मेरी यादों में मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल हमेशा जिंदा रहेंगे। आज वह हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी यादें हमेशा साथ रहेंगी। बीता एक वर्ष काफी कठिन रहा। इस बीच मेरी सास सरोज और पूरे परिवार ने मेरा काफी ख्याल रखा। यह वजह है कि मैं भी जल्द सेना की वर्दी पहनूंगी।
यह बातें मंगलवार को शहीद विभूति शंकर ढौंडियाल की पहली बरसी पर उनकी पत्नी नितिका ढौंडियाल ने पत्रकारों से कहीं। नितिका ने बताया कि 18 फरवरी का दिन वह जीवनभर नहीं भूल पाएंगी। शादी के 10 महीने बाद ही विभूति देश के लिए शहीद हो गए थे। इस बीच मैंने सेना में जाने का निर्णय लिया, लेकिन मन में तमाम सवाल उठ रहे थे। फार्म भरने भी जा रही थी तो संशय उठ रहा था। क्या मैं परीक्षा पास कर पाऊंगी? पति की तरह सेना की वर्दी पहन सकूंगी, लेकिन मेरी सासू मां (सरोज) ने मुझे पूरा सपोर्ट किया। मैंने मार्केटिंग और ऑपरेशन में एमबीए किया है। सास और परिवार की प्रेरणा के चलते मैंने पिछले साल नवंबर में सेना का फार्म भरा। इसके बाद मेडिकल समेत सभी परीक्षाएं पास की।
नोएडा में नौकरी के कारण हफ्ते 15 दिन में ही दून आती थी। इस बीच सास रोज मुझे फोन पर हालचाल लेती थीं। मैंने खाना खाया या नहीं? इसी तरह पूरे परिवार और ऑफिस में मेरे सभी सहयोगियों ने मुझे पूरा सहयोग किया। मुझे पूरी उम्मीद है कि मार्च में मेरिट जारी होने के बाद सेना में अफसर बनकर अपने पति से किए वादे को पूरा करूंगी।
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सुप्रीम कोर्ट का निर्णय सराहनीय
नितिका ढौंडियाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय सराहनीय है। सेना में महिलाओं को जरूर बराबरी का हक मिलना चाहिए। इसके बेहतर परिणाम हमें दिखाई देंगे।
मेरी यादों में मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल हमेशा जिंदा रहेंगे। आज वह हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी यादें हमेशा साथ रहेंगी। बीता एक वर्ष काफी कठिन रहा। इस बीच मेरी सास सरोज और पूरे परिवार ने मेरा काफी ख्याल रखा। यह वजह है कि मैं भी जल्द सेना की वर्दी पहनूंगी।
यह बातें मंगलवार को शहीद विभूति शंकर ढौंडियाल की पहली बरसी पर उनकी पत्नी नितिका ढौंडियाल ने पत्रकारों से कहीं। नितिका ने बताया कि 18 फरवरी का दिन वह जीवनभर नहीं भूल पाएंगी। शादी के 10 महीने बाद ही विभूति देश के लिए शहीद हो गए थे। इस बीच मैंने सेना में जाने का निर्णय लिया, लेकिन मन में तमाम सवाल उठ रहे थे। फार्म भरने भी जा रही थी तो संशय उठ रहा था। क्या मैं परीक्षा पास कर पाऊंगी? पति की तरह सेना की वर्दी पहन सकूंगी, लेकिन मेरी सासू मां (सरोज) ने मुझे पूरा सपोर्ट किया। मैंने मार्केटिंग और ऑपरेशन में एमबीए किया है। सास और परिवार की प्रेरणा के चलते मैंने पिछले साल नवंबर में सेना का फार्म भरा। इसके बाद मेडिकल समेत सभी परीक्षाएं पास की।
नोएडा में नौकरी के कारण हफ्ते 15 दिन में ही दून आती थी। इस बीच सास रोज मुझे फोन पर हालचाल लेती थीं। मैंने खाना खाया या नहीं? इसी तरह पूरे परिवार और ऑफिस में मेरे सभी सहयोगियों ने मुझे पूरा सहयोग किया। मुझे पूरी उम्मीद है कि मार्च में मेरिट जारी होने के बाद सेना में अफसर बनकर अपने पति से किए वादे को पूरा करूंगी।
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सुप्रीम कोर्ट का निर्णय सराहनीय
नितिका ढौंडियाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय सराहनीय है। सेना में महिलाओं को जरूर बराबरी का हक मिलना चाहिए। इसके बेहतर परिणाम हमें दिखाई देंगे।