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Difficult words of 160 years old Urdu will be removed from IPC CRPC police will read easy language Uttarakhand
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Uttarakhand News: आईपीसी और सीआरपीसी से हटेंगे 160 साल पुराने उर्दू के कठिन शब्द, आसान भाषा पढ़ेगी पुलिस
रुद्रेश कुमार, माई सिटी रिपोर्टर, देहरादून
Published by: रेनू सकलानी
Updated Wed, 07 Jun 2023 08:39 AM IST
भारत में अंग्रेजी हुकूमत ने पुलिस का गठन वर्ष 1860 में किया था। तभी से अपराधियों के सजा का प्रावधान आईपीसी में है जबकि पुलिस के अधिकारों के लिए सीआरपीसी पुस्तक काम में आती है। इन पुस्तकों में उस वक्त पढ़ी और लिखी जाने वाली उर्दू का ही प्रयोग किया गया है। अब उर्दू के कठिन शब्दों के स्थान पर आसान शब्दों को लिखा जा रहा है। नई किताबों से इस साल भर्ती हुए पुलिसकर्मी पढ़ेंगे।
रोजनामचा, गुनाहे किताब जैसे प्रचलन से बाहर हो चुके उर्दू के कठिन शब्दों को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) से हटाया जाएगा। पुलिस प्रशिक्षण के लिए 160 साल पुरानी इस शब्दावली के स्थान पर हिंदी के आसान और बोलचाल के शब्द प्रयोग में लाए जाएंगे।
इसके लिए पुलिस विभाग ने नई किताबें छपवानी शुरू कर दी हैं। भारत में अंग्रेजी हुकूमत ने पुलिस का गठन वर्ष 1860 में किया था। तभी से अपराधियों के सजा का प्रावधान आईपीसी में है जबकि पुलिस के अधिकारों के लिए सीआरपीसी पुस्तक काम में आती है। इन पुस्तकों में उस वक्त पढ़ी और लिखी जाने वाली उर्दू का ही प्रयोग किया गया है।
कालांतर में कुछ नए वर्जन आए जिनमें कुछ शब्दों को हिंदी में लिखा गया। मगर, अब ये शब्द आम बोलचाल से बाहर हो गए हैं। सामान्य पढ़ाई करने के बाद जब पुलिसकर्मी भर्ती होते हैं तो उन्हें ऐसे शब्दों से दो-चार होना पड़ता है जो उन्होंने कभी पढ़े ही नहीं।
नई किताबों से इस साल भर्ती हुए पुलिसकर्मी पढ़ेंगे
अब पीड़ितों की शिकायतें भी हिंदी में लिखी जाती हैं। निचली अदालतों में भी कार्यवाही ज्यादातर हिंदी में ही होती है। पुलिस की इस भाषा को अधिकतर अधिवक्ता भी नहीं समझ पाते हैं। ऐसे में पुलिस की पढ़ाई और ट्रेनिंग के लिए प्रदेश में पहली बार बदलाव किया जा रहा है। उर्दू के कठिन शब्दों के स्थान पर आसान शब्दों को लिखा जा रहा है। नई किताबों से इस साल भर्ती हुए पुलिसकर्मी पढ़ेंगे। ये किताबें पुलिस ट्रेनिंग स्कूल के साथ-साथ हर पुलिस लाइन में उपलब्ध कराई जाएंगी।
हाजिरी कम तो दिखाया जाएगा बाहर का रास्ता
पुलिस ट्रेनिंग स्कूल और अन्य ट्रेनिंग सेंटरों में सीसीटीवी कैमरे लगेंगे। बॉयोमेट्रिक हाजिरी लगेगी। जो बाहर जाना चाहते हैं उनके लिए गेट पास की व्यवस्था होगी। जो अधिक समय तक बाहर रहता है और हाजिरी कम है तो उसे बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा।
तकनीकी शिक्षा को भी किया जाएगा शामिल
पुलिस के सामने इस वक्त साइबर क्राइम सबसे बड़ी चुनौती है। ऐसे में पुलिस ट्रेनिंग स्कूल और पुलिस लाइनों में पुलिसकर्मियों को नई तकनीकी से भी रूबरू कराया जाएगा। साइबर क्राइम के पाठ्यक्रम भी उन्हें पढ़ाए जाएंगे।
पुलिस कार्रवाई में इस्तेमाल होने वाले शब्द
गुनाहे किताब : इसका उपयोग अपराध के लिए होता है
पतारसी-अपराध को ज्ञात करने का प्रयास जारी
रोजनामचा आम-इस रजिस्टर में थाने की हर गतिविधि लिखी होती है
पुलिस प्रशिक्षण में पहली बार बदलाव किया जा रहा है। नई किताबों की छपाई शुरू हो गई है। इन किताबों से इस साल से ही पुलिस ट्रेनिंग में पढ़ाई शुरू होगी। -केवल खुराना, आईजी ट्रेनिंग
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