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Delhi Zoo: हाथी शंकर को मिलेगी साथी, 18 वर्षों से है अकेला, कई बार हो जाता है मायूस, अंजुहा के लिए तलाश जारी

अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली Published by: आकाश दुबे Updated Thu, 25 May 2023 08:15 PM IST
सार

जिम्बाब्वे से आया शंकर वर्ष 2005 में अपने साथी बॉम्बेई की मौत के बाद से बाड़े में अकेला है। इससे वह कई बार मायूस हो जाता है, तो कभी-कभी उसे संभालना भी मुश्किल रहता है।

Delhi Zoo Elephant Shankar will get a companion he is alone for 18 years
चिड़ियाघर में दक्षिण अफ्रीकन हाथी शंकर। - फोटो : अमर उजाला

विस्तार

चिड़ियाघर में 18 वर्ष से अकेले रह रहे दक्षिण अफ्रीकन हाथी शंकर को जल्द ही साथी मिल सकता है। इसके साथी को लाने के लिए चिड़ियाघर प्रशासन ने कवायद तेज कर दी है। जिम्बाब्वे से आया शंकर वर्ष 2005 में अपने साथी बॉम्बेई की मौत के बाद से बाड़े में अकेला है। इससे वह कई बार मायूस हो जाता है, तो कभी-कभी उसे संभालना भी मुश्किल रहता है। देश में केवल दिल्ली व मैसूर चिड़ियाघर में ही दक्षिण अफ्रीकन नर हाथी हैं।

बता दें बीते वर्षों में भी इनके साथी को लाने की कोशिश की गई थी, लेकिन वह योजना ठंडे बस्ते में चली गई थी। अगर अगले कुछ माह में सब ठीक रहा तो दर्शकों को जल्द ही अफ्रीकन हाथी का जोड़ा देखने को मिलेगा। चिड़ियाघर में बच्चों की सबसे अधिक भीड़ हाथी के बा़ड़े के बाहर देखने को मिलती है। मौजूदा समय में चिड़ियाघर में तीन हाथी हैं। इसमें दो भारतीय हाथी हीरा-लक्ष्मी व दक्षिण अफ्रीकन शंकर हाथी है।

1998 में राष्ट्रपति को उपहार में मिला था हाथी
जिम्बाब्वे से वर्ष 1998 में तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा को दो अफ्रीकन हाथी उपहार के तौर पर मिले थे, जिसमें उन्होंने एक हाथी को दिल्ली चिड़ियाघर में दे दिया था, जबकि दूसरा हाथी रिंची मैसूर चिड़ियाघर में है। उस समय शंकर की उम्र 26 माह थी। इसके अलावा गेंडे में अंजुहा व मेहश्वरी भी अपने बाड़े में अपने साथी का लंबे समय से इंतजार कर रही है। यह दोनों मादा मां व बेटी हैं। हालांकि, इनके लिए पटना चिड़ियाघर से साथी लाने की बात कही जा रही है। इसमें यहां से एक मादा गैंडा को पटना भेजा जाएगा और वहां से एक नर गैंडा को लाया जाएगा। 

चिड़ियाघर के अधिकारी ने बताया कि शंकर के लिए साथी तो मिल रहे हैं, लेकिन उम्र ज्यादा होने से इसकी उम्र की लगभग मादा को खोजा जा रहा है। उन्होंने बताया कि 18-20 वर्ष की मादा हाथी तो मिल रही है, लेकिन वह उनके साथ समय व्यतीत नहीं कर सकता है। दक्षिण अफ्रीका में हाथियों की अच्छी संख्या है। वहां शंकर के मेल की हथिनी आसानी से मिल जाएगी। इसके लिए प्रस्ताव को तैयार किया जा रहा है। चिड़ियाघर के अधिकारी वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ जू एंड एक्वेरियम (वाजा) के संपर्क में हैं, जो पशु विनिमय कार्यक्रमों की सुविधा प्रदान करता है। 

गिद्ध से लेकर जगुआर भी हैं अकेले
चिड़ियाघर में इसी प्रकार दो जगुआर हैं। यह दोनों जगुआर भी वर्षों से अपने बाड़ों में अकेले रह रहे हैं। हालांकि, बिल्ली प्रजाति का होने के कारण अक्सर यहां पर्यटकों की अधिक भीड़ देखने को मिलती है। वहीं, गिद्ध व सैंड बोआ समेत सांप भी अकेला है। चिड़ियाघर प्रशासन इन वन्य जीवों के अकेलेपन को दूर करने के लिए इनके साथियों को लाने की तैयारी कर रहा है। 

शंकर के लिए साथी लाने के प्रयास को तेज किया गया है। अंतरराष्ट्रीय संगठनों से भी बातचीत चल रही है। इसमें जर्मनी भी एक मुख्य भूमिका निभा सकता है। इसके लिए विभिन्न चिड़ियाघरों को पत्र लिखा गया है। हालांकि, अभी किसी भी चिड़ियाघर से मंजूरी नहीं मिली है। -आकांक्षा महाजन, निदेशक, चिड़ियाघर
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