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आपदा के 17वें दिन भी तपोवन बैराज और सुरंग में रेस्क्यू अभियान जारी रहा। हालांकि मंगलवार को कोई शव नहीं मिला। आपदा में लापता 204 में से 70 शव और मानव अंग मिल चुके हैं जबकि 134 अभी भी लापता हैं। अब तक तपोवन टनल से करीब 184 मीटर तक मलबा हटाया जा चुका है। यहां से सुरंग का एसएफटी प्वाइंट 10 मीटर पर है। यही वह जगह है जहां पर शुरू से अधिक संख्या में लोगों के फंसे होने की सबसे ज्यादा संभावना जताई जा रही है।
तपोवन बैराज साइट पर पंप से पानी निकालने की योजना सफल नहीं हो पाई थी, जिसके बाद यहां पर जेसीबी की मदद से मलबा हटाने का काम चल रहा है। वहीं बारिश की संभावना को देखते हुए धौली नदी को दाहिने तरफ मोड़ने के लिए भी प्रयास तेज कर दिए हैं ताकि पानी बैराज साइट की तरफ न आ सके। एनटीपीसी के महाप्रबंधक आरपी अहिरवार का कहना है कि सुरंग के अंदर अचानक मलबा या पानी न आ जाए, इसको देखते हुए बचाव कर्मियों की सुरक्षा का भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है। टनल से 184 मीटर तक मलबा हटाया जा चुका है। इसके 10 मीटर आगे एसएफटी प्वाइंट है, जहां पर कुछ लोगों के फंसे होने की संभावना है। वहीं, बोल्डर हटाने के लिए ब्लास्ट किया गया।
पानी रिसाव से आ रही अभियान में बाधा
महाप्रबंधक अहिरवार का कहना है कि टनल से लगातार पानी का रिसाव हो रहा है, जिससे सुरक्षा कर्मियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। चार पंप दिन रात सुरंग से पानी निकालने का काम कर रहे हैं। बैराज साइट पर पंप सफल नहीं हो पाए थे, इसलिए वहां जेसीबी से मलबा हटाकर सर्च अभियान चलाया जा रहा है।
ऋषिगंगा की झील से जल का प्रवाह बढ़ाने में जुटे जवान
ऋषिगंगा में बनी झील से जल का प्रवाह बढ़ाने के लिए जवानों ने झील के पास से पेड़ के तने हटाए।
ऋषिगंगा की आपदा में लापता लोगों की गुमशुदगी जोशीमठ थाने में दर्ज की जा रही है। मंगलवार को एक झारखंड निवासी व्यक्ति की गुमशुदगी ऋत्विक कंपनी ने दर्ज कराई। प्रशासन की तरफ से अब तक 204 लोगों के लापता होने की बात कही जा रही है लेकिन अब जोशीमठ थाने में मंगलवार तक 205 लोगों की गुमशुदगी दर्ज हो चुकी है।
आपदा के बाद प्रशासन की ओर से 204 लोगों के लापता होने की सूची जारी की गई थी और इन्हीं की तलाश में रेस्क्यू टीम जुटी हुई थी। वहीं मंगलवार को परियोजना में कार्यरत एक और कर्मचारी की गुमशुदगी दर्ज कराई गई। जोशीमठ थाने में तैनात एसआई हेमकांत सेमवाल ने बताया कि मंगलवार को ऋत्विक कंपनी की ओर से एक व्यक्ति के लापता होने की गुमशुदगी दर्ज कराई गई है।
गुमशुदगी इतनी देर में क्यों दर्ज कराई गई है इसकी जांच की जाएगी। ये परियोजना में काम करता था और झारखंड निवासी था। वहीं प्रशासन ने शिनाख्त के लिए 110 परिजनों, 58 शवों और 28 मानव अंगों के डीएनए सैंपल मिलान के लिए एफएसएल देहरादून भेज दिए हैं।
बुधवार को मौसम खराब होने की पूर्व सूचना पर जिला प्रशासन अलर्ट हो गया है। यहां ऋषिगंगा पर बनी झील पर लगातार नजर रखी जा रही है। आईटीबीपी, एनडीआरएफ, नेवी और वैज्ञानिकों की टीम यहां की गतिविधियों पर नजर बनाए हुए है।
