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आरटीओ के नारसन चेकपोस्ट पर कर्मचारियों द्वारा अवैध वसूली का मामला सामने आया है। इस मामले में एसएसपी की रिपोर्ट के बाद डीएम ने 30 जनवरी को कार्रवाई के आदेश जारी किए थे, लेकिन मामला फाइलों में दफन होकर रह गया। उधर, आरटीओ के वह कर्मचारी आज भी उसी चेकपोस्ट पर तैनात हैं।
दरअसल, लगातार यह शिकायत पुलिस को मिल रही थी कि आरटीओ के नारसन चेकपोस्ट पर मालवाहक ट्रकों से अवैध वसूली की जा रही है। इस शिकायत पर सीओ मंगलौर ने एसएसपी हरिद्वार को नौ जनवरी को एक रिपोर्ट दी। इस रिपोर्ट के आधार पर 12 जनवरी को एसएसपी ने यह रिपोर्ट हरिद्वार के जिलाधिकारी सी रविशंकर को भेजी।
इसमें बताया गया कि नारसन बॉर्डर पर अवैध वसूली की शिकायत मिलने के बाद सीओ मंगलौर ने औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्हें पताचला कि आरटीओ कर्मचारी प्रदीप सैनी और मुकेश वर्मा मालवाहक ट्रकों की पर्ची काट रहे हैं। ट्रक ड्राईवरों ने शिकायत की कि 60 रुपये की पर्ची के लिए उनसे 600 रुपये वसूल किए जा रहे हैं।
जब सीओ के सामने इस मामले में ट्रक ड्राईवरों ने आक्रोश जताया तो उन कर्मचारियों ने ट्रक ड्राईवरों को 600-600 रुपये लौटा दिए।
इससे भी आश्चर्यजनक बात यह रही कि जब चेकपोस्ट पर तैनात आरटीओ के सीनियर अधिकारी के बारे में पूछा गया तो मुख्य प्रशासनिक अधिकारी दिलावर सिंह गुसाईं पास के कमरे से आए। सीओ और एसएसपी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि वह नींद से जागकर आए थे।
जब उनसे 600 रुपये वसूली का सवाल किया गया तो वह कोई जवाब नहीं दे पाए। न ही ड्यूटी पर तैनात वसूली के आरोपी कर्मचारियों को उन्होंने चेतावनी दी। एसएसपी ने अपनी रिपोर्ट में यह भी साफ किया है कि वसूली करने वाले कर्मचारी पुलिस की वर्दी में थे, जिससे पुलिस-प्रशासन की छवि धूमिल हुई है।
वहीं, दोनों कर्मचारियों ने सीओ मंगलौर के सामने 600 रुपये वसूल करने की बात भी कुबूल की। लिहाजा, जिलाधिकारी सीए रविशंकर ने एआरटीओ रुड़की को आदेश दिया था कि आरोपी आरटीओ कर्मचारियों और अधिकारियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। उन्होंने यह आदेश 30 जनवरी को दिए थे लेकिन आदेश की कॉपी फाइलों में दफन होकर रह गई।
जिलाधिकारी हरिद्वार के स्तर से इस मामले में कार्रवाई के आदेश एआरटीओ रुड़की को दिए गए थे। हमने मामले में कार्रवाई के लिए आरटीओ प्रवर्तन संदीप सैनी को पत्र भेजा हुआ है। अभी कार्रवाई होनी बाकी है।
-दीपेंद्र कुमार चौधरी, परिवहन आयुक्त, उत्तराखंड
आरटीओ के नारसन चेकपोस्ट पर कर्मचारियों द्वारा अवैध वसूली का मामला सामने आया है। इस मामले में एसएसपी की रिपोर्ट के बाद डीएम ने 30 जनवरी को कार्रवाई के आदेश जारी किए थे, लेकिन मामला फाइलों में दफन होकर रह गया। उधर, आरटीओ के वह कर्मचारी आज भी उसी चेकपोस्ट पर तैनात हैं।
दरअसल, लगातार यह शिकायत पुलिस को मिल रही थी कि आरटीओ के नारसन चेकपोस्ट पर मालवाहक ट्रकों से अवैध वसूली की जा रही है। इस शिकायत पर सीओ मंगलौर ने एसएसपी हरिद्वार को नौ जनवरी को एक रिपोर्ट दी। इस रिपोर्ट के आधार पर 12 जनवरी को एसएसपी ने यह रिपोर्ट हरिद्वार के जिलाधिकारी सी रविशंकर को भेजी।
इसमें बताया गया कि नारसन बॉर्डर पर अवैध वसूली की शिकायत मिलने के बाद सीओ मंगलौर ने औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्हें पताचला कि आरटीओ कर्मचारी प्रदीप सैनी और मुकेश वर्मा मालवाहक ट्रकों की पर्ची काट रहे हैं। ट्रक ड्राईवरों ने शिकायत की कि 60 रुपये की पर्ची के लिए उनसे 600 रुपये वसूल किए जा रहे हैं।
जब सीओ के सामने इस मामले में ट्रक ड्राईवरों ने आक्रोश जताया तो उन कर्मचारियों ने ट्रक ड्राईवरों को 600-600 रुपये लौटा दिए।
600 रुपये वसूल करने की बात कुबूल की
इससे भी आश्चर्यजनक बात यह रही कि जब चेकपोस्ट पर तैनात आरटीओ के सीनियर अधिकारी के बारे में पूछा गया तो मुख्य प्रशासनिक अधिकारी दिलावर सिंह गुसाईं पास के कमरे से आए। सीओ और एसएसपी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि वह नींद से जागकर आए थे।
जब उनसे 600 रुपये वसूली का सवाल किया गया तो वह कोई जवाब नहीं दे पाए। न ही ड्यूटी पर तैनात वसूली के आरोपी कर्मचारियों को उन्होंने चेतावनी दी। एसएसपी ने अपनी रिपोर्ट में यह भी साफ किया है कि वसूली करने वाले कर्मचारी पुलिस की वर्दी में थे, जिससे पुलिस-प्रशासन की छवि धूमिल हुई है।
वहीं, दोनों कर्मचारियों ने सीओ मंगलौर के सामने 600 रुपये वसूल करने की बात भी कुबूल की। लिहाजा, जिलाधिकारी सीए रविशंकर ने एआरटीओ रुड़की को आदेश दिया था कि आरोपी आरटीओ कर्मचारियों और अधिकारियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। उन्होंने यह आदेश 30 जनवरी को दिए थे लेकिन आदेश की कॉपी फाइलों में दफन होकर रह गई।
जिलाधिकारी हरिद्वार के स्तर से इस मामले में कार्रवाई के आदेश एआरटीओ रुड़की को दिए गए थे। हमने मामले में कार्रवाई के लिए आरटीओ प्रवर्तन संदीप सैनी को पत्र भेजा हुआ है। अभी कार्रवाई होनी बाकी है।
-दीपेंद्र कुमार चौधरी, परिवहन आयुक्त, उत्तराखंड