न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नैनीताल
Updated Wed, 13 Jan 2021 09:59 PM IST
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हरिद्वार महाकुंभ मेले के इंतजामों से असंतुष्ट होकर हाईकोर्ट ने सरकार से कहा है कि वह 22 फरवरी तक अधूरे पड़े सभी कार्यों को पूरा कराए। सुनवाई के दौरान अधिकारियों ने कोर्ट को बताया कि 85 फीसदी कार्य पूरे कर लिए गए हैं। शेष पर काम युद्ध स्तर पर चल रहा है।
कोर्ट ने राज्य सरकार से यह भी कहा है कि कुंभ मेले को लेकर केंद्र सरकार की ओर से मांगी गई सूचना जल्द उपलब्ध कराए ताकि महाकुंभ को लेकर एसओपी जारी हो सके। इसके अलावा, कोर्ट ने जिला जज हरिद्वार को हरिद्वार और ऋषिकेश के अस्पतालों में उपलब्ध बेडों, वेंटिलेटरों, आईसीयू, उपकरणों और स्टाफ आदि का ब्योरा 21 फरवरी तक कोर्ट में पेश करने के लिए कहा है। वहीं कोर्ट ने मुख्य सचिव, हरिद्वार डीएम, मेलाधिकारी और स्वास्थ्य सचिव को 22 फरवरी को कोर्ट में पेश होने के निर्देश भी दिए हैं।
मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ के समक्ष क्वारंटीन सेंटरों की बदहाली मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान हाईकोर्ट में बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट के यह पूछे जाने पर कि कुंभ मेले में कितने श्रद्धालु आते हैं, अधिकारियों ने बताया कि कुंभ में लगभग 10 लाख जबकि पर्व के दौरान श्रद्धालुओं की संख्या 50 लाख तक पहुंच जाती है। इस पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए कि मेला परिसर में इतने टेंट लगाएं कि उनमें 50 लाख लोग रह सकें। मेलार्थियों के खाने और कोरोना की जांच करने के निर्देश भी कोर्ट ने दिए।
कोर्ट के पूर्व के आदेश के तहत स्वास्थ्य सचिव, मेला अधिकारी और जिलाधिकारी हरिद्वार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश हुए। इस दौरान सभी ने कोर्ट को कुंभ मेले की तैयारियों के बारे में बताया, लेकिन कोर्ट इससे संतुष्ट नहीं हुई।
अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली, देहरादून निवासी सच्चिदानंद डबराल व अन्य ने क्वारंटीन सेंटरों और कोविड अस्पतालों की बदहाली और उत्तराखंड लौटे प्रवासियों की मदद और उनके लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए अलग-अलग जनहित याचिकाएं दायर कीं थीं।
पूर्व में बदहाल क्वारंटीन सेंटरों के मामले में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर माना था कि उत्तराखंड के सभी क्वारंटीन सेंटर बदहाल स्थिति में हैं और सरकार की ओर से वहां प्रवासियों के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं की गई है।
इसका संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने अस्पतालों की नियमित निगरानी के लिए जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में निगरानी कमेटियां गठित करने के आदेश दिए थे और इन कमेटियों से सुझाव मांगे थे।
सार
- हाईकोर्ट के सरकार को निर्देश : केंद्र को मेले की तैयारियों से संबंधित सूचना जल्द दें ताकि एसओपी जारी हो सके
- मेला परिसर में इतने टेंट लगाए जाएं कि उनमें 50 लाख लोग रह सकें
- मेलार्थियों के खाने और कोरोना जांच की भी व्यवस्थाएं कराए
विस्तार
हरिद्वार महाकुंभ मेले के इंतजामों से असंतुष्ट होकर हाईकोर्ट ने सरकार से कहा है कि वह 22 फरवरी तक अधूरे पड़े सभी कार्यों को पूरा कराए। सुनवाई के दौरान अधिकारियों ने कोर्ट को बताया कि 85 फीसदी कार्य पूरे कर लिए गए हैं। शेष पर काम युद्ध स्तर पर चल रहा है।
कोर्ट ने राज्य सरकार से यह भी कहा है कि कुंभ मेले को लेकर केंद्र सरकार की ओर से मांगी गई सूचना जल्द उपलब्ध कराए ताकि महाकुंभ को लेकर एसओपी जारी हो सके। इसके अलावा, कोर्ट ने जिला जज हरिद्वार को हरिद्वार और ऋषिकेश के अस्पतालों में उपलब्ध बेडों, वेंटिलेटरों, आईसीयू, उपकरणों और स्टाफ आदि का ब्योरा 21 फरवरी तक कोर्ट में पेश करने के लिए कहा है। वहीं कोर्ट ने मुख्य सचिव, हरिद्वार डीएम, मेलाधिकारी और स्वास्थ्य सचिव को 22 फरवरी को कोर्ट में पेश होने के निर्देश भी दिए हैं।
मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ के समक्ष क्वारंटीन सेंटरों की बदहाली मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान हाईकोर्ट में बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट के यह पूछे जाने पर कि कुंभ मेले में कितने श्रद्धालु आते हैं, अधिकारियों ने बताया कि कुंभ में लगभग 10 लाख जबकि पर्व के दौरान श्रद्धालुओं की संख्या 50 लाख तक पहुंच जाती है। इस पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए कि मेला परिसर में इतने टेंट लगाएं कि उनमें 50 लाख लोग रह सकें। मेलार्थियों के खाने और कोरोना की जांच करने के निर्देश भी कोर्ट ने दिए।
कोर्ट के पूर्व के आदेश के तहत स्वास्थ्य सचिव, मेला अधिकारी और जिलाधिकारी हरिद्वार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश हुए। इस दौरान सभी ने कोर्ट को कुंभ मेले की तैयारियों के बारे में बताया, लेकिन कोर्ट इससे संतुष्ट नहीं हुई।
क्या थी याचिका
अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली, देहरादून निवासी सच्चिदानंद डबराल व अन्य ने क्वारंटीन सेंटरों और कोविड अस्पतालों की बदहाली और उत्तराखंड लौटे प्रवासियों की मदद और उनके लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए अलग-अलग जनहित याचिकाएं दायर कीं थीं।
पूर्व में बदहाल क्वारंटीन सेंटरों के मामले में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर माना था कि उत्तराखंड के सभी क्वारंटीन सेंटर बदहाल स्थिति में हैं और सरकार की ओर से वहां प्रवासियों के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं की गई है।
इसका संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने अस्पतालों की नियमित निगरानी के लिए जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में निगरानी कमेटियां गठित करने के आदेश दिए थे और इन कमेटियों से सुझाव मांगे थे।