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Dehradun: डिग्री न पंजीकरण...मेडिकल स्टोर में क्लीनिक चला रहे फर्जी डॉक्टर, कर रहे मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, देहरादून Published by: देहरादून ब्यूरो Updated Wed, 31 May 2023 03:52 PM IST
सार

सोमवार की शाम एक 45 वर्षीय मरीज को गंभीर हालत में दून अस्पताल की इमरजेंसी में लाया गया था। मरीज के मुंह से खून निकल रहा था। परिजनों ने बताया कि मरीज को किडनी और सांस लेने में समस्या थी।

Dehradun news fake doctor running clinic in medical store
(सांकेतिक तस्वीर) - फोटो : सोशल मीडिया

विस्तार
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शहर में फर्जी डॉक्टर मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। इन फर्जी डॉक्टरों के पास न तो डिग्री है और न ही स्वास्थ्य विभाग के पास इनका पंजीकरण हुआ हैं, लेकिन इसके बावजूद ये अपना क्लीनिक खोलकर लोगों का इलाज कर रहे हैं। कई मेडिकल स्टोरों में भी इस तरह के फर्जी क्लीनिक संचालित हो रहे हैं। सोमवार को भी ऐसे ही एक फर्जी डॉक्टर के कारण एक मरीज की मौत हो गई। अब स्वास्थ्य विभाग ने 60 ऐसे फर्जी क्लीनिक और मेडिकल स्टोर संचालकों को नोटिस जारी किया है।



दरअसल सोमवार की शाम एक 45 वर्षीय मरीज को गंभीर हालत में दून अस्पताल की इमरजेंसी में लाया गया था। मरीज के मुंह से खून निकल रहा था। परिजनों ने बताया कि मरीज को किडनी और सांस लेने में समस्या थी। पिछले कुछ दिनों से उसका बंगाली डॉक्टर के पास इलाज चल रहा था। इलाज के बावजूद मरीज की स्थिति बिगड़ती जा रही थी। जिसके बाद उसे दून अस्पताल में लाया गया था, लेकिन इमरजेंसी में भर्ती कराते ही उसकी मौत हो गई।


दून अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि यदि परिजन मरीज को सहीसमय पर अस्पताल ले आते तो जान बचाई जा सकती थी। यह स्थिति सिर्फ एक मरीज की नहीं तमाम मरीज इस स्थिति से गुजरते हैं। जानकारी के अभाव में मरीज फर्जी डॉक्टर से इलाज करवाते हैं और अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं।

डॉक्टरों की डिग्री भी जांची जा रही
एसीएमओ डॉ. दिनेश चौहान ने बताया कि फर्जी डॉक्टरों के क्लीनिक का कोई निश्चित पता नहीं होता है। ये लोग अपनी जगह बदलते रहते हैं। क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत स्वास्थ्य विभाग में इनके क्लीनिक का रजिस्ट्रेशन भी नहीं रहता। वहीं, कुछ डॉक्टरों के पास डिग्री भी नहीं होती। शहर के कई मेडिकल स्टोरों पर भी डॉक्टर के क्लीनिक के बोर्ड लगे हैं, ये भी क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत स्वास्थ्य विभाग में रजिस्टर्ड नहीं हैं। इस तरह के 60 मेडिकल स्टोरों, क्लीनिकों को नोटिस जारी किए गए हैं। इसके अलावा डॉक्टरों की डिग्री भी चेक की जा रही है। गड़बड़ी मिलने पर जुर्माना भी लगाया जा रहा है।

ऐसे लगता है जुर्माना
स्वास्थ विभाग के मुताबिक बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे क्लीनिक पर पहली बार में 50 हजार, दूसरी बार में दो लाख और तीसरी बार में पांच लाख रुपये तक जुर्माना लगाया जाता है।

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