लोकप्रिय और ट्रेंडिंग टॉपिक्स

विज्ञापन
Hindi News ›   Uttarakhand ›   Dehradun News ›   Kedarnath Dham Rawal Bhimashankar Linga will will Not Changed

Kedarnath: अटकलों पर विराम...अभी भीमाशंकर लिंग ही रहेंगे केदारनाथ धाम के रावल, 18 अप्रैल को पहुंचेगे ऊखीमठ

संवाद न्यूज एजेंसी, रुद्रप्रयाग Published by: अलका त्यागी Updated Thu, 23 Mar 2023 02:09 PM IST
सार

पिछले कुछ दिनों से रावल भीमाशंकर लिंग के खराब स्वास्थ्य के मद्देनजर नए रावल की नियुक्ति को लेकर चर्चाएं गरम थीं। इन अटकलों पर रावल भीमाशंकर लिंग ने विराम लगा दिया है।

Kedarnath Dham Rawal Bhimashankar Linga will will Not Changed
केदारनाथ धाम - फोटो : अमर उजाला

विस्तार

केदारनाथ धाम के रावल को फिलहाल नहीं बदला जा रहा है। यह बात खुद केदारनाथ धाम के रावल भीमाशंकर लिंग ने कही है। उन्होंने कहा कि वे पूरी तरह स्वस्थ हैं और 18 अप्रैल को पंचकेदार गद्दीस्थल ऊखीमठ में पहुंच जाएंगे।



Chardham Yatra 2023: तीन धामों में श्रद्धालुओं की संख्या पर पाबंदी न लगाने पर विचार, सीएम धामी ने दिए संकेत


पिछले कुछ दिनों से रावल भीमाशंकर लिंग के खराब स्वास्थ्य के मद्देनजर नए रावल की नियुक्ति को लेकर चर्चाएं गरम थीं। इन अटकलों पर रावल भीमाशंकर लिंग ने विराम लगा दिया है। उन्होंने कहा कि रावल परंपरा सदियों पुरानी है।

तीर्थ स्थलों में रावल का बदलना एक सामान्य प्रक्रिया है। केदारनाथ में वे 324वें रावल हैं। उनके बाद 325वें रावल को आना ही पड़ेगा, यह सामान्य प्रक्रिया है। लेकिन अभी इस दिशा में कुछ नहीं होने जा रहा है। केदारनाथ जी के आदेश पर ही बदलाव होता आया है।

उन्होंने कहा कि वे स्वस्थ्य हैं और बाबा केदार की सेवा के लिए 18 अप्रैल को पंचकेदार गद्दीस्थल ऊखीमठ में पहुंच जाएंगे। वरिष्ठ पत्रकार व धार्मिक मामलों के जानकार बृजेश सती ने बताया कि एतिहासिक प्रमाण के हिसाब से रावल की पदवी टिहरी नरेश ने दी है।

केदारनाथ क्षेत्र में रावल को राजा ने कुछ गांव दान के रूप में दिए थे। केदारनाथ के रावल को अपने शिष्य रखने का अधिकार है। लेकिन श्रीबदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के वर्ष 1948 के एक्ट के हिसाब से रावल की नियुक्ति का अधिकार समिति के पास है।

पहले रावल के आधिपत्य में था मंदिर
केदारनाथ के वरिष्ठ तीर्थ पुरोहित और बीकेटीसी के सदस्य श्रीनिवास पोस्ती बताते हैं कि रावल केदारनाथ के लिए पुजारी अधिकृत करते हैं। साथ ही कपाट खुलने व बंद होने पर वे केदारनाथ धाम में मौजूद रहते थे। यहां तक कि यात्राकाल में भी वहां प्रवास करते थे। 321वें रावल नीलकंठ लिंग के समय तक मंदिर का पूरा आधिपत्य रावल के अधीन था। बाद में श्रीबदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ने रावल को एक वेतन भोगी कर्मचारी के तौर पर सीमित कर दिया। रावल के कार्यकाल का कोई निश्चित समय नहीं है।

ब्रह्मचारी होते हैं रावल
केदारनाथ के रावल नैरिष्ट ब्रह्मचारी होते हैं। परंपरानुसार पूर्व में रावल शीतकालीन गद्दीस्थलों में ही वर्षभर निवास करते थे। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से शीतकाल में रावल सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए देश के अन्य राज्यों के भ्रमण पर जाते रहे हैं।

भकुंट भैरव थे पहले रावल
केदारनाथ के 320वें रावल विश्व लिंग, 321वें रावल नीलकंठ लिंग, 322वें रावल सांत लिंग और 323वें रावल सिद्घेश्वर लिंग रहे। पहले रावल भकुंट भैरव थे।
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Election

फॉन्ट साइज चुनने की सुविधा केवल
एप पर उपलब्ध है

बेहतर अनुभव के लिए
4.3
ब्राउज़र में ही
एप में पढ़ें

क्षमा करें यह सर्विस उपलब्ध नहीं है कृपया किसी और माध्यम से लॉगिन करने की कोशिश करें

Followed