भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण में यूसर्क एवं एसोसिएशन फॉर प्लांट टैक्सोनॉमी के सहयोग से पांच दिवसीय मादप नामकरण कोर्स की शुरुआत की गई। इसमें 14 राज्यों के 70 वनस्पति वैज्ञानिकों को पेड़-पौधों के नामकरण के तौर-तरीकों की जानकारी दी गई।
मुख्य अतिथि एवं आईसीएफआरई के महानिदेशक डॉ. अरुण सिंह रावत ने कहा कि वर्तमान में पौधों के नामकरण की महत्ता एवं उपयोगिता बहुत अधिक बढ़ गई है। जलवायु परिवर्तन समेत विभिन्न कारणों के चलते दुनियाभर में वनस्पतियों की हजारों प्रजातियों पर संकट मंडरा रहा है। इनके संरक्षण को लेकर कारगर कदम उठाए जाने की जरूरत है। हार्वर्ड विवि अमेरिका के रजिस्ट्रार डॉ. केएन गांधी, भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण कोलकाता के निदेशक डॉ. एए माओ ने भी विचार रखे।
भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण के क्षेत्रीय प्रभारी एवं वनस्पति वैज्ञानिक डॉ. एसके सिंह ने कहा कि देश में पेड़-पौधों की 60 हजार प्रजातियां पाई जाती हैं। इसमें दस हजार प्रजातियां संकटग्रस्त श्रेणी में हैं और उनके विलुप्त होने का भी खतरा है। इनके संरक्षण के लिए कार्यक्रम चलाए जा रहे है। उन्होंने बताया कि दुनिया में वनस्पतियों की तीन लाख प्रजातियां पाई जाती हैं।
कार्यक्रम में एसोसिएशन की ओर से उत्कृष्ट कार्य करने पर देश के 11 वैज्ञानिकों को सम्मानित किया गया। साथ ही वरिष्ठ वनस्पति वैज्ञानिक डॉ. एसके सिंह की पुस्तक ''टेरिडोफाइट्स ऑफ मेघालय पिक्टोरियल गाइड'' का भी विमोचन किया गया। इस दौरान वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. हरीश सिंह, डॉ. मनीष कंडवाल, डॉ. गिरीराज सिंह पंवार, डॉ. एसके अग्रवाल, डॉ. गौरव शर्मा, डॉ. पुनीत कुमार, डॉ. बृजेश कुमार, डॉ. समीर पाटिल, डॉ. भावना जोशी, डॉ. मोनिका मिश्र मौजूद रहीं।