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Wrestlers protest: बिना मेडल विसर्जित किए वापस लौटे पहलवान, गंगा सभा ने कहा- ये कोई राजनीति का अखाड़ा नहींं

संवाद न्यूज एजेंसी, हरिद्वार Published by: अलका त्यागी Updated Tue, 30 May 2023 10:54 PM IST
सार

Wrestlers protest News: गंगा सभा ने विरोध जताते हुए कहा कि पहलवान स्नान करें। दानपुण्य कार्य करें। लेकिन मेडल विसर्जन नहीं करने दिया जाएगा। हरकी पैड़ी को राजनीति का अखाड़ा नहीं बनने दिया जाएगा।

Wrestlers protest: Players will Throw medals in Ganga river in Haridwar today
हरिद्वार पहुंचे पहलवान खिलाड़ी - फोटो : अमर उजाला

विस्तार
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महिला खिलाड़ियों के उत्पीड़न के विरोध में आज  विनेश फोगाट, साक्षी मलिक, बजरंग पुनिया गंगा में मेडल प्रवाहित करने हरिद्वार पहुंचे। लेकिन श्री गंगा सभा ने हरकी पैड़ी पर मेडल विसर्जन करने से उन्हें रोक दिया। श्री गंगा सभा अध्यक्ष नितिन गौतम ने कहा है कि हरकी पैड़ी सनातन का पवित्र तीर्थ स्थल है। पहलवान स्नान करें। दानपुण्य कार्य करें। लेकिन मेडल विसर्जन नहीं करने दिया जाएगा। हरकी पैड़ी को राजनीति का अखाड़ा नहीं बनने दिया जाएगा।



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नितिन गौतम ने बयान जारी करते हुए पहलवानों के मेडल विसर्जन पर आपत्ती जताई है। निंदा करते कहा है कि श्री गंगा सभा पहलवानों के इस कृत्य का बहिष्कार करती है। हरकी पैड़ी श्रद्धालुओं की आस्था और अस्थि विसर्जन का क्षेत्र है, न कि मेडल विसर्जन का। हरिद्वार में सभी जगह पर गंगा जी प्रवाहित हैं। पहलवान हरकी पैड़ी छोड़कर अन्य जगह अपना कार्य कर सकते हैं। तीर्थ की मर्यादा बनाए रखने के लिए मेडल विसर्जन की अनुमति नहीं दी जाएगी। 

कहा कि मंगलवार को गंगा दशहरा पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु हरकी पैड़ी और आसपास के गंगा घाटों पर स्नान करने पहुंचे हैं। संध्या कालीन आरती में हरकी पैड़ी पर काफी श्रद्धालु रहते हैं। ऐसे में पहलवानों की वजह से भगदड़ मचने से बड़ी दुर्घटना हो सकती है। अध्यक्ष ने कहा कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस प्रशासन को पहलवानों को रोका जाना चाहिए।

नरेश टिकैत के समझाने के बाद लौटे पहलवान

भारतीय किसान यूनियन टिकैत के राष्ट्रीय प्रवक्ता नरेश टिकैत पहलवानों से मिलने मौके पर पहुंचे। उन्होंने काफी देर तक पहलवानों को समझाया। उन्होंने पहलवानों को आश्वासन दिया कि वह पहलवानों को इंसाफ दिलाने के लिए वार्ता करेंगे। नरेश टिकैत की बात मानने के बाद पहलवान करीब पौने दो घंटे के बाद वापस दिल्ली लौट गए।

