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चोरी के मोबाइल का विदेशी कनेक्शन: दिल्ली में करते थे वारदात, बदले में मिलती थी मोटी रकम, डायरी ने खोला राज

अमर उजाला ब्यूरो, दिल्ली Published by: Digvijay Singh Updated Sat, 10 Jun 2023 08:22 PM IST
सार

नेपाल में भारत के मोबाइल की खासी मांग हैं। यहां इनकी अच्छी कीमत भी मिल जाती है। पुलिस ने आरोपियों के पास से 52 मोबाइल, चार दोपहिया वाहन, आठ कारतूस और एक डायरी बरामद की है।

Foreign connection of stolen mobile Used to commit crimes in Delhi
पुलिस की गिरफ्त में आरोपी - फोटो : अमर उजाला

विस्तार
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दिल्ली के पटेल नगर थाना पुलिस ने ऐसे गिरोह का खुलासा किया है जो चोरी और लूट के मोबाइल नेपाल भेज रहा था। पुलिस ने शीतल उर्फ गोपी, गोपेश, सत्येंद्र उर्फ तुषार, आकाश और मोहम्मद रब्बानी को गिरफ्तार कर मामले का खुलासा किया है। कुछ दिनों के भीतर ही बदमाशों ने 2000 से ज्यादा मोबाइल नेपाल भेजे थे। नेपाल में भारत के मोबाइल की खासी मांग हैं। यहां इनकी अच्छी कीमत भी मिल जाती है। पुलिस ने आरोपियों के पास से 52 मोबाइल, चार दोपहिया वाहन, आठ कारतूस और एक डायरी बरामद की है। आरोपियों से बरामद डायरी में मोबाइल को नेपाल भेजने का हिसाब लिखा है। इनकी गिरफ्तारी से पुलिस ने फिलहाल लूट और चोरी के 26 मामले सुलझाने का दावा किया है।


जिला पुलिस उपायुक्त संजय कुमार सेन ने बताया कि मध्य जिला में हो रही झपटमारी और लूट के मामलों की जांच के लिए कई टीमें लगी हुई थीं। इस दौरान 5 जून को बदमाशों ने एक व्यक्ति से मोबाइल लूट लिया। सीसीटीवी में दो बदमाश कैद मिले। पुलिस ने दोनों की पहचान कर ली। वेस्ट पटेल नगर से शीतल और आकाश को दबोच लिया गया। इनके पास से पिस्टल, चाकू, कारतूस व मोती नगर से लूटे गए दो मोबाइल बरामद हुए। आरोपियों ने बताया कि वे सत्येंद्र उर्फ तुषार और मोहम्म्द रब्बानी के साथ मिलकर वारदात को अंजाम देते हैं। गैंग लूटे और चोरी किए गए मोबाइल को अपने लोगों के जरिये नेपाल भेज देता है। इससे उनके यहां पकड़े जाने की संभावना भी खत्म हो जाती है और बदले में ठीक रकम भी मिलती है। पुलिस ने सत्येंद्र और रब्बानी को भी गिरफ्तार कर लिया। इनके पास से एक तमंचा, छह कारतूस व अन्य सामान बरामद हुआ।


बिना ऑन किए भेज दिए जाते थे फोन
पुलिस को पता चला कि शीतल और सत्येंद्र कुख्यात बदमाश हैं। शीतल के खिलाफ पहले से 12 और सत्येंद्र के खिलाफ 21 मामले दर्ज हैं। आरोपी मोबाइल लूटने या चोरी करने के बाद सबसे पहले उसे बंद कर देते थे। इसके बाद बिना ऑन किए नेपाल भेज देते थे। वहां की मोबाइल सर्विस प्रदाता कंपनियां अलग हैं ऐसे में पकड़े जाने की संभावना भी कम हो जाती है। मोबाइल को नेपाल भेजने का हिसाब इन लोगों ने डायरी में लिखा हुआ था।

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