उसकी हत्या कर दी। यह अपराध निर्मम तरीके से किया गया। उसके मुंह में डायपर ठूंसकर गला घोंटकर जान ली गई। इस दौरान बालिका ने जो महसूस किया होगा, उसकी कल्पना मात्र से
रूह कांप उठती है...
यह टिप्पणी पॉक्सो कोर्ट के जज अमित कुमार प्रजापति ने शनिवार दोपहर 11 बजकर 48 मिनट पर दुष्कर्म और हत्या के दोषी सोनू गुप्ता को सजा-ए-मौत सुनाने से पहले की। उन्होंने कहा, अभियुक्त के मन में बालिका के प्रति दयाभाव उत्पन्न न होना उसकी घोर आपराधिक मनोवृत्ति को दर्शाता है। उसने लगभग साढ़े चार साल की कोमल बालिका के साथ दुष्कर्म और हत्या जैसा घृणित अपराध किया है। इसके बाद बड़ी ही चतुराई से अपराध के साक्ष्यों को मिटाने का प्रयास किया। अगर पुलिस तत्परता, सजगता और सावधानी नहीं बरतती तो उसका पकड़ा जाना मुश्किल था।
गुनाहगार को सजा मिल गई बिटिया भगवान तुम्हें अपनी गोद में खुश रखें : बिटिया हमे माफ करना, हम तुम्हारी रक्षा नहीं कर पाए, आज तुम्हारे गुनाहगार को सजा मिल गई है, भगवान तुम्हें अपनी गोद में खुश रखे... यह कहते हुए बच्ची की मां अदालत में फूट-फूटकर रोने लगी। उन्होंने कहा, भगवान से प्रार्थना कर रहे थे, उसने सुन ली, बिटिया को इंसाफ मिल गया। जज की ओर हाथ जोड़कर इंसाफ के लिए धन्यवाद देते हुए बोलीं, अब दरिंदे को फांसी पर लटकाने में देरी न की जाए।