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Uttarakhand High Court: Answer sought from government and secretariat on backdoor appointments
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Uttarakhand High Court: विधानसभा सचिवालय में बैकडोर से हुई नियुक्तियों पर सरकार और सचिवालय से जवाब तलब
संवाद न्यूज एजेंसी, नैनीताल
Published by: अलका त्यागी
Updated Thu, 01 Dec 2022 12:22 AM IST
सार
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देहरादून निवासी सामाजिक कार्यकर्ता अभिनव थापर ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा कि विधानसभा सचिवालय में वर्ष 2000 से अब तक बैकडोर नियुक्तियां करने के अलावा भ्रष्टाचार और अनियमितताएं भी हुई हैं।
नैनीताल हाईकोर्ट ने विधानसभा सचिवालय में हुई बैकडोर से हुई नियुक्तियों पर सरकार और सचिवालय से जवाब तलब किया है। मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई एक मई को होगी और इसी तारीख तक जवाब भी दाखिल करना है। याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट से मामले की जांच हाईकोर्ट के मौजूदा जज की निगरानी में कराने की मांग भी की है।
देहरादून निवासी सामाजिक कार्यकर्ता अभिनव थापर ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा कि विधानसभा सचिवालय में वर्ष 2000 से अब तक बैकडोर नियुक्तियां करने के अलावा भ्रष्टाचार और अनियमितताएं भी हुई हैं। इस मामले में सरकार ने एक जांच समिति गठित कर वर्ष 2016 से अब तक की भर्तियों को निरस्त कर दिया। कहा गया कि वर्ष 2000 से 2015 तक हुई नियुक्तियों के मामले में सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की है। याचिका में ये भी कहा गया कि अपने करीबियों की बैकडोर से नौकरी लगाने में शामिल रहे अब तक के सभी विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री इस मामले में चुप हैं।
याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार ने वर्ष 2003 के शासनादेश, जिसमें तदर्थ नियुक्ति पर रोक, संविधान के अनुच्छेद 14, 16 व 187 का उल्लंघन है। इस अनुच्छेद के तहत हर नागरिक को सरकारी नौकरियों में समान अधिकार व नियमानुसार भर्ती का प्रावधान है। उत्तर प्रदेश विधानसभा की 1974 व उत्तराखंड विधानसभा की 2011 नियमावलियों का उल्लंघन किया गया है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से मांग की है कि वर्ष 2000 से 2022 तक की सभी नियुक्तियों की जांच हाईकोर्ट के मौजूदा जज की निगरानी में कराई जाए। भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई हो। याचिकाकर्ता का कहना है कि बैकडोर से हुई नियुक्तियां प्रदेश के लाखों बेरोजगार और शिक्षित युवाओं के साथ धोखा है।
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