विस्तार
एक अप्रैल से स्कूलों में नया सत्र शुरू होने वाला है, लेकिन बच्चों की किताबों का कोई पता नहीं है। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की ओर से किताबों की नई सूची शिक्षा विभाग को नहीं मिली तो विभाग ने अब तक किताबें छपने का टेंडर ही जारी नहीं किया। ऐसे में माध्यमिक स्तर तक के बच्चों को नई किताबों के लिए लंबा इंतजार करना पड़ सकता है।
जानकारी के मुताबिक, उत्तराखंड में करीब 2400 सरकारी स्कूल हैं, जहां किताबें दी जाएंगी। माध्यमिक शिक्षा निदेशालय की ओर से किताबों के प्रकाशन की प्रक्रिया को जल्दी शुरू करवाने के निर्देश दिए गए हैं, लेकिन विभाग अब तक हाथ पर हाथ धरे बैठा है।
राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) के अपर निदेशक आरडी शर्मा का कहना है कि पिछले साल के सिलेबस पर ही किताबें छपवाई जाएंगी। एनसीईआरटी यदि सिलेबस में कोई बदलाव करता है तो उसकी जानकारी आएगी। उस स्थिति में बाद में ही किताबें छप सकेंगी। फिलहाल, पिछले साल का टेंडर रिपीट किया जा रहा है।
आरडी शर्मा ने किताब वितरण के बारे में स्पष्ट किया कि बच्चों को स्कूलों में ही किताबें दी जाती है। कोरोनाकाल में ऐसा नहीं हुआ था, जिसके एवज में उन्हें किताबों के पैसे दिए गए थे। कोरोना काल खत्म होने के बाद पिछले साल किताबें दी गईं और इस साल भी ऐसा ही होगा।