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Pushpanjali projects should be handed over to other developers like Amrapali Uttarakhand news in hindi
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Pushpanjali Builders: पांच साल से लड़ाई लड़ रहे फ्लैट खरीदार, जीवनभर की पूंजी लगी दाव पर, पढ़ें पूरा मामला
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, देहरादून
Published by: रेनू सकलानी
Updated Wed, 29 Mar 2023 03:01 PM IST
सार
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कविता भाटिया बताती हैं कि पुष्पांजलि की आर्किड पार्क और अन्य परियोजना में मेहनत की पूंजी लगाने के बाद भी फ्लैट नहीं मिलने के बाद साल 2018 से वह बायर्स की लड़ाई लड़ रही हैं। करीब 90 लोगों की जीवनभर की पूंजी फ्लैटों में लगी हुई है।
पुष्पांजलि इंफ्राटेक प्रा. लि. की धोखाधड़ी के शिकार 90 बायर्स का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। पिछले पांच सालों से लड़ाई लड़ रहे आर्किड पार्क और एमिनेंट हाइट्स के फ्लैट खरीदारों का कहना है कि सेक्शन-8 का प्रयोग कर जैसे आम्रपाली प्रोजेक्ट को एनबीसीसी के हवाले कर फ्लैटों का निर्माण पूरा कराया गया, वैसे ही पुष्पांजलि इंफ्राटेक के फ्लैैटों को किसी अन्य डेवलपर से पूरा कराया जाए।
वहीं, रेरा ने इसमें असमर्थता जताते हुए कहा कि पुष्पांजलि इंफ्राटेक की संबंधित प्रापर्टी पर पीएनबी के लोन का भी 21 करोड़ का बकाया था, इस कारण इस प्रॉपर्टी को ईडी ने अटैच किया है। इसमें अभी सेक्शन-8 का प्रयोग नहीं किया जा सकता। हालांकि, रेरा ने ईडी को समन भेजकर बायर्स के हितों का संरक्षण करने के लिए कहा है।
अब पांच अप्रैल को अगली तारीख है। इसमें ईडी की ओर से अपना पक्ष रखकर बताया जाएगा कि वह बायर्स के हित में क्या कर रहा है। दरअसल, पुष्पांजलि रियलमस इंफ्राटेक प्रा. लि. के निदेशक दीपक मित्तल की निर्माणाधीन परियोजना आर्किड पार्क (राजपुर रोड) को ईडी ने अटैच करने के साथ ही कंपनी के अन्य निदेशक राजपाल वालिया और उनकी पत्नी के आवास, फ्लैट को भी अटैच किया है। राजपाल का आवास आर्किड पार्क के पास ही है, जबकि फ्लैट परियोजना में स्थित है।
खरीदारों का दर्द
कविता भाटिया बताती हैं कि पुष्पांजलि की आर्किड पार्क और अन्य परियोजना में मेहनत की पूंजी लगाने के बाद भी फ्लैट नहीं मिलने के बाद साल 2018 से वह बायर्स की लड़ाई लड़ रही हैं। करीब 90 लोगों की जीवनभर की पूंजी फ्लैटों में लगी हुई है। पुष्पांजलि का निदेशक दीपक मित्तल और उसकी पत्नी राखी मित्तल 2020 से फरार है। एक अन्य निदेशक राजपाल वालिया खुलेआम घूम रहा है। पुलिस में नौ मुकदमे दर्ज हैं और रेरा में 61 शिकायतें दर्ज कराई गई हैं। वर्ष 2018 से बिल्डर ने निर्माण बंद करा रखा है। इसके बाद भी सुनवाई नहीं हो रही है। अब हमारी मांग है कि सेक्शन 8 का प्रयोग किया जाए। प्रोजेक्ट को किसी अन्य डेवलपर को सौंपा जाए।
यह है रेरा का तर्क
रेरा के सदस्य मठपाल सिंह के अनुसार आर्किड पार्क परियोजना ने बायर्स से 45 करोड़ रुपये लिए। जबकि, पीएनबी से 21 करोड़ का लोन लिया, जो बकाया था। बैंक इस संपत्ति की नीलामी करने जा रहा था। इसे रेरा ने रुकवाया, लेकिन बाद में इसे ईडी ने मनी लांड्रिंग के आरोपों की जांच करने के लिए अटैच कर लिया। अब ईडी मामले की जांच कर रही है। इस कारण इस पर सेक्शन 8 का प्रयोग नहीं कर सकते।
आम्रपाली बिल्डर्स ने भी फ्लैटों का निर्माण अधूरा छोड़ दिया था। 40 हजार से ज्यादा फ्लैट बायर्स को रकम देने के बावजूद नहीं मिले। कई साल तक बायर्स फ्लैट के लिए चक्कर लगाते रहे। सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाकर आम्रपाली के डायरेक्टर की संपत्तियों को कुर्क करने का आदेश दिया। वहीं, कोर्ट ने एनबीसीसी को आम्रपाली के अधूरे फ्लैट के निर्माण करने को कहा। कोर्ट ने आम्रपाली ग्रुप की कंपनियों के रजिस्ट्रेशन रद्द करने के भी निर्देश दिए।
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