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Dehradun: मानसिक पुनर्वास केंद्र में भगवान भरोसे महिलाएं...आठ कमरों में 130 को ठूंसा, पढ़ें कैसा है हाल

वान्या दीक्षित, अमर उजाला, देहरादून Published by: अलका त्यागी Updated Mon, 05 Jun 2023 10:15 AM IST
सार

केंद्र में केवल 75 महिलाओं के रहने की जगह है। लेकिन, वर्तमान में यहां 130 महिलाएं रह रही हैं। इनके लिए आठ कमरों में बेड डाले गए हैं।

Dehradun Only Mental Rehabilitation Center Bad Condition Ground Report Uttarakhand news in Hindi
देहरादून में राजकीय महिला कल्याण एवं पुनर्वास केंद्र - फोटो : अमर उजाला

विस्तार
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देहरादून के एक मात्र पुनर्वास केंद्र में मानसिक रूप से बीमार महिलाएं इलाज के लिए भगवान भरोसे हैं। यहां पुलिस व प्रशासन की ओर से मानसिक रूप से बीमार महिलाओं को जानवरों की तरह ठूंस दिया जाता है। इलाज के नाम पर माह में एक बार मनोचिकित्सक यहां आते हैं और मामूली जांच के बाद चले जाते हैं। फिर यहां कोई झांकता तक नहीं।



केदारपुरम स्थित पुनर्वास केंद्र की अधीक्षक ज्योति पटवाल ने बताया कि यहां पर 75 महिलाओं के रहने की जगह है। लेकिन, वर्तमान में यहां 130 महिलाएं रह रही हैं। इनके लिए आठ कमरों में बेड डाले गए हैं। यहां पर रहने वाली अधिकतर महिलाएं लावारिस हैं जो सड़कों पर घूमती हुई पाई जाने पर पुलिस की ओर से लाई जाती हैं। कुछ के घर का पता ठिकाना है लेकिन परिजन उन्हें अपने साथ ले जाना नहीं चाहते। यह पुनर्वास केंद्र 1978 से कालसी विकासनगर में चलता था। 2006 में इसे केदारपुरम में शिफ्ट किया गया।


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उन्होंने बताया कि यहां आजतक कोई भी मानसिक रोग विशेषज्ञ नियुक्त नहीं हुआ। कोरोनेशन अस्पताल की मनोचिकित्सक महीने में एक बार यहां ड्यूटी पर आती हैं। वहीं, निजी अस्पताल से समझौता है, वहां का एक-दो नर्सिंग स्टाफ केंद्र में रहता है। उनका कहना है कि पहले तो हर दिन महिलाओं के इलाज के लिए एक चिकित्सक को यहां आना चाहिए। नहीं तो सप्ताह में एक बार भी कोई यहां आए तो इन महिलाओं को काफी लाभ मिल सकता है।

मानसिक रूप से हो बीमार या फिर हो अपराधी सभी को लाते हैं यहां


ज्योति पटवाल ने बताया कि कोई महिला मानसिक रूप से बीमार हो या फिर किसी अपराध में आरोपी हो सभी को इस केंद्र में डाल दिया जाता है। उसमें भी इन महिलाओं को अलग-अलग नहीं रखा जाता। इससे आए दिन ये महिलाएं आपस में झगड़ती रहती हैं और एक-दूसरे को चोट पहुंचाती रहती हैं।

ये है व्यवस्था

- इस तरह की बालिकाओं और महिलाओं को रखा जाता है यहां
- पहले सेल में मानसिक रूप से बीमार महिलाओं को रखा जाता है। यहां हर उम्र की महिलाएं रहती हैं।
- दूसरे सेल में ऐसी लड़कियों को रखा जाता है जो घर से भाग जाती हैं और 18 साल से कम उम्र की हैं।
- तीसरे सेल में ऐसी लड़कियां रहती हैं जो किसी अपराध में आरोपी हैं और 18 साल से कम उम्र की हैं।
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