फरीदाबाद। क्या बेटियों को खुलकर जीने का हक नहीं, क्या बेटियों को देररात अकेले निकलने का भी हक नहीं, वो भी तब जब वे भी पुरुषों के कंधे से कंधे मिलाकर चल रहीं है। उनकी जरूरत है अकेले घर से बाहर निकलना, चाहे वो रात हो या दिन। लेकिन उन्हें लेकर विकृत लोगों की मानसिकता तब सामने आती है तब हैदराबाद के तेलंगाना में हुई एक महिला पशु चिकित्सक से दुष्कर्म के बाद हत्या हो जाती है। सरकार भले ही बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ सरीखे अभियान चलाने में व्यस्त हो लेकिन ‘बीमार समाज’ को सुधारने के लिए लगता है सरकार के पास कोई ‘दवा’ नहीं है। इस बर्बरता पर जहां पूरे देश में उबाल है वहीं, फरीदाबाद में भी छात्राओं ने अपनी नाराजगी खुलकर जाहिर की। उनका कहना है कि ऐसे हैवानों को जल्द से जल्द बिना किसी रियायत के मौत की सजा सुनानी चाहिए।
सोमवार को अमर उजाला ने सेक्टर-16 स्थित नेहरू कॉलेज में फोकस ग्रुप के तहत कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें बड़ी संख्या में छात्राओं ने हिस्सा लिया। छात्राओं ने ऐसी घटनाओं के प्रति खुलकर अपनी बात रखी। इस दौरान छात्राओं में जबरदस्त उबाल भी देखने को मिला। उन्होंने कहा कि ऐसे हैवानों के खिलाफ किसी तरह कोई रियायत नहीं बरती जाए।
छात्राओं से बातचीत
महिलाओं के साथ बढ़ रहे अपराधों पर कोई रोक नहीं लग पा रही है। रोजाना कहीं न कहीं ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं। आरोपियों पर सख्त से सख्त सजा के प्रावधान पर ही इस तरह के मामलों पर रोक लगेगी।
- बबीता, छात्रा
महिलाएं कहीं भी सुरक्षित नहीं है, घर हो चाहे बाहर। सड़क पर अकेले निकल नहीं सकते है। इस कारण घर में कैद होकर निकलना पड़ता है। सरकार को महिलाओं सुरक्षा के कानून सख्त बनाने चाहिए।
- किरण, छात्रा
हैदराबाद की घटना से मैं बहुत दुखी हूं। इस तरह के मामलों में हैवानों के साथ किसी तरह छूट नहीं दी जानी चाहिए। उन्हें सरेआम फांसी दे दी जानी चाहिए।
- दीपिका, छात्रा
जो भी ये रोजाना हो रहा है। इससे लड़कियां कहीं भी खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रही हैं। क्या चाहती है सरकार। आखिर कब तक लड़कियों को इस प्रकार हवस का शिकार बनाते रहेंगे।
- खुशी, छात्रा
दुष्कर्म करने वालों को ऐसी सजा मिलनी चाहिए, जिससे उनकी रूह कांप जाएं। दूसरी बार ऐसा अपराध करने की सोच भी न सकें। तभी लड़कियां सुरक्षित रह सकेंगी। खुल कर जी सकेंगी।
- नीरज, छात्रा,
हम सरकार को वोट देते हैं ताकि महिला अपराधों पर रोक लग सके। लड़कियां सुरक्षित माहौल में जी सकें। इसलिए सरकार का फर्ज बनता है जब हमने उन्हें वोट देकर चुना है तो वह हमारी सुरक्षा के इंतजाम भी करे।
- बबीता रावत, छात्रा
महिलाओं के साथ लगातार बढ़ रही घटनाओं से माता-पिता ने लड़कियों को घर से बाहर भेजना बंद कर दिया है। उन्हें बेटियों की सुरक्षा को लेकर हमेशा डर रहता है। डर की वजह से अगर लड़कियां घर से स्कूल-कॉलेज नहीं पहुंचेगी तो वह शिक्षित नहीं होंगी।
- श्वेता शर्मा, छात्रा
निर्भया कांड के बाद महिला अपराधों में कोई सुधार नहीं हुआ है। दुष्कर्म की घटनाएं दिन पर दिन बढ़ती जा रही हैं। छोटी बच्ची हो या बड़ी सभी के साथ घटनाएं हो रही है। सरकार कुछ कर नहीं रही है। इस तरह के मामले में सरकार को सरेआम फांसी की सजा सुनानी चाहिए।
- महिमा, छात्रा
