लोकप्रिय और ट्रेंडिंग टॉपिक्स

विज्ञापन
Hindi News ›   Uttarakhand ›   Dehradun News ›   Vigilance is unable to find evidence in paper leak case Uttarakhand news in hindi

Paper Leak Case: आयोग के अफसरों पर मुकदमे लायक सुबूत नहीं जुटा पा रही विजिलेंस, अब इस तैयारी में जुटी

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, देहरादून Published by: रेनू सकलानी Updated Sat, 28 Jan 2023 05:16 PM IST
पेपर लीक
पेपर लीक - फोटो : सोशल मीडिया
पेपर लीक मामले में उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के पूर्व सचिव समेत पांच अफसरों के खिलाफ मुकदमे लायक विजिलेंस के हाथ सुबूत नहीं लग रहे हैं। तीन माह से ज्यादा समय से देहरादून सेक्टर में इस मामले की जांच चल रही है। बताया जा रहा है कि अब जल्द ही विजिलेंस दोबारा से फाइल को मुकदमे की अनुमति के लिए शासन में भेज सकती है।


मई 2022 में एसटीएफ ने स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा में पेपर लीक की जांच शुरू की थी। इसमें एक के बाद एक कई खुलासे हुए और एसटीएफ ने कुल 43 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। इसमें सबसे अहम कड़ी थी परीक्षा कराने वाली कंपनी आरएमएस टेक्नो साॅल्यूशन कंपनी के मालिक की मिलीभगत।


पता चला कि उसने अन्य परीक्षाओं में भी धांधली की है। अब बात आई कि इस कंपनी को काम किन अधिकारियों के कहने पर दिया गया। इसमें पूर्व सचिव का नाम भी सामने आया था। पुलिस की सिफारिश पर शासन ने विजिलेंस को पूर्व सचिव संतोष बडोनी समेत पांच अधिकारियों की जांच के आदेश दिए थे।
 

तीन महीने से चल रही विजिलेंस में जांच
तकरीबन 25 दिन की जांच में पाया गया कि कंपनी को काम देने के लिए अधिकारियों ने वित्तीय अनियमितताएं भी की हैं। ऐसे में विजिलेंस ने संतोष बडोनी समेत इन पांचों अफसरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की अनुमति शासन से मांगी थी। लेकिन, शासन ने यह कहते हुए फाइल वापस कर दी कि इसमें पुख्ता सुबूत नहीं है। इस तरह तीन माह पहले फिर से विजिलेंस ने इसमें जांच शुरू की। तीन महीने से विजिलेंस में जांच ही चल रही है। सूत्रों का कहना है कि अभी तक विजिलेंस को पुख्ता सुबूत नहीं मिले हैं।

ये भी पढ़ें...Patwari Paper leak: सेवानिवृत्त शिक्षक गिरफ्तार, रकम तय कर छह अभ्यर्थियों को बिहारीगढ़ के रिजॉर्ट में था ले गया

अगले माह दोबारा भेजी जा सकती है फाइल
सूत्रों के मुताबिक, विजिलेंस इस मामले में अब दोबारा से फाइल अगले महीने शासन के पास भेज सकती है। बताया जा रहा है कि विजिलेंस एसटीएफ को मिले तथ्यों के आधार पर ही जांच कर रही है। कंपनी को काम वर्ष 2016 में दिया गया था। ऐसे में मामला पुराना होने के कारण ज्यादातर साक्ष्य मौजूद नहीं हैं। यही कारण है कि इस मामले में जांच धीमी चल रही है।
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

क्षमा करें यह सर्विस उपलब्ध नहीं है कृपया किसी और माध्यम से लॉगिन करने की कोशिश करें

;

Followed

;