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Delhi Shastri Park fire incident streets are so narrow, it is not easy to drive a two wheeler
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शास्त्री पार्क अग्निकांड: सुबह बारिश न होती तो बड़ा होता हादसा, गलियां इतनी संकरी, बाइक तक चलाना आसान नहीं
अमर उजाला नेटवर्क, नई दिल्ली
Published by: शाहरुख खान
Updated Sat, 01 Apr 2023 10:42 AM IST
सार
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दिल्ली के शास्त्री पार्क इलाके में तीन मंजिला मकान में भीषण आग लग गई। दम घुटने से छह लोगों की मौत हो गई। सहरी के बाद सभी सो रहे थे। सुबह आठ बजे मच्छर भगाने की क्वाइल से गद्दे में आग लग गई। जिससे यह भयावह अग्निकांड हुआ।
यदि सुबह बारिश न होती तो शास्त्री पार्क इलाके में हादसा और बड़ा होता। बारिश के कारण आग आसपास के घरों में नहीं फैली। यहां बीस गज के अधिकतर बहुमंजिला मकान एक दूसरे पर चढ़े हुए हैं। गलियां भी इतनी संकरी हैं कि दोपहिया वाहन लेकर चलाना आसान नहीं।
गलियों में लोगों को धूप के दर्शन नहीं होते। अधिकतर घरों की बनावट चिमनीनुमा है, जिनमें खिड़की तक नहीं है। केवल अंदर घुसने के लिए एक दरवाजा है। लोगों को सांस लेने के लिए शुद्ध हवा भी बमुश्किल ही यहां मिल पाती है। कॉलोनी के अंदर दुकानें भी हैं।
इस अग्निकांड से पता चला कि यहां करीब हर दूसरे घर में जींस व कपड़े के दूसरे धंधे से जुड़ी फैक्ट्रियां चल रही हैं। इस कारण यहां पर बिहार, पश्चिम बंगाल, कश्मीर सहित देश के दूसरे राज्यों से आए मजदूर वर्ग के लोग किराए पर ज्यादा रहते हैं। यहां इन मजदूरों के रहने और काम करने दोनों का बंदोबस्त हो जाता है। बड़ी संख्या में महिलाएं कटिंग, सिलाई, कढ़ाई के काम में लगी हैं। कॉलोनी के अंदर ई-रिक्शा और रिक्शा की ठेकेदारी भी होती है।
झुग्गियां बहुमंजिला पक्के ढांचे में हो गईं तब्दील
यहां पर कभी झुग्गियां हुआ करती थीं, जो वक्त के साथ धीरे-धीरे बहुमंजिला पक्के ढांचे में तब्दील हो गईं। शुरुआत में पुलिस और सिविक एजेंसियों ने ढिलाई बरती। आज पूरी दिल्ली में ज्यादातर अनधिकृत कॉलोनियों के अंदर कुछ इसी तरह की स्थिति नजर आती है और यहां बड़ा हादसा हो जाने पर लोगों की इन पर नजर पड़ती है, लेकिन कुछ दिन के बाद ही लोग सब कुछ भूल जाते हैं।
मौन हैं सिविक एजेंसियां
दिल्ली में डीडीए, एमसीडी, जल बोर्ड, बिजली विभाग जैसी सिविक बॉडी जनहित से जुड़ी सेवाओं के लिए काम करती हैं। सेवाओं को सुचारु रूप से पहुंचाने में दिल्ली पुलिस इनका सहयोग करती है, लेकिन इन सबकी आंखों के सामने ही शास्त्री पार्क जैसी अनेक कॉलोनियां खड़ी हो गई हैं। जहां आग लगने पर दमकल या आपातकालीन स्थिति में एंबुलेंस सेवा भी नहीं पहुंच सकती। फिलहाल, शास्त्री पार्क में हुए हादसे के विषय में एमसीडी के अधिकारियों ने कोई भी प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया है।
आपको बता दें कि दिल्ली के शास्त्री पार्क में शुक्रवार सुबह तीन मंजिला इमारत के भूतल पर मच्छरों से बचने के लिए क्वाइल जलाना छह लोगों के लिए जानलेवा साबित हुआ। एक महिला ने बिस्तर के पास क्वाइल जलाई थी जिससे सुबह करीब आठ बजे गद्दे में आग लग गई। देखते ही देखते सभी कमरों में धुआं भर गया। इससे रोजे की सहरी के बाद सो रहे 11 लोगों का दम घुट गया।
पुलिस ने अचेतावस्था में सभी को जगप्रवेश चंद अस्पताल में भर्ती कराया जहां डाक्टरों ने ढाई साल के बच्चे समेत छह लोगों को मृत घोषित कर दिया। पुलिस के अनुसार, सौ गज के डी-54 मकान में अकबर रहता है। पहली मंजिल पर भाई हसमत का परिवार और दो किरायेदार रहते हैं। दूसरी मंजिल पर दूसरा भाई असगर परिवार और चार कमरों में किरायेदार रहते हैं।
तीसरी मंजिल पर असगर की जींस की फैक्टरी है और चार कमरों में किरायेदार रहते हैं। भाई अन्ना एक आपराधिक मामले में जेल में बंद है। अकबर ने बताया कि तड़के सभी लोग सहरी के बाद सो गए थे। अन्ना की पत्नी शुमाइला ने सुबह करीब छह बजे कमरे में क्वाइल जलाकर बिस्तर के पास रख ली और सो गई।
अकबर ने भी बच्चों को बाहर निकाला
कमरे में रोशनदान नहीं होने से आठ बजे धुएं से उसका दम घुटने लगा। नींद खुली तो देखा गद्दे में आग लगी थी। उसने तुरंत शोर मचाकर जानकारी जेठ अकबर को दी। शुमाइला अपने डेढ़ साल के बेटे को लेकर कमरे से बाहर निकल गई। अकबर ने भी बच्चों को बाहर निकाल दिया। उसने आग बुझाने की कोशिश में कमरे में पानी फेंका, लेकिन आग भड़क चुकी थी।
धुआं ऊपरी मंजिल तक पहुंचा तो सो रहे लोगों का दम घुटने लगा। धीरे-धीरे आग की लपटें भी ऊपर की मंजिल तक पहुंच गईं। कुछ लोग धुआं देखकर जैसे तैसे बाहर निकल गए। मौके पर पहुंची पुलिस और दमकल कर्मियों ने मकान में फंसे लोगों को बाहर निकालकर अस्पताल में भर्ती कराया।
इनकी गई जान
पुलिस के अनुसार, मरने वालों की पहचान ढाई साल के हमजा, मोहम्मद जैदुन (47), दानिश (26), महिला नसीम (28), फजलू (50), जहीदुल (36) के रूप में हुई है, जबकि हसमत (38) व बेटी सोनी (15) और जाइरूल (50), रहमान (40), ताजुद्दीन (38) घायल हो गए।
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