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Father wrote emotional post to police on insistence of his minor son to ride a scooter Uttarakhand news
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Uttarakhand: पुलिस के नाम एक पिता की भावुक पोस्ट, आपके बच्चे भी करते हैं ऐसी जिद तो जरूर पढ़ें
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, देहरादून
Published by: रेनू सकलानी
Updated Sun, 27 Nov 2022 06:22 AM IST
सार
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बच्चों की हर जिद को पूरा करना माता-पिता के लिए संभव नहीं होता, लेकिन जिद पूरी नहीं करने पर भी माता-पिता की चिंता बढ़ जाती है। बच्चे कई बार जिद पूरी नहीं होने पर गलत कदम उठा देते हैं। ऐसा ही एक मामला सामने आया है। बच्चे की जिद के आगे मजबूर पिता को पुलिस को एक पोस्ट लिखना पड़ा।
नाबालिग बेटे की स्कूटर चलाने की जिद से मजबूर एक पिता ने पुलिस के नाम भावुक पोस्ट लिखी है। उत्तराखंड पुलिस के फेसबुक पेज को टैग करते हुए पिता ने लिखा है कि शहर में बड़ी संख्या में नाबालिग वाहन चला रहे हैं। पुलिस उन्हें रोक नहीं पा रही है। देखादेखी में और बच्चे भी अपने अभिभावकों से वाहन खरीदने की मांग करते हैं।
संकट यह है कि अगर बच्चे को वाहन दे दिया जाए तो यह खतरनाक और नियम विरुद्ध होगा और नहीं देने पर घर में आए दिन विवाद होते हैं। ज्यादातर घरों की यही कहानी है। डीजीपी अशोक कुमार ने इसका संज्ञान लेते हुए यातायात निदेशक को निर्देश दिए हैं कि सभी स्कूलों के बाहर चेकिंग और जागरूकता अभियान चलाया जाए।
स्कूल प्रबंधन से भी छात्रों को बिना लाइसेंस के वाहन चलाने के लिए हतोत्साहित करने का अनुरोध किया जाए। उन्होंने कहा कि नाबालिग को वाहन सौंपना उनकी और किसी दूसरे की जिंदगी जोखिम में डालने जैसा है। परिजनों को भी इस पर ध्यान देना चाहिए। जब तक लाइसेंस न बने, उन्हें वाहन न सौंपें।
अभिभावक की पोस्ट
नमस्कार उत्तराखंड पुलिस। मेरा आपसे एक सवाल है और शिकायत भी। मेरा बेटा अभी कक्षा 11 में पढ़ता है और उसकी उम्र 18 वर्ष नहीं है। उसके कई साथी स्कूटी या बाइक से स्कूल जाते हैं। इस वजह से वह भी मुझसे बार-बार मेरी स्कूटी ले जाने की जिद करता है जिसकी वजह से घर में कहासुनी हो जाती है। ऐसा महीने में दो से तीन बार होता है जिससे घर का माहौल अशांत रहता है।
बेटे का कहना है यदि उसके दोस्तों के माता-पिता उनको लाने देते हैं तो मैं उसे स्कूटी क्यों नहीं देता। समझने पर भी वह नहीं मानता। उसका मानना है कि पुलिस कभी स्कूली बच्चों को नहीं पकड़ती। मैं एक सेवानिवृत्त फौजी हूं। शायद मैं भी एक दिन बच्चे को बिना लाइसेंस के स्कूटी दे दूं ताकि घर में शांति बनी रहे। यह बात सही है कि आज तक मैंने भी कभी मीडिया में स्कूली बच्चों की चेकिंग की खबर नहीं देखी। इसलिए आपसे निवेदन है कि स्कूली बच्चों और स्कूलों को चेतावनी देने के लिए अभियान चलाएं। आप बच्चों की चेकिंग नहीं करते इसलिए उनके हौसले बुलंद हो रहे हैं।
25 हजार जुर्माना या छह माह कारावास तक की सजा
यदि कोई नाबालिग वाहन चलाता पकड़ा जाता है तो सजा उसके अभिभावकों को मिलती है। यातायात पुलिस 25 हजार रुपये का जुर्माना लगा सकती है। साथ ही छह माह तक का कारावास भी हो सकता है। यही नहीं, मजिस्ट्रेट नाबालिग के अभिभावक को 15 दिन या इससे ज्यादा किसी कुष्ठ आश्रम में सेवा करने के आदेश भी दे सकते हैं।
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