बता दें कि मंगलवार को बजरंग पुनिया ने मेडल गंगा में प्रवाहित करने की जानकारी अपने ट्वीटर एकाउंट पर दी थी। उन्होंने लिखा '28 मई को जो हुआ वह आप सबने देखा। पुलिस ने हम लोगों के साथ क्या व्यवहार किया। हमें कितनी बर्बरता से गिरफ़्तार किया। हम शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे थे। हमारे आंदोलन की जगह को भी पुलिस ने तहस नहस कर हमसे छीन लिया और अगले दिन गंभीर मामलों में हमारे ऊपर ही एफआईआर दर्ज कर दी गई। क्या महिला पहलवानों ने अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न के लिए न्याय मांगकर कोई अपराध कर दिया है। पुलिस और तंत्र हमारे साथ अपराधियों जैसा व्यवहार कर रही है, जबकि उत्पीड़क खुली सभाओं में हमारे ऊपर फबतियां कस रहे हैं। टीवी पर महिला पहलवानों को असहज कर देनी वाली अपनी घटनाओं को कबूल करके उनको ठहाकों में तब्दील कर दे रहा है। यहां तक कि पाक्सो एक्ट को बदलवाने की बात सरेआम कह रहा है। महिला पहलवान अंदर से ऐसा महसूस कर रही हैं कि इस देश में हमारा कुछ बचा नहीं है। हमें वे पल याद आ रहे हैं जब हमने ओलंपिक, वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेडल जीते थे।
 
अब लग रहा है कि क्यों जीते थे। क्या इसलिए जीते थे कि तंत्र हमारे साथ ऐसा घटिया व्यवहार करे। हमें घसीटे और फिर हमें ही अपराधी बना दे। कल पूरा दिन हमारी कई महिला पहलवान खेतों में छिपती फिरी हैं। तंत्र को पकड़ना उत्पीड़क को चाहिए था, लेकिन वह पीड़ित महिलाओं को उनका धरना खत्म करवाने, उन्हें तोड़ने और डराने में लगा हुआ है। अब लग रहा है कि हमारे गले में सजे इन मेडलों का कोई मतलब नहीं रह गया है। इनको लौटाने की सोचने भर से हमें मौत लग रही थी, लेकिन अपने आत्म सम्मान के साथ समझौता करके भी क्या जीना.।

मां गंगा से पवित्र कुछ नहीं, इसलिए उन्हीं की गोद में प्रवाहित करेंगे मेडल

लिखा कि मन में यह सवाल आया कि किसे लौटाएं ये मेडल। हमारी राष्ट्रपति को, जो खुद एक महिला हैं। मन ने ना कहा, क्योंकि वह हमसे सिर्फ दो किलोमीटर दूर बैठीं सिर्फ देखती रहीं, लेकिन कुछ भी बोली नहीं। हमारे प्रधानमंत्री को, जो हमें अपने घर की बेटियां बताते थे। मन नहीं माना, क्योंकि उन्होंने एक बार भी अपने घर की बेटियों की सुध नहीं ली, बल्कि नई संसद के उद्घाटन में हमारे उत्पीड़क को बुलाया।  वह तेज सफेदी वाले चमकदार कपड़ों में फोटो खिंचवा रहा था. उसकी सफेदी हमें चुभ रही थी, मानो कह रही हो कि मैं ही तंत्र हूं। 

इस चमकदार तंत्र में हमारी जगह कहां हैं। भारत में बेटियों की जगह कहां हैं। क्या हम केवल नारे बनकर या सत्ता में आने भर का एजेंडा बनकर रह गई हैं।  ये मेडल अब हमें नहीं चाहिए क्योंकि इन्हें पहनाकर हमें मुखौटा बनाकर केवल अपना प्रचार करता है यह तेज सफेदी वाला तंत्र और फिर हमारा शोषण करता है। हम उस शोषण के खिलाफ बोलें तो हमें जेल में डालने की तैयारी कर लेता है। 

इन मेडलों को हम गंगा में बहाने जा रहे हैं, क्योंकि वह गंगा मा हैं। जितना पवित्र हम गंगा को मानते हैं उतनी ही पवित्रता से हमने मेहनत कर इन मेडलों को हासिल किया था। ये मेडल सारे देश के लिए ही पवित्र हैं और पवित्र मेडल को रखने की सही जगह पवित्र मां गंगा ही हो सकती है। 
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