दिल्ली पुलिस कंट्रोल रूम में अब हर रोज करीब साढ़े पांच लाख कॉल आती हैं लेकिन इनमें से महज पांच से छह हजार ही ऐसी होती हैं जिनमें पुलिस कार्रवाई की जरूरत पड़ती है। बाकी कॉल या तो गलती से या फिर लोग गुस्से से पीसीआर को कर देते हैं।
कई बार तो लोग पुलिस से सामान्य सी जानकारी और ऐसी समस्याओं के लिए फोन करते हैं जिसका पुलिस से कोई संबंध भी नहीं होता। पुलिस को सभी कॉल अटेंड करनी पड़ती हैं भले ही उसमें कोई कार्रवाई हो या न हो।
दिल्ली पुलिस के डीसीपी (पीसीआर ) शरत कुमार के अनुसार दिल्ली पुलिस के के कंट्रोल रूम में हर रोज करीब साढ़े पांच लाख कॉल आती हैं। इनमें से करीब पांच से सवा पांच लाख कॉल ड्रॉप हो जाती हैं। कॉल ड्राप का मतलब या तो किसी ने गलती से 100 या 112 नंबर पर कॉल लगा दी या किसी के मोबाइल का गलती से पावर बटन दब गया।
कई बार किसी ने गुस्से में 100 नंबर लगा दिया और फिर काट दिया। साढ़े पांच लाख कॉल में से सिर्फ पांच-छह हजार कॉल ऐसी होती हैं जिन पर पुलिस कार्रवाई करती है। ड्राप कॉल लॉग बुक में तो आ जाती हैं, मगर सिस्टम में रिकार्ड नहीं हो पाती हैं।
कुछ ऐसा है दिल्ली पुलिस का डाटा
दिल्ली पुलिस कंट्रोल रूम में 18 नवंबर को कुल 5,54,339 कॉल आई थीं। यह कॉल दिल्ली पुलिस कंट्रोल रूम 100, 112, महिला व चाइल्ड हेल्पलाइन समेत अन्य हेल्पलाइन पर आई थीं। इनमें 5.38 लाख कॉल ड्राप हो गई थीं, पर यह कॉल लॉग बुक में रजिस्टर्ड हो गई थीं। इनमें 16 हजार कॉल अटेंड करनी वाली थीं। इनमें से 5657 वाली कॉल में पुलिस कार्रवाई बनती थी जबकि 10434 कॉल ऐसी थीं जिनमें कोई पुलिस कार्रवाई नहीं बनती थी। इनमें से 694 कॉल महिलाओं से संबंधित थीं।
हर पुलिसकर्मी सुनता है करीब 500 कॉल
क्या इन कॉल को अटेंड करने वाले सिर्फ 1000 महिला व पुरुष पुलिसकर्मी हैं। इस हिसाब से देखे तो एक पीसीआर कर्मी एक दिन में करीब 555 कॉल अटेंड करता है। अनचाही कॉल को रोकने के लिए नई हेल्पलाइन में पावर बटन आठ का प्रावधान किया गया है। 100 नंबर पर कॉल कर 10 से 15 हजार लोग केवल पूछताछ करते हैं।
दिल्ली पुलिस कंट्रोल रूम में अब हर रोज करीब साढ़े पांच लाख कॉल आती हैं लेकिन इनमें से महज पांच से छह हजार ही ऐसी होती हैं जिनमें पुलिस कार्रवाई की जरूरत पड़ती है। बाकी कॉल या तो गलती से या फिर लोग गुस्से से पीसीआर को कर देते हैं।
कई बार तो लोग पुलिस से सामान्य सी जानकारी और ऐसी समस्याओं के लिए फोन करते हैं जिसका पुलिस से कोई संबंध भी नहीं होता। पुलिस को सभी कॉल अटेंड करनी पड़ती हैं भले ही उसमें कोई कार्रवाई हो या न हो।
दिल्ली पुलिस के डीसीपी (पीसीआर ) शरत कुमार के अनुसार दिल्ली पुलिस के के कंट्रोल रूम में हर रोज करीब साढ़े पांच लाख कॉल आती हैं। इनमें से करीब पांच से सवा पांच लाख कॉल ड्रॉप हो जाती हैं। कॉल ड्राप का मतलब या तो किसी ने गलती से 100 या 112 नंबर पर कॉल लगा दी या किसी के मोबाइल का गलती से पावर बटन दब गया।
कई बार किसी ने गुस्से में 100 नंबर लगा दिया और फिर काट दिया। साढ़े पांच लाख कॉल में से सिर्फ पांच-छह हजार कॉल ऐसी होती हैं जिन पर पुलिस कार्रवाई करती है। ड्राप कॉल लॉग बुक में तो आ जाती हैं, मगर सिस्टम में रिकार्ड नहीं हो पाती हैं।
कुछ ऐसा है दिल्ली पुलिस का डाटा
दिल्ली पुलिस कंट्रोल रूम में 18 नवंबर को कुल 5,54,339 कॉल आई थीं। यह कॉल दिल्ली पुलिस कंट्रोल रूम 100, 112, महिला व चाइल्ड हेल्पलाइन समेत अन्य हेल्पलाइन पर आई थीं। इनमें 5.38 लाख कॉल ड्राप हो गई थीं, पर यह कॉल लॉग बुक में रजिस्टर्ड हो गई थीं। इनमें 16 हजार कॉल अटेंड करनी वाली थीं। इनमें से 5657 वाली कॉल में पुलिस कार्रवाई बनती थी जबकि 10434 कॉल ऐसी थीं जिनमें कोई पुलिस कार्रवाई नहीं बनती थी। इनमें से 694 कॉल महिलाओं से संबंधित थीं।
हर पुलिसकर्मी सुनता है करीब 500 कॉल
क्या इन कॉल को अटेंड करने वाले सिर्फ 1000 महिला व पुरुष पुलिसकर्मी हैं। इस हिसाब से देखे तो एक पीसीआर कर्मी एक दिन में करीब 555 कॉल अटेंड करता है। अनचाही कॉल को रोकने के लिए नई हेल्पलाइन में पावर बटन आठ का प्रावधान किया गया है। 100 नंबर पर कॉल कर 10 से 15 हजार लोग केवल पूछताछ करते हैं।