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Arvind Kejriwal: केजरीवाल बोले- युवा चाहता है तरक्की, प्रधानमंत्री का पढ़ा-लिखा होना बेहद जरूरी

अमर उजाला नेटवर्क, नई दिल्ली Published by: विजय पुंडीर Updated Sun, 02 Apr 2023 07:28 AM IST
सार

केजरीवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री को एक ही दिन में विज्ञान और अर्थव्यवस्था के सैकड़ों फैसले लेने होते हैं। अगर प्रधानमंत्री पढ़े-लिखे नहीं होंगे तो अफसर और किस्म-किस्म के लोग आकर बहलाकर कहीं पर भी हस्ताक्षर करा ले जाएंगे।

Arvind Kejriwal attacked Prime Minister Narendra Modi
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल - फोटो : अमर उजाला

विस्तार

प्रधानमंत्री की डिग्री मांगने पर गुजरात हाईकोर्ट की ओर से शुक्रवार को 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाए जाने पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को अपनी बात संवाददाता सम्मेलन में रखी। 



उन्होंने सवाल किया कि क्या 21वीं सदी में देश को पढ़े-लिखे प्रधानमंत्री नहीं चाहिए। इस सदी का युवा देश की तरक्की चाहता है। ऐसे में प्रधानमंत्री का पढ़ा-लिखा होना बेहद जरूरी है। पढ़े-लिखे होते तो देश में नोटबंदी नहीं होती, जीएसटी ठीक से लागू होता और किसानों के लिए तीन काले कानून नहीं लाए जाते। केजरीवाल ने कहा कि अमूमन प्रधानमंत्री के ऐसे बयान आते रहते हैं, जो देश को विचलित कर देते हैं। मसलन, नाले की गैस से चाय बनाना, बारिश में विमान का रडार से बच जाना, ग्लोबल वार्मिंग नाम की कोई चीज नहीं होती और कनाडा में ए प्लस बी इंटू ब्रैकेट स्क्वॉयर जैसी बातें वे नहीं कहते। ऐसे में गुजरात हाईकोर्ट का ऑर्डर आया है कि प्रधानमंत्री की डिग्री की जानकारी नहीं ले सकते, जबकि आजाद देश में जानकारी लेना हर नागरिक का अधिकार है। अब देश की जनता के मन में यह सवाल है या तो प्रधानमंत्री अहंकार वश डिग्री नहीं दे रहे हैं या फिर डिग्री फर्जी है। 


हम जनतंत्र में रहते हैं जहां प्रश्न पूछने का अधिकार है। किसी का भी कम पढ़ा-लिखा होना या अनपढ़ होना कोई गुनाह या पाप नहीं है। परिस्थितियों और हालात की वजह से बहुत से लोगों को अच्छी शिक्षा नहीं मिल पाती। 21वीं सदी का युवा महंगाई से छुटकारा चाहता है। तेजी से तरक्की पसंद है।

नोटबंदी की वजह से बहुत खामियाजा भुगतना पड़ा
केजरीवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री को एक ही दिन में विज्ञान और अर्थव्यवस्था के सैकड़ों फैसले लेने होते हैं। अगर प्रधानमंत्री पढ़े-लिखे नहीं होंगे तो अफसर और किस्म-किस्म के लोग आकर बहलाकर कहीं पर भी हस्ताक्षर करा ले जाएंगे। देश में नोटबंदी की वजह से बहुत खामियाजा भुगतना पड़ा। अर्थव्यवस्था को बहुत नुकसान हुआ। देश 10 साल पीछे चला गया। अगर प्रधानमंत्री पढ़े-लिखे होते तो नोटबंदी नहीं करते। इसी तरह जीएसटी एक अच्छा कांसेप्ट था, लेकिन जिस तरह से लागू किया गया, उससे अर्थव्यवस्था धराशायी हो गई। देश में किसानों से बातचीत किए बिना तीन काले कानून लागू किए गए। यह समझ नहीं आता है कि किसने जाकर प्रधानमंत्री के कान भरे और तीनों कानून लागू कर दिए।

डिग्री है तो क्यों नहीं दी जा रही
केजरीवाल ने कहा कि गुजरात हाईकोर्ट के ऑर्डर ने प्रधानमंत्री की शिक्षा पर संशय को और बढ़ा दिया है। कुछ वर्ष पहले अमित शाह ने प्रधानमंत्री की डिग्री दिखाई थी। अगर डिग्री है और सही है तो क्यों नहीं दी जा रही। गुजरात और दिल्ली विश्वविद्यालय डिग्री की जानकारी क्यों नहीं दे रहे। दरअसल, उन्हें अहंकार है। जनतंत्र में इस तरह का अहंकार ठीक नहीं है। इससे जनता के मन में बहुत सारी अफवाहों का बाजार गर्म है और बहुत सारे प्रश्न खड़े हो रहे हैं। 

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