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Dehradun: जर्जर हुए भवन...जान बचाएं या लें आखर ज्ञान, ये सोच-सोचकर बच्चे हो रहे परेशान
संवाद न्यूज एजेंसी, देहरादून
Published by: देहरादून ब्यूरो
Updated Sun, 05 Feb 2023 05:04 PM IST
सार
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राजकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय रेस्ट कैंप 1957 में बना था। इसकी छत खराब हुई तो 22 साल पहले पुरानी दीवारों पर नई छत का निर्माण कर दिया गया। हालांकि, जिम्मेदारों ने फिर इस तरफ मुड़कर नहीं देखा।
एक ओर सरकार नई शिक्षा नीति लाकर बच्चों के भविष्य को बेहतर बनाने के दावे कर रही है। वहीं दूसरी ओर प्रदेश में बच्चों को पढ़ाई के लिए एक सुरक्षित भवन तक नसीब नहीं हो रहा है। 1957 में बने राजकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय रेस्ट कैंप के भवन की हालत इतनी जर्जर है कि कभी यहां कोई हादसा हो सकता है। लेकिन, जिम्मेदार हैं कि इस ओर ध्यान देने को तैयार नहीं हैं।
राजकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय रेस्ट कैंप 1957 में बना था। इसकी छत खराब हुई तो 22 साल पहले पुरानी दीवारों पर नई छत का निर्माण कर दिया गया। हालांकि, जिम्मेदारों ने फिर इस तरफ मुड़कर नहीं देखा। जिसका नतीजा है कि आज इस भवन की हालत काफी जर्जर बनी हुई है। दीवारें तो गिरने के कगार पर हैं हीं, छत से भी बारिश के दौरान पानी टपकता रहता है। भारी बारिश के दौरान तो बच्चे सहम जाते हैं और पढ़ाई छोड़ अपनी जान बचाने के लिए स्कूल भवन के सुरक्षित स्थानों पर दुबक जाते हैं।
इस स्कूल में कक्षा छह से आठ तक 75 बच्चे पढ़ते हैं। जिनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी कोई लेने को तैयार नहीं है। स्कूल प्रशासन कई बार शिक्षा विभाग को इस संबंध में पत्र लिख चुका है लेकिन वह पत्र कहां जाते हैं इसका जवाब किसी के पास नहीं हैं। उधर, बच्चों की जान को खतरा देखते हुए आसरा फाउंडेशन आगे आया और स्कूल के एक कमरे में नई छत डालने के साथ ही टीन शेड लगाकर दो कमरे बनाए। अब तक स्कूल में तीन ही कमरे थे लेकिन इन्हें मिलाकर अब पांच कमरे हो गए हैं। हालांकि, बच्चों की जान को खतरा देखते हुए अब अभिभावक यहां प्रवेश नहीं करा रहे हैं। ऐसे में यहां छात्र संख्या लगातार घटती जा रही है।
कंप्यूटर लैब हटाकर होती है बच्चों को बैठाने की व्यवस्था
स्कूल के बच्चों के लिए आसरा फाउंडेशन ने 14 नए कंप्यूटर दिए हैं। साथ ही इनके लिए दो नए कमरे बनाए हैं। लेकिन, जब बारिश होती है तो अन्य कमरों में पानी भर जाता है। ऐसे में उक्त नए कमरों में कंप्यूटर फाउंडेशन को देकर बच्चाें के बैठने की व्यवस्था की जाती है। ऐसे में पूरी स्कूल के बच्चे इन्हीं दो कमरों में बैठने को मजबूर होते हैं।
स्कूल का भवन काफी जर्जर है। इसकी जानकारी मिली है, जल्द ही इसे ठीक किया जाएगा।I
- राजेंद्र सिंह रावत, जिला शिक्षा अधिकारीI
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