फरीदाबाद। क्या बेटियों को खुलकर जीने का हक नहीं, क्या बेटियों को देररात अकेले निकलने का भी हक नहीं, वो भी तब जब वे भी पुरुषों के कंधे से कंधे मिलाकर चल रहीं है। उनकी जरूरत है अकेले घर से बाहर निकलना, चाहे वो रात हो या दिन। लेकिन उन्हें लेकर विकृत लोगों की मानसिकता तब सामने आती है तब हैदराबाद के तेलंगाना में हुई एक महिला पशु चिकित्सक से दुष्कर्म के बाद हत्या हो जाती है। सरकार भले ही बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ सरीखे अभियान चलाने में व्यस्त हो लेकिन ‘बीमार समाज’ को सुधारने के लिए लगता है सरकार के पास कोई ‘दवा’ नहीं है। इस बर्बरता पर जहां पूरे देश में उबाल है वहीं, फरीदाबाद में भी छात्राओं ने अपनी नाराजगी खुलकर जाहिर की। उनका कहना है कि ऐसे हैवानों को जल्द से जल्द बिना किसी रियायत के मौत की सजा सुनानी चाहिए।
सोमवार को अमर उजाला ने सेक्टर-16 स्थित नेहरू कॉलेज में फोकस ग्रुप के तहत कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें बड़ी संख्या में छात्राओं ने हिस्सा लिया। छात्राओं ने ऐसी घटनाओं के प्रति खुलकर अपनी बात रखी। इस दौरान छात्राओं में जबरदस्त उबाल भी देखने को मिला। उन्होंने कहा कि ऐसे हैवानों के खिलाफ किसी तरह कोई रियायत नहीं बरती जाए।
छात्राओं से बातचीत
महिलाओं के साथ बढ़ रहे अपराधों पर कोई रोक नहीं लग पा रही है। रोजाना कहीं न कहीं ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं। आरोपियों पर सख्त से सख्त सजा के प्रावधान पर ही इस तरह के मामलों पर रोक लगेगी।
- बबीता, छात्रा
महिलाएं कहीं भी सुरक्षित नहीं है, घर हो चाहे बाहर। सड़क पर अकेले निकल नहीं सकते है। इस कारण घर में कैद होकर निकलना पड़ता है। सरकार को महिलाओं सुरक्षा के कानून सख्त बनाने चाहिए।
- किरण, छात्रा
हैदराबाद की घटना से मैं बहुत दुखी हूं। इस तरह के मामलों में हैवानों के साथ किसी तरह छूट नहीं दी जानी चाहिए। उन्हें सरेआम फांसी दे दी जानी चाहिए।
- दीपिका, छात्रा
जो भी ये रोजाना हो रहा है। इससे लड़कियां कहीं भी खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रही हैं। क्या चाहती है सरकार। आखिर कब तक लड़कियों को इस प्रकार हवस का शिकार बनाते रहेंगे।
- खुशी, छात्रा
दुष्कर्म करने वालों को ऐसी सजा मिलनी चाहिए, जिससे उनकी रूह कांप जाएं। दूसरी बार ऐसा अपराध करने की सोच भी न सकें। तभी लड़कियां सुरक्षित रह सकेंगी। खुल कर जी सकेंगी।
- नीरज, छात्रा,
हम सरकार को वोट देते हैं ताकि महिला अपराधों पर रोक लग सके। लड़कियां सुरक्षित माहौल में जी सकें। इसलिए सरकार का फर्ज बनता है जब हमने उन्हें वोट देकर चुना है तो वह हमारी सुरक्षा के इंतजाम भी करे।
- बबीता रावत, छात्रा
महिलाओं के साथ लगातार बढ़ रही घटनाओं से माता-पिता ने लड़कियों को घर से बाहर भेजना बंद कर दिया है। उन्हें बेटियों की सुरक्षा को लेकर हमेशा डर रहता है। डर की वजह से अगर लड़कियां घर से स्कूल-कॉलेज नहीं पहुंचेगी तो वह शिक्षित नहीं होंगी।
- श्वेता शर्मा, छात्रा
निर्भया कांड के बाद महिला अपराधों में कोई सुधार नहीं हुआ है। दुष्कर्म की घटनाएं दिन पर दिन बढ़ती जा रही हैं। छोटी बच्ची हो या बड़ी सभी के साथ घटनाएं हो रही है। सरकार कुछ कर नहीं रही है। इस तरह के मामले में सरकार को सरेआम फांसी की सजा सुनानी चाहिए।
- महिमा, छात्रा