ऋषिगंगा में आई आपदा के बाद से लापता लोगों की तलाश अभी भी जारी है, लेकिन ऋषिगंगा पर बनी झील और मौसम खराब की सूचना को देखते हुए प्रशासन अलर्ट हो गया है। झील पर लगातार नजर रखी जा रही है। वहीं रैणी गांव में अलार्म सिस्टम लगाया गया है, जो पानी का स्तर बढ़ने पर बजना शुरू हो जाएगा। जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने बताया कि झील में एक टीम कार्य कर रही है।
यह टीम वहीं पर कैंप किए हुए है। वहां की सूचना एकत्रित करने के लिए एंटीना भी लगाया गया है, जिससे वहां की हर अपडेट मिलती रहे। साथ ही मौसम को देखते हुए सभी को अलर्ट कर दिया गया है।
ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि लापता लोगों की खोज पूरी होने तक निर्माणाधीन जल विद्युत परियोजना में किसी तरह का निर्माण कार्य करना अनैतिक है। उन्होंने कहा कि जब तक सभी लापता लोगों को नहीं खोजा जाता तब तक परियोजना में कोई काम नहीं किया जाना चाहिए।
ज्योतिर्मठ संचार केंद्र की ओर से जारी बयान में कहा गया कि लापता लोगों की तलाश के लिए टनल से मलबा हटाने का काम चल रहा है, लेकिन कुछ निर्माण कंपनियों ने काम शुरू कर दिया है जो असंवेदनशील है। प्रभावित परिवारों को उनके लोगों की तलाश कर सौंपा जाना चाहिए।
भविष्य में ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए भी सरकार को सुरक्षा संबंधी उपाय करने के निर्देश देने चाहिए। यदि सरकार पीड़ित परिजनों के लिए कोई योजना नहीं बनाती है तो यह दुर्भाग्यपूर्ण होगा। उन्होंने कहा कि ज्योतिर्मठ लगातार पीड़ित परिवारों के संपर्क में है और उनकी यथासंभव मदद भी की जा रही है। संवा
आपदा के 17वें दिन भी तपोवन बैराज और सुरंग में रेस्क्यू अभियान जारी रहा। हालांकि मंगलवार को कोई शव नहीं मिला। आपदा में लापता 204 में से 70 शव और मानव अंग मिल चुके हैं जबकि 134 अभी भी लापता हैं। अब तक तपोवन टनल से करीब 184 मीटर तक मलबा हटाया जा चुका है। यहां से सुरंग का एसएफटी प्वाइंट 10 मीटर पर है। यही वह जगह है जहां पर शुरू से अधिक संख्या में लोगों के फंसे होने की सबसे ज्यादा संभावना जताई जा रही है।
तपोवन बैराज साइट पर पंप से पानी निकालने की योजना सफल नहीं हो पाई थी, जिसके बाद यहां पर जेसीबी की मदद से मलबा हटाने का काम चल रहा है। वहीं बारिश की संभावना को देखते हुए धौली नदी को दाहिने तरफ मोड़ने के लिए भी प्रयास तेज कर दिए हैं ताकि पानी बैराज साइट की तरफ न आ सके। एनटीपीसी के महाप्रबंधक आरपी अहिरवार का कहना है कि सुरंग के अंदर अचानक मलबा या पानी न आ जाए, इसको देखते हुए बचाव कर्मियों की सुरक्षा का भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है। टनल से 184 मीटर तक मलबा हटाया जा चुका है। इसके 10 मीटर आगे एसएफटी प्वाइंट है, जहां पर कुछ लोगों के फंसे होने की संभावना है। वहीं, बोल्डर हटाने के लिए ब्लास्ट किया गया।
पानी रिसाव से आ रही अभियान में बाधा
महाप्रबंधक अहिरवार का कहना है कि टनल से लगातार पानी का रिसाव हो रहा है, जिससे सुरक्षा कर्मियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। चार पंप दिन रात सुरंग से पानी निकालने का काम कर रहे हैं। बैराज साइट पर पंप सफल नहीं हो पाए थे, इसलिए वहां जेसीबी से मलबा हटाकर सर्च अभियान चलाया जा रहा है।
ऋषिगंगा की झील से जल का प्रवाह बढ़ाने में जुटे जवान
