लोकप्रिय और ट्रेंडिंग टॉपिक्स

विज्ञापन
Hindi News ›   Delhi ›   Delhi NCR News ›   Farmers protest kisan morcha cancels tractor march to parliament on 29 november gave 4 december time to centre

किसानों का ट्रैक्टर मार्च रद्द: सरकार से कहा- आकाशवाणी न करें, आमने-सामने बात करें

अमर उजाला नेटवर्क, नई दिल्ली Published by: पूजा त्रिपाठी Updated Sat, 27 Nov 2021 03:29 PM IST
सार

29 नवंबर को निकाला जाने वाला किसानों का ट्रैक्टर मार्च रद्द कर दिया गया है। किसानों ने सरकार को 4 दिसंबर तक फैसला लेने का समय दिया है। किसान नेताओं ने कहा कि 29 नवंबर का संसद मार्च का कार्यक्रम स्थगित है, खत्म नहीं है। 

फाइल फोटो
फाइल फोटो - फोटो : अमर उजाला

विस्तार

दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों ने 29 नवंबर को प्रस्तावित संसद कूच को स्थगित करने का फैसला लिया है। किसानों की नजर फिर भी संसद पर लगी हुई है। तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने के साथ सरकार के रुख से किसान आंदोलन की अगली रणनीति चार दिसंबर को तय होगी। शनिवार को सिंघु बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में इसका फैसला लिया है। 



इस मौके पर किसान नेताओं ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) सहित दूसरी मांगों के पूरा होने तक वह वापस नहीं लौटेंगे। हालांकि, उम्मीद जताई कि बातचीत से ही समस्या का हल निकलेगा। मोर्चा इसी कड़ी में चार दिसंबर को एक बार फिर बैठक करेगा। इसमें आंदोलन की आगे की रणनीति तैयार होगी।


संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए डॉ. दर्शन पाल ने कहा कि कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा से पहले संसद कूच का एलान किया गया था। सरकार की ओर से संसद सत्र में इन कानूनों को वापस लेने के आश्वासन को देखते हुए संसद कूच को स्थगित किया गया है। मगर, एमएसपी, किसानों पर दर्ज मामले, बिजली संशोधन विधेयक और पराली से जुड़े कानूनों की वापसी से जुड़ी मांगें पूर्ववत कायम हैं। इस बारे में पहले ही पत्र लिखकर प्रधानमंत्री को अवगत भी करवा दिया गया है। 29 नवंबर को आंदोलन स्थगित किया जा रहा है, अगर चार दिसंबर तक किसानों की सभी मांगें नहीं मानी गईं तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।

डॉ. दर्शन पाल ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री को लिखी गई चिट्ठी का अब तक जवाब नहीं मिला है। तीनों कृषि कानूनों की सत्र के दौरान वापसी और दूसरी मांगों पर सरकार के रुख को देखते हुए चार दिसंबर को संयुक्त किसान मोर्चा की होने वाली बैठक में आगे फैसला लिया जाएगा। एमएसपी, बिजली संशोधन अधिनियम और पराली मामले से जुड़ी मांगें शुरुआत से की जा रही है। आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के लिए मुआवजा, इस दौरान हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश सहित तमाम दूसरे राज्यों में हजारों की संख्या में किसानों पर दर्ज मामले वापस लेने का मुद्दा भी किसानों की प्रमुख मांगे हैं। आंदोलन के दौरान जान गंवा चुके किसानों की याद में स्मारक के लिए जगह, लखीमरपुर खीरी मामले में केंद्रीय राज्यमंत्री की बर्खास्तगी की मांग पर सरकार से वार्ता के बाद ही अगला कदम बढ़ाया जाएगा।

वार्ता से पिघल सकती है किसानों-सरकार के बीच के रिश्तों की बर्फ
किसान नेता राजबीर जडौन ने कहा कि एमएसपी के अलावा दूसरी सभी मांगों पर वार्ता के लिए सरकार को आगे आना चाहिए। किसानों पर दर्ज मुकदमे को राज्यों का विषय बताया गया, लेकिन इसके लिए सरकार की तरफ से पहल होनी चाहिए। रेलवे में दर्ज मामले केंद्र वापस लें और दूसरी मांगों पर वार्ता के बाद ही कोई निर्णय हो सकता है। एमएसपी की गारंटी के लिए कानून और इसके प्रारुप तय करने के लिए कमेटी गठित हो। किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा के बाद किसान दूसरी सभी मांगों पर बातचीत के लिए तैयार है। इसके लिए सरकार भी पहल करे।

विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

क्षमा करें यह सर्विस उपलब्ध नहीं है कृपया किसी और माध्यम से लॉगिन करने की कोशिश करें

;

Followed

;