ऋषिगंगा में बनी झील से जल का प्रवाह बढ़ाने के लिए जवानों ने झील के पास से पेड़ के तने हटाए।
जोशीमठ थाने में एक और गुमशुदगी दर्ज
ऋषिगंगा की आपदा में लापता लोगों की गुमशुदगी जोशीमठ थाने में दर्ज की जा रही है। मंगलवार को एक झारखंड निवासी व्यक्ति की गुमशुदगी ऋत्विक कंपनी ने दर्ज कराई। प्रशासन की तरफ से अब तक 204 लोगों के लापता होने की बात कही जा रही है लेकिन अब जोशीमठ थाने में मंगलवार तक 205 लोगों की गुमशुदगी दर्ज हो चुकी है।
आपदा के बाद प्रशासन की ओर से 204 लोगों के लापता होने की सूची जारी की गई थी और इन्हीं की तलाश में रेस्क्यू टीम जुटी हुई थी। वहीं मंगलवार को परियोजना में कार्यरत एक और कर्मचारी की गुमशुदगी दर्ज कराई गई। जोशीमठ थाने में तैनात एसआई हेमकांत सेमवाल ने बताया कि मंगलवार को ऋत्विक कंपनी की ओर से एक व्यक्ति के लापता होने की गुमशुदगी दर्ज कराई गई है।
गुमशुदगी इतनी देर में क्यों दर्ज कराई गई है इसकी जांच की जाएगी। ये परियोजना में काम करता था और झारखंड निवासी था। वहीं प्रशासन ने शिनाख्त के लिए 110 परिजनों, 58 शवों और 28 मानव अंगों के डीएनए सैंपल मिलान के लिए एफएसएल देहरादून भेज दिए हैं।
मौसम खराब होने की सूचना पर प्रशासन अलर्ट
बुधवार को मौसम खराब होने की पूर्व सूचना पर जिला प्रशासन अलर्ट हो गया है। यहां ऋषिगंगा पर बनी झील पर लगातार नजर रखी जा रही है। आईटीबीपी, एनडीआरएफ, नेवी और वैज्ञानिकों की टीम यहां की गतिविधियों पर नजर बनाए हुए है।
ऋषिगंगा में आई आपदा के बाद से लापता लोगों की तलाश अभी भी जारी है, लेकिन ऋषिगंगा पर बनी झील और मौसम खराब की सूचना को देखते हुए प्रशासन अलर्ट हो गया है। झील पर लगातार नजर रखी जा रही है। वहीं रैणी गांव में अलार्म सिस्टम लगाया गया है, जो पानी का स्तर बढ़ने पर बजना शुरू हो जाएगा। जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने बताया कि झील में एक टीम कार्य कर रही है।
यह टीम वहीं पर कैंप किए हुए है। वहां की सूचना एकत्रित करने के लिए एंटीना भी लगाया गया है, जिससे वहां की हर अपडेट मिलती रहे। साथ ही मौसम को देखते हुए सभी को अलर्ट कर दिया गया है।
लापता की खोज पूरी होने तक न हो परियोजना में निर्माण: शंकराचार्य
ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि लापता लोगों की खोज पूरी होने तक निर्माणाधीन जल विद्युत परियोजना में किसी तरह का निर्माण कार्य करना अनैतिक है। उन्होंने कहा कि जब तक सभी लापता लोगों को नहीं खोजा जाता तब तक परियोजना में कोई काम नहीं किया जाना चाहिए।
ज्योतिर्मठ संचार केंद्र की ओर से जारी बयान में कहा गया कि लापता लोगों की तलाश के लिए टनल से मलबा हटाने का काम चल रहा है, लेकिन कुछ निर्माण कंपनियों ने काम शुरू कर दिया है जो असंवेदनशील है। प्रभावित परिवारों को उनके लोगों की तलाश कर सौंपा जाना चाहिए।
भविष्य में ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए भी सरकार को सुरक्षा संबंधी उपाय करने के निर्देश देने चाहिए। यदि सरकार पीड़ित परिजनों के लिए कोई योजना नहीं बनाती है तो यह दुर्भाग्यपूर्ण होगा। उन्होंने कहा कि ज्योतिर्मठ लगातार पीड़ित परिवारों के संपर्क में है और उनकी यथासंभव मदद भी की जा रही है। संवा